बिजनेस क्‍लास की फ्लाइट में क्‍या है सबसे बड़ी कमी, सफल कारोबारी ने किया खुलासा

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Last Updated:July 07, 2025, 16:58 ISTYesMadam Founder : 300 करोड़ से ज्‍यादा मार्केट कैप वाली कंपनी के फाउंडर ने बताया कि क्‍यों वे अपने परिवार और बच्‍चों के साथ बिजनेस क्‍लास की फ्लाइट यात्रा नहीं करते. उन्‍होंने कहा कि अब वे परिवार के साथ इकनॉमी…और पढ़ेंस्‍टार्टअप यसमैडम के फाउंडर ने बिजनेस क्‍लास की कमी का खुलासा किया है. हाइलाइट्समयंक आर्य ने बिजनेस क्लास की कमी बताई.आर्य परिवार के साथ इकनॉमी क्लास में सफर करते हैं.इकनॉमी क्लास में परिवार के साथ जुड़ाव महसूस होता है.नई दिल्‍ली. पैसा हाथ में आते ही ज्‍यादातर लोग एक ही बात सोचते हैं, लग्‍जरी लाइफ. खुद के और अपने परिवार के लिए हर वो सुख-सुविधा उपलब्‍ध कराना, जो हर आदमी का सपना होता है. आलीशान घर, लग्‍जरी कार और सफर भी हो तो फ्लाइट के बिजनेस क्‍लास में. हम में से कितने ही लोग होंगे, जो बिजनेस क्‍लास में सफर करने का सपना संजोये हुए हैं. लेकिन, इस बीच एक बिजनेसमैन की बातों ने इन सभी ख्‍यालों को पलटकर रख दिया. 300 करोड़ रुपये से ज्‍यादा के मार्केट कैप वाली कंपनी के फाउंडर ने बताया कि वे परिवार के साथ फ्लाइट के बिजनेस क्‍लास में यात्रा क्‍यों नहीं करते हैं.

घर पर ब्‍यूटी और स्‍पा सेवाएं उपलब्‍ध कराने वाले स्‍टार्टअप YesMadam के फाउंडर और सीईओ मयंक आर्य ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म LinkedIn पर एक पोस्‍ट में बिजनेस क्‍लास की सबसे बड़ी कमी का खुलासा किया. उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों और परिवार के साथ अब वे फ्लाइट के बिजनेस लस में सफर नहीं करते हैं. इसके बजाय इकनॉमी क्‍लास को ज्‍यादा तरजीह देते हैं. उन्‍होंने कहा कि सिर्फ एक बार बिजनेस क्‍लास में यात्रा किया था, उसके बाद बंद कर दिया. अब बच्‍चों और परिवार के साथ सिर्फ इकनॉमी क्‍लास में सफर करते हैं.

बिजनेस क्‍लास छोड़ने का कारण
LinkedIn पर अपनी पोस्ट में आर्य ने बच्चों के साथ बिजनेस क्लास में पहली बार यात्रा का अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि सीटें अधिक आरामदायक थीं, भोजन बेहतर था और बोर्डिंग भी सुविधाजनक थी, लेकिन इस अनुभवों में एक महत्वपूर्ण तत्व की कमी थी, ‘जुड़ाव’. वहां आरामदायक सीटें, प्रायोरिटी वाली बोर्डिंग, बेहतर भोजन सबकुछ था. बस एक चीज नहीं थी, गर्मजोशी और अपनापन. अपनों के साथ रहने का एहसास. यही कारण है कि दोबारा बच्‍चों और परिवार के साथ बिजनेस क्‍लास में सफर नहीं किया.

क्‍यों पसंद है इकनॉमी क्‍लास का सफरआर्य के अनुसार, बिजनेस क्लास की व्यवस्था के कारण परिवार उड़ान के दौरान शारीरिक रूप से अलग हो गया था. सीटें दूर थीं. हम साथ नहीं बैठ सके. न कोई खेल, न कोई मजेदार पहेलियां, न हर 5 मिनट में ‘पापा, कितनी देर और?’ पूछना. परिवार के रूप में एकसाथ रहने का मौका नहीं मिला. जब वे इकनॉमी क्लास में यात्रा करते हैं तो वहां सीटें पास-पास होती हैं और परिवार के साथ बिताए गए पल अधिक यादगार होते हैं. ‘इकनॉमी में हम हमेशा साथ बैठे रहते हैं. थोड़ा एडजस्ट करके, थोड़ा हंसकर. हमने खेल खेलते हैं, खाना साझा करते हैं और हेडफोन पास करते हैं. असल में हम असली यादें बनाते हैं.’

पैरेंटिंग की हो रही तारीफआर्य ने लिखा, ‘बच्‍चों को स्‍ट्रगल भी दिखाना है, आकांझाएं भी जगानी हैं. तभी तो वो खुद बिजनेस क्‍लास अफोर्ड करेंगे. ऐसा नहीं कि सिर्फ पापा ने अरेंज कर दिया.’ उन्‍होंने आगे लिखा, बच्‍चे और परिवार अगली यात्रा इकनॉमी में पूरी करेंगे, क्‍योंकि लग्‍जरी से आपका आचरण नहीं बनता, संघर्ष ऐसा करता है और ज्‍यादातर संघर्ष ही ऐसा कर पाता है.Pramod Kumar Tiwariप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ेंप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessबिजनेस क्‍लास की फ्लाइट में क्‍या है सबसे बड़ी कमी, सफल कारोबारी का खुलासा

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