Last Updated:March 24, 2025, 19:00 ISTSEBI Board Meeting: सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांता पांडेय ने बड़ा फैसला किया है. दरअसल, सेबी बोर्ड ने एफपीआई के लिए ग्रेन्यूलर डिस्क्लोजर की थ्रेसहोल्ड को दोगुना कर 50,000 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दी.सेबी के चेयरमैन तुहिन कांता पांडेहाइलाइट्सFPI के लिए डिस्क्लोजर की थ्रेसहोल्ड हुई दोगुनी.विदेशी निवेशकों के लिए नियम आसान होंगे.भारतीय शेयर बाजार में तेजी की संभावना.SEBI Board Meeting: सेबी बोर्ड ने सोमवार (24 मार्च) को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए ग्रेन्यूलर डिस्क्लोजर की थ्रेसहोल्ड को 25,000 करोड़ रुपये से दोगुना कर 50,000 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दी. आसान भाषा में कहें तो पहले जिन एफपीआई को 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश करने पर ज्यादा जानकारी देनी पड़ती थी, अब यह थ्रेसहोल्ड 50 हजार करोड़ रुपये हो गई है. ये डिस्क्लोजर पीएमएलए/पीएमएलआर नियमों का पालन सुनिश्चित करने से जुड़े हैं.
सेबी के नए चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने कहा है कि भारत की रेगुलेटरी पॉलिसी का मकसद उन्हें (एफपीआई) डराना नहीं, बल्कि उनकी भागीदारी को सुविधाजनक बनाना है. उन्होंने कहा कि सेबी का मकसद मजबूत, पारदर्शी और निवेशक-हितैषी बाजार बनाना है. एफपीआई को तय करना है कि उन्हें कहां निवेश करना है और किस तरह के रिटर्न की अपेक्षा है. सेबी उन्हें ऐसा रेगुलेटरी माहौल देने का प्रयास कर रहा है जो उन्हें भारत में निवेश के लिए आकर्षित करे.
SEBI के नए फैसले का भारतीय शेयर बाजार पर असर
1. विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हो सकती हैअब उन निवेशकों के लिए नियम आसान हो जाएंगे जो भारतीय बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं. जब निवेशकों को कम कागजी कार्रवाई करनी पड़ेगी, तो वे भारत में ज्यादा पैसा लगा सकते हैं. इससे शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है.
2. बाजार में सकारात्मक माहौल बनेगाSEBI का यह कदम निवेशकों को भरोसा देगा कि भारत में निवेश के नियम लचीले और अनुकूल हैं. खासकर बैंकिंग, आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ सकता है, जिससे इनके शेयरों की कीमतें ऊपर जा सकती हैं.
3. छोटे विदेशी निवेशकों को राहत मिलेगीपहले जिन निवेशकों को 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश करने पर ज्यादा जानकारी देनी पड़ती थी, अब यह सीमा 50,000 करोड़ रुपये हो गई है. इससे छोटे निवेशकों पर कम दबाव पड़ेगा और वे ज्यादा सहजता से भारत में निवेश कर पाएंगे.
4. मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर असरबड़े निवेशक ज्यादातर बड़ी कंपनियों (लार्ज-कैप स्टॉक्स) में पैसा लगाते हैं. अगर विदेशी निवेश सिर्फ बड़ी कंपनियों में ही बढ़ता है, तो मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में ज्यादा असर नहीं दिख सकता.
5. भारतीय रुपये पर असरअगर विदेशी निवेश बढ़ता है, तो रुपये की मांग भी बढ़ सकती है, जिससे भारतीय रुपया मजबूत हो सकता है. रुपये की मजबूती से तेल और गैस कंपनियों को फायदा होगा, लेकिन आईटी और फार्मा कंपनियों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि उनकी कमाई विदेशी मुद्रा में होती है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 24, 2025, 18:15 ISThomebusinessसेबी ने विदेशी निवेशकों को कर दिया खुश, शेयर बाजार अब दौड़गा नहीं… उड़ेगा
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