Last Updated:January 31, 2025, 15:29 ISTSystematic Deregulation : 2025 के बजट से पहले जारी इकनॉमिक सर्वे में सरकार ने एक नया लक्ष्य रखा है. इसमें पहली बार सिस्टमेटिक डीरेगुलेशन को लेकर बात की गई है. सरकार ने इसके लिए जर्मनी के मिट्टलस्टैंड का उदाह…और पढ़ेंसरकार एसएमई को बढ़ावा देने के लिए नियमों में बड़ा बदलाव कर सकती है. हाइलाइट्ससरकार छोटे और मझोले उद्यमों के लिए नियम सरल करेगी.सिस्टेमेटिक डिरेगुलेशन से विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा.रोजगार-संवेदनशील और सतत विकास पर जोर दिया जाएगा.नई दिल्ली. मोदी सरकार इस बार के बजट में ग्रोथ और प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए कुछ बड़ा बदलाव करने जा रही है. बजट से पहले जारी इकॉमिक सर्वे में खुलासा किया है कि सिस्टमेटिक डीरेगुलेशन (Systematic Deregulation) यानी क्रमवार तरीके से रेगुलेशन को कम किया जाएगा, खासकर छोटे और मझोले उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए उनसे जुड़े रेगुलेशन वाले कानूनों को सरल किया जाएगा. इसमें धीरे-धीरे सुधार किया जाएगा, ताकि छोटे और मझोले उद्यमियों को उत्पादन के लिए बढ़ावा दिया जा सके और देश की आर्थिक प्रगति में तेजी लाई जा सकती है.
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने विकास, नवाचार और वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए रणनीतिक और व्यवस्थित विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया है. सर्वेक्षण ने विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) या ‘मिट्टेलस्टैंड’ को मजबूत करने के लिए उद्योग-व्यापी विनियमन की मांग की है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि डिरेगुलेशन नवाचार को प्रोत्साहित करने और एक व्यवहार्य मिट्टेलस्टैंड बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. एक अधिक खुली नियामक रूपरेखा के साथ, भारत के SME क्षेत्र राज्यों को आर्थिक झटकों से उबरने, देश की विनिर्माण आकांक्षाओं को साकार करने और दीर्घकालिक निवेश आकर्षित करने में मदद कर सकता है.
मिट्टेलस्टैंड से क्या मतलब हैमिट्टेलस्टैंड एक जर्मन शब्द है, जिसका इस्तेमाल यूरोप के कुछ देशों में किया जाता है. इसका मतलब देश के छोटे और मझोले उद्यमों को लेकर है. जर्मनी में मिट्टेलस्टैंड यानी छोटे-मझोले उद्यमों को इकनॉमी का हर्ट कहा जाता है, क्योंकि वहां की 60 फीसदी इकनॉमी में इसी सेक्शन का योगदान रहता है. भारत सरकार भी अब इसी टर्म पर काम करना चाहती है. इसके लिए एसएमई पर लागू होने वाले रेगुलेशन से जुड़े कानूनों को धीरे-धीरे या तो खत्म कर दिया जाएगा अथवा सरल बना दिया जाएगा.
रोजगार पैदा करने पर जोरसर्वेक्षण में बताया गया कि ‘रोजगार-संवेदनशील और सतत विकास’ को नियामक सुधारों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जो व्यक्तियों और व्यवसायों को अधिक आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं. इसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 को एक केंद्रीय एजेंडे के रूप में पहचाना गया और नियमों को सरल बनाने व आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई लहर को आगे बढ़ाने की बात कही गई. आर्थिक नीति को अब ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 के तहत एक प्रमुख एजेंडा के रूप में व्यवस्थित रूप से नियमन हटाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
क्या होगा इससे फायदासर्वे में बताया गया है कि सिस्टेमेटिक डिरेगुलेशन से विकास को बढ़ावा मिल सकता है. रणनीतिक और सिस्टेमेटिक डिरेगुलेशन से विकास, नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिल सकता है और यह नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि भारत के एसएमई सेक्टर का मजबूत निर्माण हो सके. डिरेगुलेशन के साथ भारत का Mittelstand राज्यों को आर्थिक झटकों से निपटने में मदद कर सकता है. भारत को उसकी विनिर्माण आकांक्षाओं को साकार करने में सक्षम बना सकता है, दीर्घकालिक निवेश आकर्षित कर सकता है और ऐसा विकास प्रोत्साहित कर सकता है जो टिकाऊ और ‘रोजगार-संवेदनशील’ हो.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :January 31, 2025, 15:29 ISThomebusinessSystematic Deregulation का मतलब क्या है, क्या करने जा रही सरकार?
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