नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही भारत पर 26 फीसदी का सीधा टैरिफ लगा दिया हो, लेकिन आने वाले समय में इसका खास असर नहीं होगा और भारत को निश्चित तौर पर इसमें छूट मिलेगी. न्यूज 18 के राइजिंग भारत समिट 2025 के मंच पर पहुंचे इंडिया ऑफिसेज के चेयरमैन करन सिंह ने यह संभावना जताई है. उन्होंने कहा कि वियतनाम, मैक्सिको और चीन जैसे देशों की तुलना में भारत इस टैरिफ के साथ ज्यादा अच्छी पोजिशन में है और वह अमेरिका के साथ आगे मोलभाव कर सकता है.
करन सिंह ने कहा कि भारत के लिए टैरिफ के साथ अवसर भी आया है. हमें कई मुद्दों पर चीजों को सुलझाना होगा. अगर हम अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में अच्छी तरह से बातचीत कर सकते हैं तो भारत को मैन्युफैक्चरिंग में लाभ हो सकता है. यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बूस्ट साबित होगा. हमें बस यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हम अधिक एफडीआई आकर्षित करें. इसके लिए हमें वैश्विक चैंपियंस की जरूरत है, जो भारत में आकर सेटअप करें और यहां अपना उत्पादन बढ़ाएं. अगर हम चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं तो जाहिर तौर पर ग्लोबल लेवल की कंपनियों और इन्फ्रा की जरूरत होगी.
न्यूज 18 के राइजिंग भारत समिट 2025 में मौजूद उद्योग जगत के दिग्गज.
भारत के साथ कम व्यापार घाटाकरन सिंह ने कहा कि अमेरिका ने अभी भले ही हमारे सभी उत्पादों पर 26 फीसदी का सीधा टैरिफ लगा दिया है, लेकिन दूसरे देशों के मुकाबले हम मोलभाव करने की बेहतर स्थिति में हैं. अमेरिका का व्यापार घाटा दूसरे देशों के साथ काफी ज्यादा है. वियतनाम के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 125 अरब डॉलर का है तो मैक्सिको के साथ 118 अरब डॉलर का. लेकिन, भारत के साथ उसका सालाना व्यापार घाटा 40 से 50 अरब डॉलर के बीच ही है. लिहाजा हम अमेरिका के साथ आगे निगोशिएशन कर सकते हैं. कुछ डेयरी प्रोडक्ट को छोड़कर, बाकी सभी पर टैरिफ में राहत मिलने की पूरी संभावना है.
जल्दबाजी में नहीं है ऐपलयह पूछे जाने पर कि अमेरिकी टेक दिग्गज ऐपल ने हाल में ही भारत से अपना उत्पादन बढ़ाना शुरू किया था कि टैरिफ का असर उस पर भी पड़ने की आशंका है. इस पर करन सिंह ने कहा कि ऐपल अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. वह भारत छोड़ने का फैसला नहीं करने वाली, क्योंकि उसे भी टैरिफ घटने की उम्मीद है. भारत में फार्मा सेक्टर अच्छी स्थिति में है. फिलहाल हमारा फोकस नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र उद्योग पर होना चाहिए, जिनके भारत से बाहर जाने की संभावना नहीं है.
बेहतर स्थिति में भारतीय कंपनियां : मेमानीग्लोबल एजेंसी अन्र्स्ट एंड यंग (EY) इंडिया के राजीव मेमानी ने कहा कि कंपनियों को अपनी क्षमता बनाने में समय लगता है. फिलहाल अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीज और संतुलन बनाने के लिए भारत ज्यादा बेहतर स्थिति में है. यहां की ज्यादातर कंपनियां और इंडस्ट्री भी टैरिफ कम कराने को लेकर बेहतर पोजिशन में हैं. अधिकांश उत्पादों में अगर ड्यूटी रेट्स कम हो जाएं तो यह भारत के लिए बहुत अधिक लाभकारी होगा. ज्यादातर उद्योग टैरिफ ड्यूटी घटाने के लिए खुले हैं, जिससे अमेरिका से समझौता करना आसान होगा.
धीमा पड़ जाएगा निवेश : जैनबीसीजी इंडिया के प्रमुख, एमडी व सीनियर पार्टनर राहुल जैन ने कहा कि टैरिफ की वजह से सरकार के कुछ निर्णय लेने में देरी हो सकती है और पूंजीगत खर्च में कमी की आशंका है. कुछ समय के लिए अनिश्चितता का माहौल रहेगा जिससे निवेश भी धीमा पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि अगर हमें 8-9% की दर से विकास करना है तो मैन्युफैक्चरिंग बढ़ानी होगी. हालांकि, ग्लोबल ट्रेंड की परवाह किए बिना घरेलू खपत बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है. भारत की विकास दर में एमएसएमई का बड़ा रोल रहेगा. ऑटो उद्योग के लिए तो यह क्षण मारुति जैसा है, जहां पूरे इकोसिस्टम का निर्माण करना जरूरी होगा.
सरकार के कामकाज से उत्साहित : रंजनपीक XV के प्रबंधन निदेशक और पार्टनर्स रंजन आनंदन का कहना है कि भारत ने अप्लीकेशन लेवल पर तेज उड़ान भरी है. सरकार ने जो विकास और विनिर्माण के जो मॉडल विकसित किए हैं, उससे कंपनियां उत्साहित हैं. आने वाले समय में भारत के पास अच्छी फंडिंग वाले 4-5 लैब होंगे, जहां से बेहतरीन टैलेंट सामने आएगा. इसका सीधा लाभ उद्योगों और अर्थव्यवस्था को मिलेगा.
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