इंडसइंड बैंक को डुबोने वाले 5 बड़े अधिकारियों पर गिरी गाज, इस मामले में पाए गए दोषी

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नई दिल्ली. इनसाइड ट्रेडिंग के गंभीर आरोपों में इंडसइंड बैंक के पूर्व CEO सुमंत कठपालिया समेत 5 सीनियर अफसरों पर SEBI ने बड़ा एक्शन लिया है. सेबी ने बुधवार को इन सभी लोगों को शेयर बाजार से जुड़े किसी भी लेन-देन से रोक दिया है. साथ ही इन लोगों से ₹19.78 करोड़ की रकम भी जब्त कर ली गई है. यह आदेश अंतरिम (अस्थायी) रूप से जारी किया गया है.

जिन अधिकारियों पर बैन लगा है, उनमें पूर्व डिप्टी CEO अरुण खुराना, ट्रेजरी हेड सुशांत सौरव, ऑपरेशंस मैनेजर रोहन जथन्ना और कंज्यूमर बैंकिंग एडमिन हेड अनिल राव शामिल हैं. SEBI के मुताबिक, इन सभी ने कंपनी के शेयरों में उस वक्त ट्रेडिंग की, जब उनके पास ऐसी जानकारी थी जो अभी पब्लिक के सामने नहीं आई थी. इसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है और यह कानून के खिलाफ है.

आरबीआई के सर्कुलर में दी गई जानकारी

यह जानकारी एक अहम सर्कुलर से जुड़ी थी, जो RBI ने जारी किया था और जिससे बैंक के बिजनेस पर बड़ा असर पड़ा. बैंक के अंदरूनी अधिकारियों को इस RBI सर्कुलर का असर पहले से पता था, और उन्हीं दिनों उन्होंने ट्रेडिंग की. सेबी की जांच में यह साफ हुआ कि इन अधिकारियों ने अपने पद का गलत फायदा उठाकर निजी मुनाफा कमाने की कोशिश की.

टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ जांच

यही नहीं, कुछ दिन पहले ही यह खबर आई थी कि सेबी इंडसइंड बैंक के टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ करीब ₹3,400 करोड़ के कथित घोटाले की भी जांच कर रहा है. माना जा रहा है कि इसमें अकाउंटिंग फ्रॉड और गंभीर गड़बड़ियों की आशंका है. फिलहाल इन पांचों अधिकारियों को अगले आदेश तक शेयर बाजार में किसी भी तरह की खरीद-फरोख्त से पूरी तरह बैन कर दिया गया है.

क्या है मामला?

इंडसइंड बैंक का मामला दरअसल दो अलग-अलग लेकिन आपस में जुड़े विवादों से जुड़ा है – एक है इनसाइडर ट्रेडिंग का और दूसरा है हज़ारों करोड़ के संभावित घोटाले का. नीचे आसान भाषा में पूरा मामला समझाया गया है:

इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप क्या है?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) को शक है कि इंडसइंड बैंक के 5 बड़े अधिकारी, जिनमें पूर्व CEO सुमंत कठपालिया भी शामिल हैं, ने उस वक्त बैंक के शेयर खरीदे-बेचे जब उनके पास ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी थी जो आम लोगों को नहीं पता थी. इसे कहते हैं इनसाइडर ट्रेडिंग, जो नियमों के खिलाफ है.

क्या जानकारी थी इनके पास?

RBI ने एक Master Direction (सरकारी आदेश) जारी किया था जिससे इंडसइंड बैंक के बिज़नेस पर बड़ा असर पड़ने वाला था. लेकिन जब ये आदेश पब्लिक नहीं हुआ था, तब बैंक के कुछ अंदरूनी अधिकारियों को इसका असर पहले से पता था. SEBI का आरोप है कि इन लोगों ने उसी दौरान बैंक के शेयरों की खरीद-बिक्री की और मुनाफा कमाया, जो कि कानूनन गलत है.

₹3,400 करोड़ का संभावित घोटाला क्या है?

SEBI इंडसइंड बैंक के टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ एक और बड़ी जांच कर रही है. आरोप है कि बैंक में कुछ अकाउंटिंग फ्रॉड यानी लेखा-जोखा गड़बड़ी हुई है, जिसकी वैल्यू करीब ₹3,400 करोड़ हो सकती है.

इस फ्रॉड में क्या-क्या हो सकता है?

बैंक के सीनियर अफसरों ने loan provisioning, NPA reporting और income recognition जैसे मामलों में नियमों का पालन नहीं किया. हो सकता है कि उन्होंने निवेशकों को गुमराह किया हो और बैंक की असली हालत छिपाई हो. SEBI अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है.

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इस मामले का असर क्या हो सकता है?

अगर इन आरोपों की पुष्टि हो जाती है, तो इन अधिकारियों पर कानूनी केस, जुर्माना और लंबे समय का प्रतिबंध लग सकता है. बैंक की साख (reputation) पर असर पड़ सकता है. साथ ही शेयरधारकों और निवेशकों को भी नुकसान हो सकता है.

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