ऐपल से छीन गई बादशाहत! अमेरिकी कंपनी पर ही पड़ गया टैरिफ का उल्टा असर

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Last Updated:April 09, 2025, 17:14 ISTमाइक्रोसॉफ्ट ने ऐपल को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी का ताज फिर से हासिल किया है. ऐपल के शेयरों में गिरावट का कारण अमेरिका-चीन टैरिफ तनाव है. माइक्रोसॉफ्ट का क्लाउड बिजनेस स्थिर रहा. ऐपल ने प्रोडक्श…और पढ़ेंहाइलाइट्समाइक्रोसॉफ्ट फिर से सबसे मूल्यवान कंपनी बनी.अमेरिका-चीन टैरिफ तनाव से ऐपल के शेयर गिरे.माइक्रोसॉफ्ट का क्लाउड बिज़नेस स्थिर रहा.नई दिल्ली. टेक्नोलॉजी की दुनिया में बादशाहत की जंग एक बार फिर दिलचस्प मोड़ पर आ गई है. माइक्रोसॉफ्ट ने ऐपल को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे ज़्यादा वैल्यू वाली पब्लिक कंपनी का ताज फिर से अपने सिर पर सजा लिया है. यह बदलाव ऐसे वक्त में हुआ है जब ऐपल के शेयर बीते कुछ दिनों में लगातार गिरावट झेल रहे हैं, और इसकी बड़ी वजह अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते टैरिफ तनाव हैं. पिछले चार ट्रेडिंग सेशनों में ऐपल के स्टॉक्स में भारी गिरावट आई है. करीब 23% तक की गिरावट के बाद ऐपल का मार्केट कैप $2.59 ट्रिलियन पर आ गया है. वहीं दूसरी तरफ माइक्रोसॉफ्ट ने स्थिर प्रदर्शन बनाए रखते हुए अपना मार्केट कैप $2.64 ट्रिलियन तक पहुंचा दिया है. इसी के साथ माइक्रोसॉफ्ट एक बार फिर दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई है.

इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण है – अमेरिका का नया टैरिफ स्ट्रक्चर, जो चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर भारी शुल्क लगाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ टैक्स 104% तक बढ़ा दिए गए हैं, जिसका सीधा असर ऐपल के चीन में बन रहे प्रोडक्ट्स पर पड़ा है. iPhone जैसे डिवाइस की मैन्युफैक्चरिंग चीन में होती है, और अब उनकी लागत बढ़ रही है. इसका मतलब या तो ऐपल को मार्जिन कम करना पड़ेगा, या फिर कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी — दोनों ही स्थितियां निवेशकों के लिए चिंता की वजह बन गई हैं.

माइक्रोसॉफ्ट को क्यों नहीं लगा झटका?माइक्रोसॉफ्ट की मजबूती का राज उसके क्लाउड बिज़नेस (Azure), सॉफ्टवेयर सर्विसेज और डाइवर्सिफाइड बिज़नेस मॉडल हैं, जो चीन पर निर्भर नहीं हैं. यही वजह है कि टैरिफ के असर से कंपनी लगभग अछूती रही और निवेशकों का भरोसा और भी मज़बूत हुआ.

क्या ऐपल कर पाएगा वापसी?हालांकि गिरावट गंभीर है, लेकिन ऐपल अभी भी मजबूत ब्रांड है. कंपनी ने पहले ही प्रोडक्शन को भारत और वियतनाम जैसे देशों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. साथ ही iPhone की शिपमेंट को टैरिफ लागू होने से पहले एयरलिफ्ट करके स्टॉक करने की रणनीति भी अपनाई गई है. अगर यह प्लानिंग कामयाब रही, तो ऐपल जल्दी रिकवरी की ओर लौट सकता है. यह मुकाबला केवल दो दिग्गज कंपनियों के बीच नहीं, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन, ट्रेड पॉलिसी और निवेशकों के भरोसे का भी है. आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ऐपल क्या कदम उठाता है और माइक्रोसॉफ्ट अपनी लीड को कितने समय तक बनाए रख पाता है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :April 09, 2025, 17:14 ISThomebusinessऐपल से छीन गई बादशाहत! अमेरिकी कंपनी पर ही पड़ गया टैरिफ का उल्टा असर

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