अब इन नोटों की नहीं होगी छपाई, आरबीआई ने साफ-साफ कह दी बात

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नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा सालाना रिपोर्ट में नकदी से जुड़ा एक बड़ा बदलाव सामने आया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अब ₹2, ₹5 और ₹2000 के नोटों की छपाई पूरी तरह से बंद कर दी गई है. इसका मतलब ये हुआ कि भविष्य में इन नोटों का नया स्टॉक बाजार में नहीं आएगा. ये फैसला उस दिशा में एक और कदम है, जहां RBI नकदी के सिस्टम को सरल और व्यावहारिक बना रहा है.

₹2000 के नोट की विदाई का सिलसिला पिछले साल ही शुरू हो गया था, जब RBI ने इन्हें चलन से हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी. अब रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि मार्च 2025 तक ₹3.56 लाख करोड़ मूल्य के ₹2000 के नोटों में से 98.2% बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुके हैं. यानी ये नोट अब नाम मात्र ही बाजार में बचे हैं और इनकी छपाई भी अब स्थायी रूप से बंद कर दी गई है. इसी तरह ₹2 और ₹5 के नोटों की भी अब कोई नई छपाई नहीं की जाएगी. छोटे लेन-देन के लिए अब सिक्कों पर ही भरोसा करना होगा, क्योंकि इन मूल्य वर्गों में सिक्कों का चलन लगातार बढ़ रहा है.

सबसे ज्यादा इस्तेमाल किन नोटों का?

RBI की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल सबसे ज्यादा इस्तेमाल ₹500 के नोट का हो रहा है. ये कुल नोटों की संख्या का 40.9% हिस्सा बनाते हैं और अगर कुल मूल्य की बात करें तो इनकी हिस्सेदारी 86% है. यानी एक तरह से अब नकदी व्यवस्था ₹500 के नोटों पर टिकी हुई है. वहीं सिक्कों की दुनिया में भी हलचल देखने को मिली है. ₹1, ₹2 और ₹5 के सिक्कों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है. FY25 में सिक्कों की संख्या 3.6% और कुल मूल्य 9.6% बढ़ा है. सिर्फ ये तीन मूल्य वर्ग ही कुल वॉल्यूम का 81.6% हिस्सा रखते हैं.

डिजिटल करेंसी की तरफ भी रफ्तार तेज हो रही है. RBI की e₹ (डिजिटल रुपया) की वैल्यू FY25 में ₹1,016.5 करोड़ तक पहुंच गई है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 334% की बढ़त है. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी ₹500 वाले डिजिटल करेंसी की है — 84.4%. यानी डिजिटल दुनिया में भी वही नोट सबसे ज़्यादा उपयोग में है जो फिजिकल कैश में लोकप्रिय है.

इस रिपोर्ट में जाली नोटों की स्थिति पर भी जानकारी दी गई है. ₹10, ₹20 और ₹2000 के नकली नोटों में गिरावट आई है, लेकिन ₹200 और ₹500 के नकली नोट पहले से ज़्यादा पकड़े जा रहे हैं. वहीं नोट छपाई पर होने वाला खर्च भी बढ़ गया है. FY25 में इस पर कुल ₹6,372.8 करोड़ खर्च हुए, जो कि पिछले साल से अधिक है.

पुराने और गंदे नोटों को नष्ट करने की प्रक्रिया भी बढ़ी है. FY25 में 2.38 लाख नोट नष्ट किए गए, जो पिछले साल से 12.3% ज्यादा है. अच्छी बात ये है कि अब इन पुराने नोटों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निपटाया जा रहा है – इनसे पार्टिकल बोर्ड, फर्नीचर और इंटीरियर मटीरियल बनाया जा रहा है.

Sa-Mudra परियोजना

RBI ने ‘Sa-Mudra’ नाम से एक नई परियोजना भी शुरू की है, जिसका मकसद करेंसी मैनेजमेंट को पूरी तरह डिजिटल और ऑटोमेटेड बनाना है. इसी के तहत नोटों की गिनती, छंटाई और ट्रैकिंग की व्यवस्था आधुनिक की जा रही है. इसके अलावा दृष्टिबाधितों को मदद देने वाले ‘MANI App’ को भी बड़े पैमाने पर प्रमोट किया जा रहा है, ताकि हर नागरिक को कैश तक समान पहुंच मिल सके

कुल मिलाकर RBI की इस रिपोर्ट से साफ है कि देश की नकदी व्यवस्था अब बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है. छोटे नोटों की जगह सिक्के ले रहे हैं, ₹2000 जैसे बड़े नोट अब इतिहास बनने को हैं और डिजिटल करेंसी धीरे-धीरे मुख्यधारा में आ रही है.

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