Last Updated:April 15, 2025, 08:38 ISTचीन ने दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है. यह अमेरिकी टेक और रक्षा उद्योग के लिए झटका है. चीन रेयर अर्थ एलिमेंट्स की वैश्विक आपूर्ति में 90% हिस्सेदारी रखता है. अमेरिकी कंपनियां भी चीन पर निर्भर हैं. रेयल अर्थ एलिमेंट्स एक समूह है जिसमें 17 विशेष धातुएं शामिल हैं. हाइलाइट्सचीन ने दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर रोक लगाई.अमेरिकी टेक उद्योग को बड़ा झटका लगा है.अमेरिका-भारत ने साझेदारी की है.नई दिल्ली. अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध में अब चीन ने बड़ा दांव खेला है. चीन ने डिसप्रोसियम और नियोडिमियम जैसी दुर्लभ धातुओं यानी रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर रोक लगा दी है. इनका इस्तेमाल हाई-टेक उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों, मिसाइलों और विंड टरबाइन बनाने में होता है. चीन का यह फैसला अमेरिकी टेक और रक्षा उद्योग के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि इन तत्वों की वैश्विक आपूर्ति में चीन की 90% हिस्सेदारी है. यही नहीं, दुर्लभ धातुओं को रिफाइन करने की सबसे अधिक क्षमता भी चीन के पास है. भारत सहित कई देशों के पास दुर्लभ धातुओं के भंडार तो है, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता नहीं होने के कारण वे चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं.
चीन ने सात महत्वपूर्ण धातुओं जैसे सैमेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम, लुटेशियम, स्कैंडियम और यिट्रियम को एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाल दिया है. 2 अप्रैल से चीन ने इन धातुओं पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं, जो केवल खनिज ही नहीं बल्कि तैयार मैग्नेट्स और अन्य प्रोडक्ट्स पर भी लागू होते हैं. अब ये धातुएं और उनसे बने प्रोडक्ट्स चीन से तभी बाहर जा सकते हैं जब उनके लिए विशेष निर्यात लाइसेंस दिया जाए. लेकिन फिलहाल चीन में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया ढीली-ढाली है, इससे कंपनियों में घबराहट है.
रेयल अर्थ में शामिल हैं 17 विशेष धातुएंरेयल अर्थ एलिमेंट्स एक समूह है जिसमें 17 विशेष धातुएं शामिल हैं. इनका इस्तेमाल हाई-टेक्नोलॉजी मशीनों जैसे इलेक्ट्रिक मोटर्स, ड्रोन-मिसाइलें, जेट इंजन-लेजर, कंप्यूटर चिप्स-स्मार्टफोन्स, इलेक्ट्रिक वाहनों और सैटेलाइट्स के निर्माण में होता है. डिस्प्रोसियम, टेरबियम, यिट्रियम का इस्तेमाल ऐसे मैग्नेट बनाने में होता है, जो अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक और सैन्य उपकरणों के जरूर कंपोनेंट की तरह काम करते हैं. अमेरिकी कंपनियां जैसे लॉकहीड मार्टिन, टेस्ला और ऐपल का सबसे ज्यादा असर चीन के रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर रोक लगाने से होगा. अमेरिका के पास कुछ दुर्लभ धातुओं का स्टॉक जरूर है, लेकिन यह इतना नहीं है कि कंपनियों की जरूरतों का लंबे समय तक पूरा किया जा सके.
अमेरिका-भारत ने की है साझेदारीचीन के रेयल अर्थ एलिमेंट्स के एकाधिकार को तोड़ने के लिए अमेरिका और भारत ने मिलकर कदम उठाए हैं. हाल ही में अमेरिका ने भारतीय सरकारी कंपनी इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड पर लगे दशकों पुराने प्रतिबंध हटा दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक मिनरल रिकवरी’ पहल की घोषणा की गई. इसका मकसद दोनों देशों के बीच खनिजों की खोज, प्रोसेसिंग और निवेश को बढ़ावा देना है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :April 15, 2025, 08:38 ISThomebusinessचीन ने अमेरिका की दबाई कमजोर नस, न हथियार बना पाएगा, न इलेक्ट्रिक कारें
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