सैफ अली खान के इंश्योरेंस क्लेम पर क्यों मचा है बवाल, आम आदमी के साथ भेदभाव?

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Last Updated:January 23, 2025, 19:33 ISTसैफ अली खान के स्वास्थ्य बीमा दावे के लीक होने से बीमा कंपनियों की असमानता पर बहस छिड़ी है. नीवा बूपा ने उनके ₹35,95,700 के दावे में से ₹25 लाख मंजूर किए। इस घटना ने आम आदमी और मशहूर हस्तियों के दावों में भेदभा…और पढ़ेंसैफ अली खान ने 36 लाख रुपये का क्लेम किया था. हाइलाइट्ससैफ अली खान के बीमा दावे पर विवाद छिड़ा.नीवा बूपा ने ₹35,95,700 में से ₹25 लाख मंजूर किए.मध्यम वर्ग के लिए बीमा दावे में असमानता उजागर.नई दिल्ली. अभिनेता सैफ अली खान के स्वास्थ्य बीमा दावे का दस्तावेज पिछले हफ्ते माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X पर लीक हो गया, जिससे बीमा कंपनियों द्वारा मशहूर हस्तियों और आम नागरिकों के दावों को संभालने के तरीके में बड़े अंतर पर गरमागरम बहस छिड़ गई है. इस विवाद ने आपातकालीन उपचार के मामलों में स्वास्थ्य बीमा दावे दाखिल करने में मध्यम वर्ग के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया है.

लीक हुए दस्तावेज से पता चला कि खान ने अपने इलाज की अनुमानित लागत के आधार पर ₹35,95,700 का दावा किया था. उनकी बीमा कंपनी, नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस, ने ₹25 लाख मंजूर किए. सूत्रों के अनुसार, अंततः उनके अस्पताल का बिल ₹26 लाख आया.

इस दस्तावेज ने सोशल मीडिया पर चर्चाओं को जन्म दिया, जिसमें कई उपयोगकर्ताओं ने बीमा दावे की मंजूरी में असमानताओं पर चिंता व्यक्त की. मलाड के तुंगा अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉ. प्रशांत मिश्रा ने X पर अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा, “छोटे अस्पतालों और आम आदमी के लिए, नीवा बूपा ऐसे इलाज के लिए ₹5 लाख से अधिक मंजूर नहीं करेगा. फाइव-स्टार अस्पताल अत्यधिक शुल्क ले रहे हैं, और मेडिक्लेम कंपनियां उन्हें भुगतान कर रही हैं. नतीजा? प्रीमियम बढ़ रहे हैं और मध्यम वर्ग पीड़ित हो रहा है.”

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए, डॉ. मिश्रा ने इस मामले पर विस्तार से बताया कि बीमा कंपनियां अक्सर विशिष्ट उपचारों के लिए मंजूर की जाने वाली राशि निर्धारित करती हैं, चाहे मरीजों या अस्पतालों द्वारा वास्तविक लागत कितनी भी हो. उन्होंने कुछ अस्पतालों द्वारा लिए जाने वाले अत्यधिक शुल्क पर चिंता व्यक्त की, जिसे बीमा कंपनियां वापस करती हैं, जिससे अंततः सभी पॉलिसीधारकों के लिए प्रीमियम बढ़ जाते हैं.

डॉ. मिश्रा ने आगे बताया कि कई बीमाकर्ता हाई-प्रोफाइल मरीजों या लक्जरी अस्पतालों के साथ अधिक उदार होते हैं, जिससे असमानता पैदा होती है. ऐसी नीतियां मध्यम वर्ग पर असमान रूप से बोझ डालती हैं, क्योंकि बढ़ते प्रीमियम मेडिक्लेम पॉलिसियों को कम सुलभ बना देते हैं.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :January 23, 2025, 19:33 ISThomebusinessसैफ अली खान के इंश्योरेंस क्लेम पर क्यों मचा है बवाल, आम आदमी के साथ भेदभाव?

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