नई दिल्ली. यूपी और महाराष्ट्र देश के सबसे बड़े आम उत्पादक राज्यों में से एक हैं. अकेले यूपी में ही देश का 25 फीसदी से ज्यादा आम पैदा होता है. इस बार भी किसानों को बंपर फसल होने की बड़ी उम्मीद थी, लेकिन मौसम की मार ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरना शुरू कर दिया है. वाणिज्य मंत्रालय की मानें तो बिना सीजन की बरसात और आंधी की वजह से आम की फसल पर बड़ा असर दिख रहा है. मई और जून का महीना आम के पकने का सीजन होता है और इस समय मौसम में आए बदलाव की वजह से किसानों को बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही है.
सहारनपुर में पिछले दिनों आए एक तेज तूफान ने न सिर्फ कई पेड़ों को ढहा दिया, बल्कि इन पर लगी आम की फसलों को तोड़कर जमीन पर पटक दिया. आंधी-तूफान को झेलकर भी जो आम पेड़ में लगे रहे गए, उन पर तेजी से बदलते तापमान का असर दिख रहा है. यूपी से हर साल करोड़ों रुपये के आम का निर्यात होता है, लेकिन इस साल एक पैसे का भी निर्यात नहीं हो सका है.
जैकी चैन ने दान कर दी 4000 करोड़ की संपत्ति, बेटों को नहीं दिया फूटी कौड़ी, क्या भारतीय पिता भी कर सकता है ऐसा
फसल में कमी का क्या है कारणफसल वैज्ञानिकों की मानें तो आम को पकने के लिए अच्छे तापमान की जरूरत होती है. लेकिन, हर साल मई में होने वाली भीषण गर्मी इस साल कम दिख रही. कहीं बारिश तो कहीं आंधी-तूफान की वजह से तापमान औसत से 4-5 डिग्री कम है. आम के किसानों के लिए यह स्थिति किसी आपदा से कम नहीं है, क्योंकि इससे पैदावार पर साफ असर पड़ रहा है. ज्यादातर किसानों की 60 फीसदी फसल चौंसा और दशहरी से आती है और कम तापमान की वजह से इन दोनों फसलों पर काफी बुरा असर पड़ा है. इनकी पैदावार 50 फीसदी से भी ज्यादा कम हो चुकी है.
वाणिज्य मंत्रालय ने जताई चिंतादेश में करीब 1,000 तरह के आम की फसल होती है और भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम निर्यातक देश है. कृषि एवं निर्यात संर्वधन प्राधिकरण के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि यूपी सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है. यहां देश के कुल उत्पादन का 25 फीसदी पैदा होता है. वित्तवर्ष 2023-24 में भारत ने 32 हजार टन आम का निर्यात किया था. इससे किसानों को करीब 500 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी. यह आम खाड़ी देशों के अलावा, यूके और अमेरिका तक भेजे गए थे.
मंत्रालय को किस बात की चिंतावाणिज्य मंत्रालय ने चिंता जताई है कि इस बार किसानों और आम उत्पादकों को बड़ा नुकसान होने की आशंका है. एक्सपर्ट का मानना है कि आम का उत्पादन 27 डिग्री या उससे ज्यादा के तापमान में होता है. लेकिन, इस साल तापमान इससे कम रह जा रहा. तापमान में इस कमी की वजह से आम की फसलों के पकने में परेशानी हो रही. वातावरण में नमी बढ़ने से आम पर लगने वाले कीड़ों की संख्या भी बढ़ती जा रही है और वे फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे.
—- Polls module would be displayed here —-
महाराष्ट्र में भी नुकसान की आशंकाबदलते मौसम की वजह से सिर्फ यूपी ही नहीं महाराष्ट्र के किसानों को भी बड़े नुकसान की आशंका है. कोंकण क्षेत्र जो अलफांसो जैसे आम की पैदावार के लिए जाना जाता है, यहां प्री-मानसून बारिश की वजह से पैदावार में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट दिखी है. फसल खराब होने के डर से ज्यादातर किसानों ने समय से पहले ही अपनी फसलों को हटा दिया. कच्चे आम का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए होता है, लेकिन इससे किसानों को कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ी. वैसे तो सरकार किसानों की मदद कर रही है, लेकिन यह मदद तभी काम आएगी जब आम पकने तक पेड़ पर लगे रह सकें.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News