आपको भी खरीदनी है घर और गाड़ी, आरबीआई जल्‍द देने वाला है बड़ी खुशखबरी!

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Last Updated:February 28, 2025, 07:32 ISTLoan Interest Rate : रिजर्व बैंक ने फरवरी की शुरुआत में ही 0.25 फीसदी रेपो रेट घटाया था और एक बार फिर इसमें कटौती की गुंजाइश बन रही है. एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई के काबू में आने की वजह से आरबीआ…और पढ़ेंआरबीआई ने हाल में ही रेपो रेट में कटौती की थी. हाइलाइट्सआरबीआई ने रेपो रेट 0.25% घटाया.अप्रैल में फिर से ब्याज दरों में कटौती संभव.महंगाई कम होने से ब्याज दर कटौती की गुंजाइश.नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक ने करीब 3 साल बाद रेपो रेट में कटौती कर मकान और गाड़ी खरीदने वालों को बड़ा तोहफा दिया है. आरबीआई की पिछली एमपीसी बैठक में इस कटौती से लोन की ब्‍याज दरों में सीधे 0.25 फीसदी की कमी आई है. बाजार विश्‍लेषकों का कहना है कि ब्‍याज दरों में कटौती का सिलसिला अभी थमा नहीं है और आरबीआई आगे भी रेपो रेट घटाने का फैसला ले सकता है. अप्रैल में होने वाली एमपीसी की अगली बैठक में एक बार फिर 0.25 फीसदी की कटौती दिख रही है.

प्रतिष्ठित शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है कि खुदरा महंगाई के जनवरी महीने में कम होकर 4.3 प्रतिशत पर आने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए नीतिगत दर में कटौती को लेकर गुंजाइश बढ़ी है. फरवरी की शुरुआत में नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था, जबकि अप्रैल में फिर मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक होनी है.

प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बदल रही अर्थव्‍यवस्‍थासमीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद कुछ प्रमुख आंकड़े अर्थव्‍यवस्‍था में बदलाव के संकेत दे रहे हैं. इसमें विनिर्माण के लिए खरीद प्रबंधक सूचकांक, जीएसटी संग्रह और वाहन बिक्री जैसे बड़े सूचकांक शामिल हैं. शोध संस्थान ने कहा कि सकल और शुद्ध रूप से जीएसटी संग्रह में पिछले महीने क्रमशः 12.3 प्रतिशत और 10.9 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई, जबकि दिसंबर 2024 में इसमें क्रमश: 7.3 प्रतिशत और 3.3 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई थी.

महंगाई और कृषि क्षेत्र से मिल रही मददएनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में कमी (सकल मुद्रास्फीति 4.3 प्रतिशत) ने आरबीआई के लिए नीतिगत मोर्चे पर गुंजाइश बना दी है. कृषि क्षेत्र में भी मजबूती दिख रही है, जो मुद्रास्फीति नियंत्रण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अच्छा संकेत है.’ जाहिर है कि आरबीआई को महंगाई और कृषि क्षेत्र का साथ मिल रहा है और यह रेपो रेट में और कटौती के लिए प्रेरित कर सकता है.

विदेशी निवेशकों से सावधान रहने की जरूरतपूनम गुप्‍ता के अनुसार, एक अन्य कारक जिस पर नजर रखने की जरूरत है, वह है एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की लगातार पूंजी निकासी. अध्ययनों से पता चलता है कि एफआईआई प्रवाह घरेलू कारकों की तुलना में बाहरी कारकों से अधिक प्रेरित होता है और इसलिए इसकी प्रकृति काफी अस्थिर है. अतीत की तरह, भारत से एफआईआई की निकासी का मौजूदा चरण वैश्विक घटनाक्रमों का परिणाम है. जाहिर है कि इस पर आरबीआई का कोई जोर नहीं है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :February 28, 2025, 07:32 ISThomebusinessआपको भी खरीदनी है घर और गाड़ी, आरबीआई जल्‍द देने वाला है बड़ी खुशखबरी!

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