Last Updated:March 21, 2025, 09:51 ISTदेश में निवेश का नया ट्रेंड उभर रहा है, लोग बैंक में पैसा रखने की बजाय शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं. वित्त मंत्रालय ने इसे खतरनाक बताया है. लोग अब बैंक खातों से पैसे निकालकर शेयर बाजार में लगा रहे हैं. हाइलाइट्सशेयर बाजार में निवेश का ट्रेंड बढ़ रहा है.वित्त मंत्रालय ने इसे खतरनाक बताया है.फरवरी 2025 में डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ पार.नई दिल्ली. देश में निवेश को लेकर अब एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. पहले जहां लोग बैंक सेविंग अकाउंट या एफडी में अपना पैसा रखना पसंद करते थे, वहीं अब शेयर बाजार से संबंधित निवेश माध्यमों को वे तव्वजो दे रहे हैं. बैंकों से पैसा निकालकर शेयर बाजार में निवेश करने की बढती प्रवृति ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं. वित्त मंत्रालय ने चेताया है कि यह चलन ने आम आदमी के हित में है और न ही बैंकों के लिए फायदेमंद. वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने संसद की स्थायी समिति को बताया है कि मोटे मुनाफे की आस में लोग अब अपनी बचत को शेयर बाजार-लिंड प्रोडक्ट्स में लगा रहे हैं. इससे उनको नुकसान हो सकता है, क्योंकि शेयर बाजार में गिरावट आना आम बात है. बाजार की गिरावट का सबसे ज्यादा असर छोटे निवेशकों पर ही होता है.
भारत में धड़ाधड़ खुल रहे डीमैट अकाउंट भी लोगों की शेयर बाजार में बढ रही रुचि को बताते हैं. फरवरी 2025 में भारत में डीमैट खातों की संख्या 19 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई. फरवरी में 23 लाख नए डीमैट खाते खुले. जनवरी 2025 में 28 लाख नए डीमैट खाते खुले थे. NSDL और CDSL के साथ रजिस्टर्ड डीमैट खातों की कुल संख्या अब 19.04 करोड़ तक पहुंच गई. डीमैट खातों की संख्या में वृद्धि बता रही है कि शेयर बाजार और इससे संबंधित निवेश विकल्पों में लोग ज्यादा पैसा लगा रहे हैं.
क्यों खतरनाक है ये ट्रेंडवित्त मंत्रालय ने संसदीय समिति को बताया कि लोग ज्यादा मुनाफे की उम्मीद में शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और बाजार से जुड़े अन्य निवेश साधनों में पैसा लगा रहे हैं. शेयर बाजार में किया गया निवेश जोखिमों के अधीन होता है. आम आदमी इनके बारे में ज्यादा नहीं जानता. लिहाजा उसे नुकसान होने की आशंका ज्यादा होती है. बाजार में आई गिरावट उसकी पूरी बचत को साफ कर सकती है. बैंकों में रखा पैसा सुरक्षित रहता है.
बैंकों में पैसा जमा कराने में लोगों की घटती रुचि देश के बैंकिंग सिस्टम के लिए भी खतरे की घंटी है. बैंकों में जमा राशि घटने से उनकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है. बैंकों को फंड जुटाने में दिक्कत हो सकती है. बैंकों के पास कम पैसा होगा तो वे ज्यादा लोगों को लोन देने की स्थिति में नहीं होंगे. इससे लोन की ब्याज दरें भी महंगी हो सकती है. इसका असर आम आदमी की जेब पर होगा. जहां लोगों पर इससे आर्थिक बोझ बढेगा, वहीं बैंकिंग प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा.
लोगों को जागरूक करे सरकारसंसद की एक समिति ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट पेश करते हुए सरकार को बैंकों की सहायता करने और लोगों को सही निवेश निर्णय लेने के लिए जागरूक करने की सलाह दी है. समिति ने बैंकों को आकर्षक योजनाएं लाने, डिजिटल तकनीकों का अधिक उपयोग कर अपनी सेवाओं को मजबूत करने और चालू और बचत खातों में स्थिरता लाने के लिए कदम उठाने की सलाह दी है. साथ ही सरकार को भी आम लोगों को निवेश को लेकर जागरूक करने के लिए भी कदम उठने की सलाह समिति ने दी है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 21, 2025, 09:49 ISThomebusinessचल पड़ा ऐसा चलन, जो न आम आदमी के लिए अच्छा और न ही सरकार के लिए!
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