Last Updated:January 15, 2025, 13:53 ISTInflation vs Loan : जब भी कर्ज सस्ता करने की बात आती है तो रिजर्व बैंक महंगाई का हवाला देकर पीछे हट जाता है. क्या आपने सोचा है कि आखिर महंगाई और ब्याज दर में ऐसा क्या संबंध है जो आरबीआई सब्जी-अनाज की कीमतें देखकर…और पढ़ेंनई दिल्ली. क्या आपने कभी सोचा है कि आपके लोन की ईमएआई पिछले करीब 3 साल से एक ही लेवल पर बना हुआ है. रिजर्व बैंक ने अपनी 11 बार की एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव भी नहीं किया है. रिजर्व बैंक ने कोरोनाकाल में ही रेपो रेट को करीब 2.5 फीसदी बढ़ाया था और तब आज तक इसमें कोई कटौती नहीं की. जब भी रेपो रेट घटाने की बात आती है तो आरबीआई एक ही बात कहता है कि अभी महंगाई बहुत ज्यादा है और जैसे ही खुदरा महंगाई की दर में राहत मिलेगी तो इसका फायदा रेपो रेट कटौती में भी दिया जाएगा. आखिर सब्जियों और खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने और आपके लोन में ऐसा क्या संबंध है, जो आरबीआई रेपो रेट नहीं घटा रहा है.
जानकर हैरानी होगी कि आरबीआई ने फरवरी 2023 से ही रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि फरवरी, 2025 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट घटाया जाए. लेकिन, इससे पहले यह सवाल उठता है कि खाने-पीने की चीजों और अन्य वस्तुओं व सेवाओं की महंगाई दर बढ़ने से आपके लोन और ईएमआई का क्या लेना-देना है. इन चीजों का सीधा असर आपके कर्ज और बैंकों के लोन बांटने पर क्यों पड़ता है, जिसकी वजह से आरबीआई ब्याज दरें घटाने से पीछे हट जाता है.
क्या है रेपो रेट और इसका असरमहंगाई और ब्याज दर का जवाब खोजने से पहले रेपो रेट और इसके असर के बारे में जानना जरूरी है. रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर बैंक अपने लिए आरबीआई से फंड उठाते हैं. इसका मतलब है कि रिजर्व बैंक अभी अन्य बैंकों को फंड देने पर उनसे 6.5 फीसदी का ब्याज वसूलता है. जाहिर है कि बैंक इससे कम ब्याज पर उपभोक्ताओं को लोन नहीं देंगे. वर्तमान में ज्यादातर लोन रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े हैं. जाहिर है कि रेपो रेट में होने वाली कोई भी कटौती सीधे तौर पर खुदरा लोन की ब्याज दर पर भी असर डालेगी.
रेपो रेट घटाया तो क्या होगाअगर फरवरी में होने वाली एमपीसी बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटा दिया तो सीधे तौर पर आम आदमी का लोन भी सस्ता हो जाएगा. चाहे पुराना लोन हो या फिर नया लोन लेना हो. रेपो रेट में अगर 0.50 फीसदी कटौती की जाती है तो आपके होम लोन की ब्याज दर भी 0.50 फीसदी कम हो जाएगी. जाहिर है कि इस कटौती के बाद आने वाले समय में आपके लोन पर जा रही ईएमआई भी नीचे आ जाएगी और लंबे समय तक ब्याज दर नीचे रहने से आपको हजारों रुपये का फायदा भी होगा.
महंगाई से कर्ज का क्या संबंधयह बात तो सभी को पता है कि जैसे ही बाजार में किसी चीज की डिमांड बढ़ती है तो उसकी कीमत भी बढ़ जाती है. इसे सरल शब्दों में कहें तो डिमांड बढ़ते ही बाजार में महंगाई बढ़ जाती है. रिजर्व बैंक को जब दिखता है कि बाजार में महंगाई बढ़ी हुई है तो वह ब्याज दरों को बढ़ाकर लोन महंगा कर देता है. इससे लोग लोन लेने से बचते हैं और उनके खर्च पर लगाम लगती है. खर्च कम हुआ तो बाजार में डिमांड भी अपने आप कम हो जाती है, जिससे महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलती है.
