Last Updated:July 10, 2025, 18:27 ISTएक ब्रोकरेज ने वेदांता की वित्तीय स्थिति को लेकर भरोसा जताते हुए कहा कि कंपनी की लिवरेज स्थिर है और हिंदुस्तान जिंक पर सरकार की निगरानी बनी हुई है. वेदांता की पेरेंट कंपनी पर ग्रुप को दिवालियापन की ओर ले जाने का आरोप लगा है. हाइलाइट्सवायसरॉय रिसर्च ने वेदांता पर ‘पोंजी स्कीम’ जैसे कंपनी चलाने का आरोप लगाया.वॉयसराय ने वेदांता पर शॉर्ट पोजिशन ली हुई है.जेपी मॉर्गन ने कहा है कि उन्हें इस दावों से कोई फर्क नहीं पड़ता.नई दिल्ली. दुनिया के सबसे बड़े बैंक जेपी मॉर्गन ने कहा है कि उसका भरोसा वेदांता पर कायम है. जेपी मॉर्गन ने वेदांता के खिलाफ शॉर्ट सेलर वायसराय की रिसर्च रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. बैंक ने कहा है कि उसे इन दावों से कोई फर्क नहीं पड़ता और वह कंपनी पर अपनी लॉन्ग पोजिशन (लंबी अवधि का निवेश) बनाए रखेगी. जेपी मॉर्गन बैंक के एनालिस्ट लव शर्मा ने कहा है कि वे वेदांता लिमिटेड और उसके कुछ बॉन्ड्स की रेटिंग ओवरवेट बनाए हुए हैं. आपको बता दें कि जेपी मॉर्गन दुनिया की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्म्स में से भी एक है.
बैंक ने कहा है कि वेदांता लिमिटेड (HZL को छोड़कर) ने वित्त वर्ष 2024-25 में $3.1 अरब का EBITDA दर्ज किया और उसका नेट लिवरेज केवल 2.2x रहा. नेट लिवरेज यह बताता है कि कंपनी का कर्ज उसकी कमाई (EBITDA) के मुकाबले कितना है. अगर नेट लिवरेज 2.2x है, तो कंपनी पर उतना कर्ज है जितना वो 2.2 साल में कमा सकती है. कंपनी पर कितना कर्ज है और वह कितनी जल्दी उसे चुकता कर सकती है. यानी कंपनी की कमाई और कर्ज के अनुपात में कोई बड़ी दिक्कत नहीं है. हिंदुस्तान जिंक (HZL) का नेट लिवरेज तो मात्र 0.1x था, जो कैपेक्स बढ़ने पर 0.5x तक जा सकता है.
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वायसराय का दावा
वायसरॉय रिसर्च ने गुरुवार को 87 पेज की एक रिपोर्ट जारी कर वेदांता ग्रुप पर हमला बोला है. रिपोर्ट में VRL को पैरासाइट बताते हुए कहा गया है कि यह कंपनी एक “पोंजी स्कीम” चला रही है, जिससे पूरा समूह दिवालियेपन के कगार पर पहुंच गया है. वायसरॉय ने वेदांता की ग्रुप स्ट्रक्चर को वित्तीय रूप से अस्थिर और ऑपरेशनली कमजोर बताया है और कहा है कि यह लेनदारों के लिए बड़ा जोखिम बन गया है. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि उन्होंने VRL के कर्ज पर शॉर्ट पोजिशन ली है, यानी वे गिरावट से मुनाफा कमाने की योजना में हैं.
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हिन्दुस्तान जिंक और सरकार
हिंदुस्तान जिंक को लेकर एक दिलचस्प पहलू सामने आया है. रिपोर्ट के अनुसार, सरकार और वेदांता के बीच एक पुराना समझौता है, जिसके तहत अगर कुछ तय शर्तें पूरी नहीं होती हैं तो सरकार वेदांता को अपने शेयर बेचने के लिए मजबूर कर सकती है. वो भी बाजार मूल्य से 50% प्रीमियम या डिस्काउंट पर. यह शर्त एक स्मेल्टर प्लांट के लोकेशन को लेकर है, जिसे वेदांता ने समय रहते पूरा कर लिया था. ब्रोकरेज मानता है कि पिछले लगभग 20 साल में इस पर कोई आपत्ति नहीं आई, इसलिए इसका असर अब नहीं होगा.Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusiness’क्या कहता है वायसराय, फर्क नहीं पड़ता’, वेदांता के साथ आया इंटरनेशनल बैंक
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