Last Updated:January 30, 2025, 16:33 IST2025 का केंद्रीय बजट घरेलू आर्थिक विकास की मंदी और वैश्विक अनिश्चितता के बीच पेश किया जा रहा है. घरेलू बाजारों में गिरावट, विदेशी निवेशकों का पलायन, और उपभोक्ता व्यय में कमी ने निवेशकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. …और पढ़ेंहाइलाइट्स2025 का केंद्रीय बजट घरेलू आर्थिक मंदी के बीच पेश किया जा रहा है.निवेशकों को बजट से आर्थिक सुधार की उम्मीदें हैं.बजट के बाद बाजार में बड़ा उछाल आने की संभावना कम है.2025 का केंद्रीय बजट एक ऐसे समय पर पेश किया जा रहा है, जब देश की घरेलू अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ रही है. ग्लोबल स्तर पर भी कई तरह की अनिश्चितताएं हैं. पिछले कुछ महीनों से बाजारों में निवेशकों का मनोबल गिरा है, और उनके पोर्टफोलियो में लाल रंग का बोलबाला है. ऐसे में बाजार के एक बड़े हिस्से की नजरें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर टिकी हैं, जो इस गिरते हुए मनोबल को संभाल सकें. कुछ लोग ऐसी सलाह भी दे रहे हैं कि बजट से पहले शेयर खरीद लो, बजट के बाद खूब तगड़ा उछाल आएगा. लेकिन क्या सच में बजट से पहले शेयर उठा लिए जाने चाहिए? चलिए जानते हैं-
भारतीय बाजार सितंबर 2024 में अपने चरम स्तर से नीचे आ गए हैं, और हाल के दिनों में गिरावट की स्पीड और तेज हो गई है. बाजार के ब्रॉडर लेवल पर गिरावट कहीं ज्यादा है. घरेलू मंदी के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी पारी की नीतियों ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दिया है, क्योंकि उनका नारा है- अमेरिका को फिर से महान बनाना है.
बाजार में गिरावट के मूल कारणमनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, शेयर बाजार में हुई इस गिरावट का एक प्रमुख कारण घरेलू मंदी है, जिसने कंपनियों की कमाई को प्रभावित किया है. वित्तीय वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की 8.4 प्रतिशत विकास दर से काफी कम है. वित्तीय वर्ष 2025 की पहली छमाही में निवेश पिछड़ गया है, जिसके पीछे चुनाव, गर्मी इत्यादी कारण थे. हाल के महीनों में उपभोक्ता खर्च में भी कमी देखी जा रही है. खासकर शहरी उपभोक्ताओं का खर्च कम होना चिंता की बात है. इसी वर्ग ने कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की थी.
हालांकि बजट से जुड़ी अपेक्षाएं काफी सीमित हैं, फिर भी कुछ लोग वित्त मंत्री से आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने वाले कदमों की उम्मीद कर रहे हैं.
क्या बजट के बाद उछलेगा बाजार?बजट से जुड़ी अपेक्षाएं यह हैं कि यह विकास की राह पर चलते हुए एक सामान्य बजट होगा. ऐसे में, बजट के बाद बाजारों में कोई बड़ा एक्शन होने की उम्मीद नहीं है, खासकर पिछले महीने की तेज गिरावट के बाद. हालांकि, फिस्कल कंसोलिडेशन के रोडमैप से हटना बाजार के मनोबल को गिरा सकता है. इसका मतलब है कि अगर सरकार अपने वित्तीय घाटे को कम करने की योजना (Fiscal Consolidation Roadmap) पर कायम नहीं रहती या उसे पूरा नहीं कर पाती, तो इसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
दरअसल, सरकार ने एक प्लानिंग बनानी होती है कि कैसे अपने खर्च और कर्ज को कंट्रोल करके अर्थव्यवस्था को स्थिर रखे. अगर वह इस योजना में नाकामयाब रहती है, और ज्यादा कर्ज लेती या अनावश्यक खर्च बढ़ाती है, तो निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है. इससे शेयर बाजार और गिर सकता है.
वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी के 4.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में ज्यादा जोखिम नहीं दिखता, भले ही टैक्स रेवेन्यू का अनुमान मामूली हो, और पूंजीगत व्यय और उपभोक्ता व्यय को बढ़ावा देने की आवश्यकता हो.
क्या अभी और गिर सकता है शेयर बाजार?मनीकंट्रोल के अनुसार, बॉन्ड यील्ड (10 साल की सरकारी बॉन्ड पर रिटर्न) और अर्निंग यील्ड (P/E अनुपात का उल्टा) के बीच का अंतर बाजार की स्थिति को समझने में मदद करता है. यह अंतर बाजार के निचले स्तर पर सिकुड़ता है और उच्च स्तर पर बढ़ता है. पिछले 18 वर्षों में, जब बाजार अपने निचले स्तर पर था, तो यह अंतर औसतन 1.06% था. इस आधार पर, निफ्टी 22,000 तक गिर सकता है, जो अभी के स्तर (23,251) से 5% कम है.
बजट के बाद शेयर बाजार का प्रदर्शनपिछले पांच में से चार बार, जब बाजार का मूल्यांकन 19 गुना से कम था (एक साल आगे की अनुमानित कमाई के हिसाब से), तब बजट के बाद एक महीने में पॉजिटिव रिटर्न मिला. इसका मतलब है कि जब बाजार अपेक्षाकृत सस्ता होता है, तो बजट के बाद निवेशकों को आमतौर पर फायदा हुआ है.
जनवरी में बाजार में जो गिरावट देखी गई, उसके मुख्य कारण घरेलू आर्थिक वृद्धि से जुड़ी चुनौतियां, डॉलर की मजबूती, और अमेरिका में ट्रंप सरकार के आने को लेकर अनिश्चितता रही. इन कारकों की वजह से निवेशकों में घबराहट बढ़ी, जिससे बाजार में अस्थिरता देखने को मिली.
निवेशकों के लिए क्या संदेश है?पुराने आंकड़े खंगालें तो, मुश्किल समय में भी लंबी अवधि के लिए निवेश के अच्छे मौके होते हैं. जब बाजार में कमजोरी रहती है, तब लॉन्ग टर्म निवेशकों को अच्छी कंपनियों में निवेश करने का अवसर मिलता है, क्योंकि समय के साथ बाजार फिर से मजबूत हो सकता है.
लंबी अवधि के निवेशकों को शेयर बाजार में अच्छी तरह रिसर्च किए गए स्टॉक्स या इंडेक्स में धीरे-धीरे निवेश बढ़ाना चाहिए. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, बजट से बाजार पर नेगेटिव असर पड़ने की संभावना कम है, इसलिए इसे निवेश के मौके के रूप में देखना चाहिए.
(Disclaimer: यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशिक की गई है. यदि आप इनमें से किसी भी शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 30, 2025, 16:31 ISThomebusinessपरसों बजट, बीच में कल का दिन बाकी; तो क्या खरीद लूं शेयर? जानिए सही जवाब
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