कर्ज सस्ता किया तो क्या होगाजैसा कि ऊपर बताया कि कर्ज महंगा होने पर लोग कम लोन लेंगे और कम खर्चा करेंगे. बात चाहे रोजमर्रा के खर्चे की हो या फिर लग्जरी लाइफ पर होने वाले खर्च की, कर्ज सस्ता होगा तो आम आदमी बैंक से ज्यादा पैसे भी उठाएंगे. आरबीआई अगर कर्ज की ब्याज दर कम कर दे तो लोग ज्यादा लोन लेंगे. इसका मतलब हुआ कि उनके पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे भी आएंगे और बाजार में डिमांड बढ़ेगी. डिमांड बढ़ना मतलब वस्तुओं या सेवाओं का महंगा होना और जाहिर तौर पर महंगाई भी बढ़ जाएगी. बस इसीलिए आरबीआई ब्याज दरें नहीं घटा रहा, ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके.
ब्याज दरें घटाने से क्या फायदासरकार ने पिछले दिनों कई बार आरबीआई से ब्याज दरें घटाने की बात कही है. इसका मकसद है कि देश की अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके. सितंबर तिमाही में देश की विकास दर घटकर 6.4 फीसदी पर आ गई है. इसमें तेजी लाने के लिए ब्याज दरें घटाने की जरूरत है. कर्ज सस्ता होगा तो लोग बैंकों से अधिक लोन लेंगे और उनके पास खर्च के लिए पैसे आएंगे. बाजार में खर्च बढ़ने पर वस्तुओं और सेवाओं की डिमांड भी बढ़ेगी, जिससे उत्पादन और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा. उत्पादन बढ़ने का सीधा मतलब है कि जीडीपी की ग्रोथ में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था की विकास दर भी बढ़ जाएगी.
महंगाई है दोधारी तलवारऊपर की डिटेल से साफ पता चलता है कि महंगाई दोधारी तलवार है. अगर इसे बढ़ने से नहीं रोका गया तो आम आदमी के लिए मुश्किलें बढ़ती जाएंगी. साथ ही महंगाई की वजह से बाजार में डिमांड कम होगी और उत्पादन पर असर पड़ेगा तो अर्थव्यवस्था की विकास दर भी सुस्त पड़ जाएगी. दूसरी ओर, विकास दर बढ़ाने के लिए कर्ज सस्ता किया गया तो बाजार में डिमांड अधिक होने से महंगाई बढ़ जाएगी और फिर से वही मुसीबत आम आदमी के सिर आ पड़ेगी.
क्या हैं मौजूदा हालातमहंगाई , विकास दर और ब्याज दर के मौजूदा हालात को देखें तो साफ पता चलता है कि खुदरा महंगाई ने पिछले कुछ समय से लगातार दबाव बनाया हुआ है. दिसंबर में खुदरा महंगाई की दर 5.22 फीसदी रही है, जो 4 महीने में सबसे कम है. विकास दर की बात करें तो सितंबर तिमाही में यह 6.4 फीसदी रही थी और चालू वित्तवर्ष में इसके 6 से 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा रहा है. बैंकों के ब्याज की दर बात करें तो कोई भी बैंक 8.40 फीसदी से कम ब्याज पर लोन देने को तैयार नहीं है, क्योंकि रेपो रेट ही 6.5 फीसदी है, जिसमें 2 से 2.50 फीसदी तक बैंकों का इंटरनल खर्च जुड़ा रहता है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :January 15, 2025, 13:53 ISThomebusinessExplainer : क्या आलू-प्याज के दाम बढ़ने से नहीं घट रही आपकी EMI?
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