नई दिल्ली. भारत और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर पिछले 3 महीने से मंथन जारी है. इससे पहले यूके के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पूरा हो चुका है, बस इस पर हस्ताक्षर होने बाकी हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूके यात्रा पर जा हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस यात्रा के बाद यूके के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर भी हो सकता है. उधर, अमेरिका के साथ ट्रेड डील भी लगभग फाइनल होने वाली है. ऐसे में आम आदमी के मन में एक सवाल जरूर उठने लगा है कि आखिर दोनों देशों में से किसके साथ ट्रेड से भारत को ज्यादा लाभ मिल सकता है और कौन हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है.
यूके और यूएस के साथ ट्रेड डील और इससे होने वाले फायदे को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि दोनों देशों के साथ हमारा कितना कारोबार होता है. इसमें से कौन सा देश है जिसके साथ हमारा निर्यात ज्यादा है, क्योंकि व्यापार घाटा होने पर निश्चित तौर से नुकसान भी होगा. इसके अलावा दोनों देशों की अपनी-अपनी शर्तें भी हैं और इसमें से जिसकी शर्त ज्यादा सख्त होगी, उसके साथ डील करने और व्यापार करने में जाहिर तौर पर मुश्किल आएगी.
भारत और यूके का कितना कारोबार
वित्तवर्ष 2023-24 में भारत और यूके का कुल कारोबार करीब 21 अरब डॉलर का रहा है. इसमें भारत का निर्यात करीब 10 अरब डॉलर और आयात करीब 11 अरब डॉलर का रहा है. जाहिर है कि इस कारोबार में भारत को करीब 1 अरब डॉलर का व्यापार घाटा सहना पड़ रहा है. यूके से ज्यादातर आयात लग्जरी कारों जैसे जगुआर और लैंडरोवर आदि का होता है. इसके अलावा मशीनरी, स्कॉच व्हिस्की सहित और भी कई चीजों का आयात भारत करता है.
अमेरिका से एफटीए पर कितना फायदायह बात तो तय है कि यूके के मुकाबले यूएस के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार करीब 10 गुना बड़ा है. जाहिर तौर पर अमेरिका के साथ बिना आयात शुल्क के साथ व्यापार का मौका मिलने पर भारत को ज्यादा फायदा होगा. इससे भारत के आईटी, फार्मा, टेक्सटाइल, ज्वैलरी जैसे सेक्टर को निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा अमेरिका से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ने का अनुमान है.
यूके से डील पर कितना फायदा
ब्रिटेन के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता पूरा होने पर भारतीय कपड़ा, चमड़ा, ज्वैलरी और सर्विस सेक्टर को खासा फायदा होगा. इन सेक्टर में निर्यात बढ़ाने में मदद भी मिलेगी. इसके अलावा आईटी, नर्स और इंजीनियर्स के लिए यूके में नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे. भारतीय प्रतिभाओं के लिए यूके में जॉब पाना आसान होगा, क्योंकि यूके उनके लिए वीजा नियमों में ढील दे सकता है.
किसके साथ ज्यादा चुनौतीयूके का बाजार छोटा है, जिससे निर्यात की संभावनाएं कम हैं. ब्रेक्जिट यानी ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर आने के बाद उसकी स्थिति कमजोर हुई है. इसका असर भी भारत के कारोबारी अवसर को कम करता है. इसके अलावा यूके में डेयरी और अन्य खाद्य पदार्थों के लिए मानक काफी सख्त हैं. हालांकि, अमेरिका के मुकाबले चुनौतियां कम ही रहेंगी. अमेरिका ट्रेड डील में सिर्फ अपने हितों की बात करता है. वह अपने डेयरी और एग्री प्रोडक्ट को बिना किसी रोकटोक के भारतीय बाजार में भेजना चाहता है, जिससे घरेलू किसानों और डेयरी उद्योग को नुकसान पहुंचेगा. जाहिर है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने में काफी दिक्कत आएगी.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News