रतन टाटा 9 अक्टूबर 2024 को 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए.वे हमेशा अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों की भलाई के लिए चिंता करते थे. वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें समय और अनुभव के साथ ही समझा जा सकता था.
रतन टाटा, भारतीय उद्योग जगत का वह नाम है जिसे सुनकर हर भारतीय गर्व महसूस करता है. उनकी सादगी, मानवीय दृष्टिकोण और भारत के भविष्य के लिए उनके सपने हर किसी को प्रेरित करते हैं. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने हाल ही में रतन टाटा के साथ अपने अनुभवों को शेयर किया और कहा कि रतन टाटा जैसा व्यक्ति मिलना असंभव है. चंद्रशेखरन ने बताया कि रतन टाटा न केवल बिजनेस में माहिर थे, बल्कि वे अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों की भलाई के लिए भी चिंता करते थे. उनका ध्यान छोटी से छोटी चीजों पर भी होता था, चाहे वह किसी किताब का कवर हो या किसी कमरे की सजावट.
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने रतन टाटा को उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया, जिनसे मिलने के बाद हर कोई उनकी मानवता, गर्मजोशी और भारत के लिए उनके सपनों की कहानी अपने साथ लेकर जाता था. चंद्रशेखरन ने कहा कि रतन टाटा जैसे व्यक्ति का मिलना बहुत दुर्लभ है. उन्होंने बताया कि उनके और रतन टाटा के संबंध समय के साथ कैसे बदलते गए. शुरुआत में, उनकी बातचीत मुख्य रूप से बिजनेस से संबंधित होती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यक्तिगत स्तर पर बदल गई. उनकी चर्चा कारों से लेकर होटलों तक के विषयों पर होती थी, लेकिन जब बात जीवन की सामान्य चीजों पर आती, तो रतन टाटा अपनी गहरी संवेदनशीलता और उन्हें देखने की अपनी क्षमता का बेजोड़ परिचय देते थे. वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें समय और अनुभव के साथ ही समझा जा सकता था.
कर्मचारियों की भलाई के प्रति रतन टाटा का समर्पण
एन चंद्रशेखरन ने एक घटना शेयर की, जिसमें उन्होंने रतन टाटा की कर्मचारियों के प्रति गहरी संवेदनशीलता को उजागर किया. उन्होंने बताया कि रतन टाटा सिर्फ किसी विवाद को सुलझाने पर ध्यान नहीं देते थे, बल्कि यह सुनिश्चित करते थे कि कर्मचारियों और उनके परिवारों की भलाई का ध्यान रखा जाए. चंद्रशेखरन के चेयरमैन बनने के तुरंत बाद, उन्हें टाटा मोटर्स के एक मामले से परिचित कराया गया, जिसमें कर्मचारियों की यूनियन और कंपनी के बीच दो साल से वेतन विवाद चल रहा था. मार्च 2017 में, रतन टाटा और चंद्रशेखरन ने मिलकर यूनियन नेताओं से मुलाकात की. इस मुलाकात में रतन टाटा ने तीन महत्वपूर्ण संदेश दिए: उन्होंने विवाद के समाधान में देरी पर खेद जताया, यह बताया कि कंपनी कठिनाइयों से गुजर रही है, और दोनों ने मिलकर यह वादा किया कि यह विवाद दो हफ्तों के भीतर सुलझा लिया जाएगा.
रतन टाटा की बेमिसाल याददाश्त
रतन टाटा के बारे में एक और महत्वपूर्ण बात यह थी कि उनकी याददाश्त फोटोग्राफिक थी. एन चंद्रशेखरन ने उनकी इस क्षमता की प्रशंसा की और कहा कि रतन टाटा अगर किसी स्थान पर जाते थे, तो वे वहां की हर छोटी-बड़ी चीज़ (फर्नीचर के सबसे छोटे टुकड़े से लेकर लाइटिंग और रंगों तक सब कुछ) याद रख लेते थे. वे किताबों और मैगज़ीन के कवर और कंटेंट तक को सालों बाद भी याद रखते थे. उनका अवलोकन और चीजों को समझने की क्षमता बड़ी से बड़ी विचारधारा से लेकर छोटे से छोटे ब्यौरों तक व्याप्त थी.
निस्वार्थ सेवा करते थे रतन टाटा
एन चंद्रशेखरन ने अपनी पोस्ट में यह भी बताया कि रतन टाटा का व्यक्तित्व धीरे-धीरे समझा जा सकता था. वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपने कर्मचारियों से लेकर कंपनी के हर छोटे पहलू तक की गहराई से परवाह करते थे. उनकी नज़रें न केवल कंपनी की वित्तीय सेहत पर रहती थीं, बल्कि वे इस बात पर भी ध्यान देते थे कि कंपनी के कर्मचारी और उनके परिवार कैसे रह रहे हैं. यही विशेषताएं उन्हें औरों से अलग बनाती थीं और इसी कारण से एन चंद्रशेखरन ने कहा कि “रतन टाटा जैसा कोई और नहीं था.”
Tags: Ratan tata, Success Story, Successful business leaders
FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 13:13 IST
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