क्या है असली ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, सिर्फ सरकारी रैंकिंग से तय होता है निवेश?

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क्या है असली ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, सिर्फ सरकारी रैंकिंग से तय होता है निवेश?

नई दिल्ली. भारत में पिछले कुछ वर्षों में Ease of Doing Business को लेकर बड़ी प्रगति हुई है. नियमों को सरल बनाया गया, मंजूरी प्रक्रियाओं में तेजी लाई गई और निवेश को आकर्षित करने के लिए कई सुधार किए गए. लेकिन क्या निवेश केवल सरकारी रैंकिंग और रिपोर्ट्स के आधार पर आता है? क्या कोई उद्योगपति सिर्फ यह देखकर निवेश करेगा कि किसी राज्य की बिजनेस रैंकिंग कितनी ऊपर है?

असल में, निवेश का निर्णय इससे कहीं ज्यादा व्यापक होता है. उद्योगपति यह देखते हैं कि लागत कितनी आएगी, मंजूरी कितनी जल्दी मिलेगी, सरकारी नीति कितनी स्थिर है, और वहां काम करने वालों के लिए जीवन कैसा रहेगा. यह सिर्फ ‘Doing Business’ की नहीं, बल्कि ‘Living and Growing Business’ की बात है.

निवेश सिर्फ कागजों पर नहीं, ज़मीन पर दिखना चाहिएसरकारी रिपोर्ट्स और रैंकिंग अक्सर यह दिखाती हैं कि कौन-सा राज्य व्यापार के लिए सबसे अच्छा है. लेकिन जब असल निवेश की बात आती है, तो कई बार नतीजे अलग होते हैं.

आंध्र प्रदेश को 2019 में भारत का सबसे अच्छा व्यापार-अनुकूल राज्य बताया गया, लेकिन निजी निवेश के मामले में यह आठवें स्थान पर रहा.

कर्नाटक, जिसने 2019-20 में सबसे ज्यादा निजी निवेश हासिल किया, व्यापार-अनुकूल राज्यों की सूची में 17वें स्थान पर था.

इसी तरह, तेलंगाना, तमिलनाडु और पंजाब को ‘टॉप अचीवर्स’ बताया गया, लेकिन निवेश के मामले में वे काफी पीछे रह गए.

इसका मतलब क्या है?इसका साफ संकेत है कि निवेशकों के लिए सिर्फ आसान प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि कई और चीज़ें मायने रखती हैं—जैसे बुनियादी ढांचा, श्रमिकों के लिए जीवन की गुणवत्ता, नीतियों की स्थिरता और लागत-प्रभावशीलता.

PRISM: निवेशकों की असली जरूरतों पर केंद्रितअब इसी अंतर को पाटने के लिए PRISM (Primus Regional Investment Suitability Matrix) नामक एक नया ढांचा पेश किया गया है. यह सिर्फ ‘Ease of Doing Business’ नहीं, बल्कि चार बड़े पहलुओं पर ध्यान देता है:

व्यापार की लागत (Cost of Doing Business) – ज़मीन, श्रम, लॉजिस्टिक्स और टैक्स से जुड़ी लागत.

कारोबार की रफ्तार (Speed of Doing Business) – अनुमोदन प्रक्रिया कितनी तेज़ है, इंफ्रास्ट्रक्चर कितना तैयार है.

सरकारी समर्थन (Ease of Doing Business) – नीतियों की पारदर्शिता और सरकारी प्रक्रियाओं की सुगमता.

रहने की गुणवत्ता (Ease of Living) – अच्छे स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं, और कामगारों के लिए बेहतर जीवन.

क्या बदलेगा?अगर राज्य अपने निवेश मॉडल को सुधारना चाहते हैं, तो उन्हें सिर्फ नियमों को सरल बनाना ही नहीं, बल्कि निवेशकों की वास्तविक जरूरतों को समझकर कदम उठाने होंगे.

लॉजिस्टिक्स बेहतर हो ताकि कच्चा माल और तैयार सामान आसानी से आ-जा सके.

कर्मचारियों के लिए अच्छा रहन-सहन हो ताकि प्रतिभाशाली लोग वहां काम करने को तैयार हों.

नीतियां स्थिर और पारदर्शी हों ताकि निवेशक दीर्घकालिक योजनाएं बना सकें.

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