Last Updated:June 30, 2025, 17:13 ISTTax On Agriculture Land : कृषि आय पर टैक्स राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र है, इसलिए उस पर केंद्र सरकार टैक्स नहीं लगा सकती. अब अगर हाईकोर्ट आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले पर मुहर लगा देता है तो कृषि भूमि से हु…और पढ़ेंकृषि भूमि को कैपिटल एसेट की परिभाषा से बाहर माना जाता है. हाइलाइट्सकृषि भूमि काला धन सफेद करने का जरिया है.बिक्री से हुआ मुनाफा कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में नहीं आता.इसी का फायदा उठाकर बहुत से लोग काला धन सफेद करते हैं.नई दिल्ली. आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) अहमदाबाद के एक फैसले पर अगर हाईकोर्ट भी मुहर लगा देता है तो कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त से काले धन को सफेद करने वर्षों से चला आ रहा काला धंधा बंद हो सकता है. ITAT अहमदाबाद बेंच ने अपने 27 मई के फैसले में कहा है कि आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(x) के अनुसार, बाजार मूल्य और लेन-देन मूल्य के बीच के अंतर को कर योग्य आय माना जाएगा. हालांकि कृषि भूमि को पूंजीगत संपत्ति से अलग माना जाता है, लेकिन “स्थावर संपत्ति” की सामान्य परिभाषा में यह शामिल होती है. इसलिए यदि कानून में कोई स्पष्ट छूट नहीं है, तो ऐसे अंतर को आय के रूप में टैक्स किया जा सकता है.इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईटीएटी का यह फैसला तभी प्रभावी होगा अगर उच्च न्यायालय भी इसका अनुमोदन कर देता है. अगर उच्च न्यायालय इस व्याख्या को मान्यता देता है, तो कृषि भूमि के माध्यम से काले धन को सफेद करने वाले लोगों के लिए यह तरीका मुश्किल हो जाएगा. कृषि भूमि को कैपिटल एसेट की परिभाषा से बाहर माना जाता है. इसलिए इसे बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता. इसके अलावा, शहरों की संपत्तिकी तुलना में कृषि भूमि की कीमत कम घोषित करने पर टैक्स की देनदारी नहीं बनती.
ऐसे हो रहा है खेल
मान लीजिए किसी व्यक्ति के पास अवैध या बेहिसाब धन है और वह एक किसान से 10 करोड़ रुपये मूल्य की कृषि भूमि खरीदता है. दस्तावेज़ों में इसकी कीमत केवल 2 करोड़ रुपये दिखाई जाती है. शेष 8 करोड़ रुपये किसान को दे दिए जाते हैं. बाद में वही जमीन जब 10 करोड़ रुपये की असली बाजार कीमत पर बेची जाती है तो पूरा सौदा वैध दस्तावेजों के माध्यम से किया जाता है और पूरा पैसा सफेद हो जाता है. इस प्रक्रिया में खरीदार अपने 8 करोड़ रुपये के काले धन को सफेद कर लेता है.
विशेषज्ञों की राय
सीए आशीष करुंडिया का मानना है कि आय की प्रकृति उस स्रोत की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती जिससे वह उत्पन्न हुई हो. उन्होंने कहा, “अगर यह साबित हो जाए कि कृषि भूमि की घोषित कीमत और बाजार कीमत के बीच का अंतर कृषि भूमि से प्राप्त राजस्व है, तो इसे कृषि आय माना जा सकता है. चूंकि कृषि आय पर टैक्स राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र है, इसलिए उस पर केंद्र सरकार टैक्स नहीं लगा सकती. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उच्च न्यायालय इस अंतर की प्रकृति को किस तरह व्याख्यायित करता है.”Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessकृषि भूमि बेचने से हुए मुनाफे पर भी लगेगा टैक्स! किस-किस को देना होगा?
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