नई दिल्ली. हाल ही में हुए पहलगाम घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच कड़वाहट बढ़ा दी है, जिससे दोनों देशों के बीच एक नई कूटनीतिक जंग शुरू हो गई है. एक तरफ, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान के 20 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. दूसरी तरफ, पाकिस्तान ने भारत के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है, जिसका असर भारतीय एयरलाइन कंपनियों पर पड़ेगा.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले के कारण अमेरिका और यूरोप जाने वाली उड़ानों का समय दो से तीन घंटे बढ़ सकता है, जिससे एयरलाइंस की संचालन लागत बढ़ेगी और आम लोगों को ज्यादा किराया चुकाना पड़ेगा. पाकिस्तान के फैसले के बाद, भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो को शुक्रवार को भारी नुकसान हुआ. कंपनी के शेयर लगभग 4 प्रतिशत गिर गए और इसका बाजार पूंजीकरण 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कम हो गया.
इंडिगो के शेयरों में बड़ी गिरावटभारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के शेयरों में शुक्रवार को बड़ी गिरावट देखी गई. शेयर की कीमत 3.75% गिरकर 5,313.20 रुपये पर बंद हुई, जो प्रति शेयर 207.15 रुपये की कमी है. यह गिरावट पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र के बंद होने के बाद आई, जिसमें इंट्राडे लो 5,198.70 रुपये तक पहुंच गया, जो दिन के शुरुआती मूल्य से 321.65 रुपये की गिरावट थी.
एक साल में कितनी वृद्धि हुई हैपिछले 6 महीनों में, कंपनी के शेयरों ने निवेशकों को 32 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. इस साल, कंपनी के शेयरों में 15.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पिछले एक साल में, इसके शेयरों ने निवेशकों को लगभग 35 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
एक साल पहले, 25 अप्रैल 2024 को, कंपनी के शेयर का 52-सप्ताह का निचला स्तर 3,728.45 रुपये था. 22 अप्रैल 2025 तक, शेयर की कीमत बढ़कर 5,646.90 रुपये हो गई, जो पिछले साल की तुलना में 1,918.45 रुपये की वृद्धि है. हालांकि, वर्तमान कीमत 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से 333.70 रुपये कम है.
निवेशकों को बड़ा नुकसानशुक्रवार को IndiGo को बड़ा झटका लगा. कंपनी का बाजार पूंजीकरण गुरुवार को Rs 2,13,328.06 करोड़ से घटकर शुक्रवार को Rs 2,05,322.97 करोड़ हो गया, जिससे Rs 8,005.09 करोड़ का नुकसान हुआ. ये गिरावट कंपनी और उसके शेयरधारकों के लिए एक बड़ा वित्तीय झटका है.
नुकसान क्यों हुआ?IndiGo के शेयरों में गिरावट का सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान का भारत के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करने का फैसला है. इस फैसले के बाद, भारतीय उड़ानों को अमेरिका और यूरोप पहुंचने में 2 से 3 घंटे अधिक लगेंगे. इससे कंपनी की संचालन लागत बढ़ जाएगी.
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