‘पीने वाले’ ध्यान दें! बीमा कराते वक्त ‘एक पैग’ भी छुपाया तो कोर्ट भी नहीं सुन

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‘पीने वाले’ ध्यान दें! बीमा कराते वक्त ‘एक पैग’ भी छुपाया तो कोर्ट भी नहीं सुन

Last Updated:March 31, 2025, 14:05 ISTसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमा खरीदते समय शराब की लत छिपाने पर बीमा कंपनी दावा खारिज कर सकती है. LIC ने पॉलिसीधारक की पत्नी का क्लेम खारिज किया क्योंकि मृतक ने शराब की लत छिपाई थी.सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शराब की लत की जानकारी देना जरूरी है.नई दिल्ली. आप भी अगर शराब का सेवन करते हैं तो अपनी इस लत को परिवार या पत्‍नी से भले ही छुपाएं, लेकिन बीमा कराते वक्‍त इंश्‍योरेंस कंपनी से छुपाने की गलती भुलकर भी न करें. अगर आप ऐसा करते हैं तो बीमा कंपनी आपको क्‍लेम देने से मना कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में कहा है कि यदि कोई पॉलिसीधारक बीमा खरीदते समय शराब के सेवन की जानकारी छिपाता है तो बीमा कंपनी को उसका दावा खारिज करने का अधिकार है.

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा ‘जीवन आरोग्य’ योजना के तहत एक पॉलिसीधारक के अस्पताल में भर्ती होने पर हुए खर्च की भरपाई न करने के फैसले  को सही बताते हुए कहा कि शराब की लत की जानकारी देना जरूरी है. एलआईसी  ने यह तर्क दिया कि पॉलिसीधारक ने अपने शराब सेवन की आदत को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था.

क्या था मामला?इस केस में एक व्यक्ति ने 2013 में ‘जीवन आरोग्य’ पॉलिसी खरीदी थी.  पॉलिसी के तहत पॉलिसीधारक नॉन-आईसीयू में भर्ती होने पर ₹1,000 प्रति दिन और आईसीयू में भर्ती होने पर ₹2,000 प्रति दिन का खर्च एलआईसी को अस्‍पताल को देना था. पॉलिसी खरीदने के एक साल बाद, उसे गंभीर पेट दर्द के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और एक महीने के भीतर उसकी मृत्यु हो गई. पॉलिसीधारक की पत्नी ने LIC से क्लेम दायर किया. लेकिन LIC ने दावा खारिज कर दिया. LIC ने कहा कि मृतक ने अपने लंबे समय से चले आ रहे शराब की लत के बारे में जानकारी छिपाई थी.

एलआईसी ने ‘जीवन आरोग्य योजना’ के क्लॉज 7(xi) का हवाला देते हुए कहा कि यह योजना “आत्म-नुकसान, आत्महत्या का प्रयास और किसी भी तरह के नशीले पदार्थों या शराब के उपयोग या दुरुपयोग तथा उससे उत्पन्न जटिलताओं” को कवर नहीं करती है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?मृतक की पत्नी ने पहले उपभोक्ता फोरम का रुख किया, जिसने एलआईसी  को मेडिकल खर्च की भरपाई करने का निर्देश दिया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के आदेश से असहमति जताई. अदालत ने कहा कि “मृतक की शराब की लत एक पुरानी समस्या थी, जिसे उसने बीमा खरीदते समय जानबूझकर छिपाया था.” चूंकि उसने महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई थी, इसलिए LIC का दावा अस्वीकार करना उचित था.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 31, 2025, 14:02 ISThomebusinessपीने वाले ध्यान दें! बीमा कराते वक्त एक पैग भी छुपाया तो कोर्ट भी नहीं सुनेगा

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