RBI ने जोर लगा दिया, मगर रोक नहीं पाया डॉलर के बढ़ते कदम, न ही थमी रुपये की बदहाली

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RBI ने जोर लगा दिया, मगर रोक नहीं पाया डॉलर के बढ़ते कदम, न ही थमी रुपये की बदहाली

Last Updated:January 13, 2025, 16:11 ISTRupee At Life Time Low: रुपये में लगातार जारी गिरावट भारत की इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर नहीं है. सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया टूटकर ऑल टाइम लो पर पहुंच गया.Rupee At Life Time Low: भारत की करेंसी रुपया में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. रुपये की अस्थिरता को काबू करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नियमित रूप से स्पॉट और फॉरवर्ड बाजार में हस्तक्षेप करता है. आरबीआई के प्रयासों के बाद भी इसमें गिरावट जारी है. दरअसल, भारतीय रुपया सोमवार (13 जनवरी) को एक नए ऑल टाइम लो पर पहुंच गया और 2 साल में सबसे बड़ी सिंगल डे गिरावट दर्ज करने की ओर है.

अमेरिकी डॉलर की बढ़त, स्थानीय शेयर बाजार से निकासी और सेंट्रल बैंक के सीमित हस्तक्षेप के कारण रुपया कमजोर हुआ. रुपया 86.5825 पर पहुंच गया और दिन में लगभग 0.7 फीसदी गिर गया. पिछली बार इतनी गिरावट फरवरी 2023 में देखी गई थी. दिसंबर से अब तक यह 2.3 फीसदी गिर चुका है, क्योंकि भारत की धीमी होती ग्रोथ रेट और सेंट्रल बैंक की ओर से फरवरी में दरें कम करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.

आरबीएल बैंक के ट्रेजरी हेड अंशुल चंदक ने कहा कि रुपये की गिरावट कुछ समय तक जारी रह सकती है जब तक कि सेंट्रल बैंक कुछ उपायों की घोषणा नहीं करता. चंदक का मानना है कि रुपया जल्द ही 87 के स्तर को छू सकता है और उम्मीद है कि आरबीआई अपने घटते रिजर्व का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करेगा.

10 महीने के लो पर पहुंचा भारत का विदेशी मुद्रा भंडारभारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते में 634.6 अरब डॉलर पर आ गया, जो 10 महीने के निचले स्तर पर है और सितंबर के अंत में दर्ज किए गए शिखर से 70 अरब डॉलर कम है. नोमुरा के मुताबिक, दिसंबर में एशिया में प्रतिशत के हिसाब से सबसे बड़ी गिरावट भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में देखी गई. आरबीआई रुपये की गिरावट को धीमा करने के लिए स्पॉट और फॉरवर्ड बाजार में डॉलर बेच रहा है. ट्रेडर्स ने बताया कि पिछले एपिसोड की तुलना में कम आक्रामक तरीके से सोमवार को आरबीआई ने डॉलर बेचे.

ग्लोबल दबावरुपये की कमजोरी एशियाई करेंसी के अनुरूप है, जो डॉलर इंडेक्स के 2 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद संघर्ष कर रही हैं. अमेरिकी इकोनॉमी ने दिसंबर में उम्मीद से ज्यादा नौकरियां जोड़ीं, जिससे उम्मीदें बढ़ गईं कि अमेरिका में बॉरोइंग कॉस्ट लंबे समय तक ऊंची बनी रहेगी, जिससे डॉलर को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड्स को कई महीनों के हाई पर पहुंचा देगा.

जनवरी में अब तक विदेशी निवेशकों ने निकाले 4 अरब डॉलर 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी से पहले डॉलर में तेजी आई है. हायर अमेरिकी यील्ड्स ने निवेशकों को रिस्क भरे एसेट्स से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया है, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी सोमवार को 1.2% नीचे आ गए. विदेशी निवेशक अपने भारतीय निवेशों से बाहर निकल रहे हैं और जनवरी में अब तक 4 अरब डॉलर से ज्यादा के घरेलू स्टॉक्स और बॉन्ड्स बेच चुके हैं.
Location :Mumbai,MaharashtraFirst Published :January 13, 2025, 16:03 ISThomebusinessRBI रोक नहीं पाया डॉलर के बढ़ते कदम, न ही थमी रुपये की बदहाली

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