कहीं मेक इन इंडिया को पटरी से उतार न दे ट्रंप का ऑटो टैरिफ! एक्सपोर्ट्स को लगेगा 4,500 करोड़ का झटका

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नई दिल्ली. भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री के लिए एक बुरी खबर आई है. अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से भारतीय निर्यातकों के मुनाफे पर 4,500 करोड़ रुपये तक की मार पड़ सकती है. यह चिंता सिर्फ कारोबारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर रोजगार, निवेश और भारत के ‘मेक इन इंडिया’ के सपने पर भी पड़ सकता है.

रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, अमेरिका द्वारा इंजन, पावरट्रेन और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट्स जैसे प्रमुख उत्पादों पर 25 फीसदी एकस्ट्रा टैरिफ लगाने से भारतीय निर्यातकों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 10-15 फीसदी की गिरावट आएगी. पूरी इंडस्ट्री के लाभ पर 3-6 फीसदी का असर पड़ सकता है. FY2026 में रेवेन्यू ग्रोथ रेट घटकर 6-8 परसेंट रहने का अनुमान है, जो पहले 8-10 फीसदी था.

हालांकि मनीकंट्रोल ने एक रिपोर्ट में लिखा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटो टैरिफ के असर को कम करने के लिए कुछ राहत संबंधी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं. ऐसा करने से अमेरिकी कार निर्माताओं को अस्थायी छूट मिलेगी. ट्रंप ने अपने मिशिगन दौरे के दौरान यह कदम उठाया गया, जहां 25% नए टैरिफ लागू होने वाले हैं. हालांकि इससे कुछ राहत मिली, लेकिन इंडस्ट्री और विदेशी साझेदारों ने ट्रेड पॉलिसी को लेकर जारी अनिश्चितता पर चिंता जताई है. एक संभावित फॉरेन ट्रेड एग्रीमेंट और 90 दिनों की टैरिफ रोक ने शेयर बाजार में कुछ सुधार किया, लेकिन कंपनियां अब भी चिंतित हैं.

भले ही घरेलू बाजार भारत ऑटो इंडस्ट्री का मुख्य आधार है, लेकिन अमेरिका भारतीय ऑटो पार्ट्स का एक बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है. वित वर्ष 2024 में 46 बड़े निर्यातकों का कुल राजस्व 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक था, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 8 फीसदी थी. पिछले पांच सालों में यहां निर्यात 15 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा था.

कौन उठाएगा अतिरिक्त खर्च?नए शुल्क से पूरी सप्लाई चेन पर 9,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. ICRA के अनुसार, निर्यातक यह लगात ग्राहकों पर डालने की कोशिश करेंगे, लेकिन उनकी सौदेबाजी की ताकत, प्रोडक्ट की जरूरत और बाजार प्रतिस्पर्धा इसका फैसला करेगी. अगर भारतीय कंपनियों को 30-50 फीसदी खर्च स्वयं वहन करना पड़ा, तो उनका मुनाफा 1.5-2.5 फीसदी तक सिकुड़ सकता है.

क्या है राहत की उम्मीद?

अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट वाली कंपनियों को शुल्क से छूट मिलेगी.

चीन से आयात पर भी ऊंचे टैरिफ लगे हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धात्मक फायदा मिल सकता है.

कुछ कंपनियों को अमेरिकी खरीदारों से नए ऑर्डर के पूछताछ भी मिल रहे हैं.

अब आगे क्या?3 मई 2025 से लागू हो रहे इन शुल्कों का असर भारत के 65 फीसदी ऑटो कंपोनेंट निर्यात पर पड़ेगा. इससे पहले मार्च 2025 में अमेरिका ने स्टील और एल्युमिनियम पार्ट्स पर भी 25 फीसदी शुल्क लगाया था. भारत ने जवाब में अमेरिकी कारों पर 26 फीसदी शुल्क की घोषणा की है, हालांकि इसे 90 दिन के लिए रोक दिया गया है.

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