Last Updated:June 02, 2025, 07:28 ISTRBI MPC Meet : आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 4 जून से शुरू होगी. रेपो रेट में 0.25% की कटौती की संभावना है. जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर और महंगाई दर 4% के अंदर बनी हुई है.रेपो रेट वर्तमान में 6 फीसदी है. हाइलाइट्सआरबीआई रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर सकता है.महंगाई दर 4% के अंदर बनी हुई है.आरबीआई की बैठक 4 जून से शुरू होगी.नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार, 4 जून से शुरू होगी. महंगाई के 4 फीसदी के टारगेट से नीचे बने और आर्थिक विकास दर में गिरावट को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बैठक में भी आरबीआई रेपो रेट में कमी करने का फैसला लेगा. केंद्रीय बैंक ने फरवरी और अप्रैल में रेपो रेट में 0.25-0.25 फीसदी की कटौती की थी, जिसकी वजह से अब यह 6 फीसदी पर आ गई. रेपो रेट में लगातार तीसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती की जा सकती है.
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर घटकर 6.5% रह गई है, जो पिछले साल 9.2% थी. हालांकि मार्च तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 7.4% की दर से बेहतर प्रदर्शन किया, जो कि विश्लेषकों की अपेक्षा से अधिक था. वहीं महंगाई दर फिलहाल आरबीआई के निर्धारित 4% लक्ष्य के अंदर बनी हुई है.
विशेषज्ञों की राय
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनविस ने बताया कि “मौजूदा समय में महंगाई दर काफी संतुलित स्थिति में है और आरबीआई ने तरलता की स्थिति को कई उपायों के माध्यम से काफी सहज बना दिया है. ऐसे में उम्मीद है कि 6 जून को होने वाली बैठक में एमपीसी रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती का निर्णय ले सकती है.”उन्होंने यह भी कहा कि इस बैठक में आरबीआई अपनी विकास दर और महंगाई अनुमान को संशोधित कर सकता है और साथ ही वैश्विक जोखिमों का आकलन भी प्रस्तुत कर सकता है. विशेष रूप से जुलाई में अमेरिका द्वारा टैरिफ छूट समाप्त करने का प्रभाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा.
मजबूत जीडीपी आंकड़े बनेंगे कटौती का आधार
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के प्रमुख विश्लेषक ए. प्रसन्ना का भी मानना है कि आरबीआई द्वारा एक और 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही के मजबूत GDP आंकड़े आरबीआई को नीतिगत ढील देने का पर्याप्त आधार प्रदान करते हैं. उन्होंने कहा, “25 बेसिस प्वाइंट की क्रमिक कटौती और नरम रुख के कारण MPC किसी भी तरह के आकस्मिक आंकड़ों पर उपयुक्त प्रतिक्रिया देने के लिए बेहतर स्थिति में है.” प्रसन्ना के अनुसार, आरबीआई पहले ही मौद्रिक ढांचे को आसान बना चुका है. इसके लिए उसने बैंकों को पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराई है और ओवरनाइट उधारी जैसे उपायों से अतिरिक्त नकदी को वापस लेने की नीति से परहेज किया है.
बार्कलेज की अर्थशास्त्री आस्था गुढवाणी ने बताया कि पहली तिमाही के जीडीपी और सकल मूल्य वर्धन (GVA) आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं. इसमें खासतौर पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी और पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी देखी गई है, हालांकि उपभोग (कंजम्प्शन) में कमजोरी बनी हुई है. क्रिसिल का मानना है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष में कुल मिलाकर 50 बेसिस प्वाइंट की और कटौती कर सकता है. इसके पीछे कारण हैं अनुकूल आर्थिक परिस्थितियां जैसे बेहतर मानसून की उम्मीद और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट.
फसल उत्पादन बढने का अनुमान
भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार इस बार मानसून सामान्य से ऊपर यानी 106% रहने की संभावना है. इससे खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ेगा, ग्रामीण मांग में इजाफा होगा और खाद्य महंगाई पर भी नियंत्रण बना रहेगा. वहीं कच्चे तेल की कीमतें इस वर्ष औसतन $65–70 प्रति बैरल रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के $78.8 प्रति बैरल से काफी कम है.
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