Yes Bank News : जापान के दूसरे सबसे बड़े बैंक सुमिटोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्प (SMBC) ने भारत के यस बैंक में 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9 मई 2025 को SMBC बैंक ने तय किया कि वह भारत के कुल 13,483 करोड़ रुपये खर्च करके हिस्सेदारी लेगा. ये पैसा वो सीधे बैंक को नहीं, बल्कि पहले से निवेश कर चुकी बैंकों से हिस्सेदारी खरीदने में लगाएगा. इस सौदे के तहत सबसे बड़ी हिस्सेदारी बेचने वाला बैंक है भारतीय स्टेट बैंक (SBI). भारतीय स्टेट बैंक अपनी 13.19% हिस्सेदारी 8,889 करोड़ रुपये में बेचेगा.
बाकी 6.81 फीसदी हिस्सेदारी सात अन्य बैंक मिलकर 4,594 करोड़ रुपये में बेचेंगे. इन सात बैंकों में एक्सिस बैंक, बंधन बैंक, फेडरल बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं. इन सभी बैंकों ने मार्च 2020 में यस बैंक को संकट से निकालने के लिए उसमें निवेश किया था. अब जब बैंक धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रहा है, तब ये बैंक अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं.
इस खबर के सामने आते ही यस बैंक के शेयरों में भी जोश आ गया. 9 मई को BSE में यस बैंक के शेयर 10 फीसदी बढ़कर 20.05 रुपये तक पहुंच गए. 5 फरवरी के बाद यह सबसे इस शेयर का सबसे ऊंचा स्तर है. दो दिन पहले भी एक ऐसी ही खबर आई थी. कहा गया था कि सुमिटोमो बैंक इसमें 50 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी लेने वाला है. बाद में हालांकि यस बैंक ने खुद उस खबर का खंडन किया था.
अब यस बैंक ने क्या कहा?यस बैंक ने कहा कि यह सौदा भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है. हालांकि इस सौदे को पूरा होने में अभी थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि इसे भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग जैसी संस्थाओं की मंजूरी लेनी होगी.
SMBC जापान की सुमिटोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप की एक यूनिट है और जापान का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है. यस बैंक का कहना है कि इस सौदे से उन्हें SMBC के वैश्विक अनुभव और उच्चतम मानकों वाले कामकाज से बहुत कुछ सीखने और आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
यस बैंक के CEO प्रशांत कुमार ने कहा कि SMBC को अपने शेयरधारक के रूप में जोड़कर बैंक के विकास की अगली यात्रा और भी मजबूत होगी. उन्होंने SBI का भी धन्यवाद किया, जिसने संकट के समय बैंक को समर्थन दिया था.
SMBC ने क्या कहा?SMBC के CEO और अध्यक्ष ने कहा कि भारत उनके लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है और वे यहां की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में लॉन्ग टर्म संभावनाएं देखते हैं. उन्होंने यस बैंक के साथ साझेदारी को लेकर खुशी जताई और इसे एक मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले रिश्ते की शुरुआत बताया.
फिलहाल यस बैंक में एडवेंट इंटरनेशनल और कार्लाइल जैसे बड़े प्राइवेट इक्विटी निवेशक भी हैं, जिनकी क्रमशः 9.2 फीसदी और 6.84 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के पास भी 3.98 फीसदी हिस्सेदारी है.
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी बैंकों के लिए नियम काफी सख्त हैं, जैसे स्वामित्व पर रोक, ज्यादा पूंजी की जरूरत और सरकारी बैंकों का दबदबा. यही वजह है कि भारत में विदेशी बैंकों का सीधा दखल कम रहा है. इससे पहले 2020 में DBS ग्रुप ने लक्ष्मी विलास बैंक का अधिग्रहण किया था, जो अब तक का आखिरी बड़ा विदेशी सौदा माना जाता है.
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