नई दिल्ली. बीते दो दशकों में अमेरिका की युद्ध नीति ने न केवल लाखों लोगों की जान ली है, बल्कि अरबों-खरबों रुपये भी स्वाह किए हैं. अमेरिका के इस युद्ध प्रेम ने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था को भी गहरे घाव दिए हैं. अफगानिस्ता, इराक से लेकर अब ईरान तक, अमेरिकी सैन्य दखल की भारी कीमत मानवता ने चुकाई है. जो पैसा विकास कार्यों में खर्च होता, वो बम-बारूद में उड़ गया और पीछे छोड़ गया सिर्फ तबाही. इन दो दशकों में अमेरिका ने युद्धों पर 5.8 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹480 लाख करोड़) खर्च किए हैं. 9.4 लाख अमेरिका की सनक का शिकार होकर मौत के मुंह में समा गए हैं.अमेरिका हाल में फिर युद्ध में कूदा. उसने ईरान पर हमला बोला. अमेरिकी वायुसेना ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर सात B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से बम गिराए. इस मिशन में अमेरिका के 125 से अधिक विमान शामिल थे, जिनमें बमवर्षक, लड़ाकू विमान, टैंकर, निगरानी विमान और सपोर्ट क्रू शामिल थे। इन सबकी तैनाती और संचालन में सैकड़ों मिलियन डॉलर खर्च हुए.
अमेरिका का सैन्य खर्च सबसे ज्यादा
अल जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका अपनी सेना और सैन्य साज्जो-सामान पर दुनिया में सबसे ज्यादा खर्च करता है. साल 2024 में अमेरिका ने 997 बिलियन डॉलर रक्षा बजट पर खर्च किए .यह दुनिया के कुल सैन्य खर्च का 37 फीसदी बैठता है. यह खर्च चीन के रक्षा खर्च से तीन गुना और रूस से सात गुना ज्यादा है. अमेरिका आज भी रक्षा क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा खर्चीला देश बना हुआ है.
9.5 लाख लोगों की मौत
ब्राउन यूनिवर्सिटी के वॉटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2001 के बाद से अमेरिका के नेतृत्व में हुए युद्धों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, सीरिया, यमन और अन्य क्षेत्रों में लगभग 9.4 लाख लोगों की मौत हुई है. यह आंकड़ा सिर्फ प्रत्यक्ष युद्ध से हुई मौतों का है. युद्ध की वजह से फैली भुखमरी, बीमारी और अन्य दिक्कतों से हुई मौतों को जोड़ दें तो यह संख्या 36 से 38 लाख तक पहुंचती है. इन युद्धों में अमेरिका के 7,052 अमेरिकी सैनिक, 8,189 सैन्य ठेकेदार और मित्र राष्ट्रों के 14,874 सैनिक मारे जा चुके हैं.
अफगानिस्तान और इराक युद्ध में फूंका खूब पैसा
7 अक्टूबर 2001 को अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था, जिसका उद्देश्य अल-कायदा को खत्म करना और तालिबान सरकार को सत्ता से हटाना था. 20 मार्च 2003 को अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इराक पर ‘विनाशकारी हथियारों’ के बहाने हमला बोला. लगभग 20 वर्षों तक चले अफगानिस्तान युद्ध और पाकिस्तान की सीमावर्ती लड़ाइयों में करीब 2.43 लाख लोग मारे गए. वहीं, इराक युद्ध में करीब 3.15 लाख लोगों ने जान गवाईं.
आर्थिक नुकसान
ब्राउन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका ने अब तक युद्धों पर 5.8 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए हैं. इस रकम में से 2.1 ट्रिलियन डॉलर अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा सीधे युद्ध पर खर्च की किए गए. 1.1 ट्रिलियन डॉलर होमलैंड सिक्योरिटी पर खर्च हुए. युद्धों के कारण रक्षा बजट में 884 बिलियन डॉलर की वृद्धि की गई. 465 बिलियन डॉलर युद्ध में भाग ले चुके सैनिकों के इलाज पर खर्च हुए. 1 ट्रिलियन डॉलर इन युद्धों के लिए लिए गए कर्ज के ब्याज भुगतान में चले गए. यही नहीं अगले 30 वर्षों में अमेरिका को 2.2 ट्रिलियन डॉलर उन सैनिकों की देखभाल पर खर्च करने होंगे जो इन युद्धों में शामिल रहे हैं. इस तरह कुल अनुमानित लागत 8 ट्रिलियन तक पहुंच सकती है.
इज़राइल को फंडिंग करता है अमेरिका
अमेरिका लगातार इज़राइल को सैन्य सहायता देता आ रहा है. 1959 से अब तक अमेरिका ने इज़राइल को 251.2 बिलियन डॉलर की सहायता दी है. 2016 में इजरायल-अमेरिका के बीच एक समझौते के तहत अमेरिका हर साल 3.8 बिलियन डॉलर इजरायल को देता है और यह सहायता उसे 2028 तक जारी रखनी है.
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