जंजीर बन गए सरकारी नियम, निवेशकों के हाथ से निकल गया कमाई का मौका! अब हो सकता है नुकसान

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Last Updated:January 30, 2025, 11:36 ISTRBI की विदेशी निवेश सीमा ने म्यूचुअल फंड निवेशकों को अमेरिका और चीन जैसे बाजारों में निवेश से वंचित कर दिया है. S&P 500 ने बीते साल 26 फीसदी रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी 8.7 परसेंट ही दे पाया है. सीमा हटने पर निवेश…और पढ़ेंहाइलाइट्सRBI की विदेशी निवेश सीमा ने निवेशकों को वैश्विक बाजारों से वंचित किया.S&P 500 ने 2022 में 26% रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी ने 8.7% ही दिया.निवेशक LRS के तहत 2,50,000 रुपये तक विदेशी शेयरों में निवेश कर सकते हैं.RBI limit overseas investment : वैश्विक बाजारों में निवेश करने का सपना देखने वाले भारतीय निवेशकों के लिए पिछला एक साल काफी निराशाजनक रहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा लगाई गई विदेशी निवेश की सीमा ने म्यूचुअल फंड निवेशकों को बड़े अवसर से वंचित कर दिया है. अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों में निवेश करने की चाहत रखने वालों के लिए यही लिमिट बाधा बन गई है. आरबीआई ने 1 फरवरी 2022 को विदेशों में उन स्कीमों में नया निवेश करने से रोकते हुए कहा था कि वहां निवेश करने की 7 बिलियन डॉलर की सीमा लांघ चुकी है. पिछले साल, म्यूचुअल फंड्स को विदेशी ईटीएफ (ETFs) में भी निवेश रोकने को कहा गया था, क्योंकि वह भी 1 बिलियन डॉलर की सीमा पार जा चुका था.

हालांकि, निवेशक LRS (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम) के तहत एक वित्त वर्ष में 2,50,000 रुपये तक सीधे विदेशी शेयरों में निवेश कर सकते हैं. यदि वे ऐसा करते हैं तो यह उनके विकेक पर होगा कि वे कहां पैसा लगाते हैं. संभवत, निवेशक क्रिप्टोकरेंसी या रियल एस्टेट जैसे रिस्की जगहों पर पैसा लगा सकते हैं, जिससे उन्हें नुकसान भी हो सकता है. इस बार आम बजट 2025 में उम्मीद की जा सकती है कि सरकार इस बारे में विचार करे और निवेशकों को उनकी मनपसंद जगहों पर निवेश की आजादी दे. हालांकि सरकार यह भी नहीं चाहती कि भारत का पैसा विदेशों में जाकर रुक जाए, क्योंकि इस तरह के निवेश बहुत लम्बे समय के लिए हो सकते हैं.

बिजनेसलाइन ने अपनी रिपोर्ट में फिसडॉम के रिसर्च हेड निरव कारकेरा के हवाले से लिखा गया है, “वर्तमान सीमाएं निवेशकों के लिए बाधा बनी हुई हैं. जो निवेशक वैश्विक बाजारों में निवेश करना चाहते हैं, वे अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों में निवेश के मौके खो रहे हैं. अगर यह सीमा हटाई जाती है, तो इन फंड्स में निवेश की मांग बढ़ सकती है.”

अमेरिका और चीनी मार्केट्स में था मौकापिछले साल, S&P 500 इंडेक्स ने 26% का रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी 50 ने केवल 8.7% का रिटर्न दिया. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर की गिरावट को भी ध्यान में रखा जाए, तो यह अंतर और भी बड़ा हो जाता है. टेक-हैवी नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में निवेश करने वाली योजनाएं निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय थीं, लेकिन लिमिट लगने के बाद नए निवेश पर रोक लग गई.

चीन के शेयरों में निवेश का अवसर भी निवेशकों से छूट गया. पिछले साल चीन के शेयरों का वैल्यूएशन ऐतिहासिक औसत और वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी आकर्षक था. सितंबर में चीनी सरकार द्वारा घोषित किया गए प्रोत्साहन पैकेज ने कई वैश्विक निवेशकों को ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ (Sell India, Buy China) रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया था.

प्लानरुपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज (PlanRupee Investment Services) के संस्थापक अमोल जोशी के अनुसार, “6-8 महीने पहले तक कुछ अंतरराष्ट्रीय फंड SIP के माध्यम से निवेश स्वीकार कर रहे थे, लेकिन अब केवल कुछ ही फंड नए निवेश ले रहे हैं. हम अपने ग्राहकों का पैसा अंतरराष्ट्रीय इक्विटी में निवेश नहीं कर रहे हैं.”

इंटरनेशनल फंड्स का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) लगभग 60,000 करोड़ रुपये का है. इसके अलावा 16 घरेलू फंड्स, जो 5.1% से 29.4% तक विदेशी शेयरों में निवेश करते हैं, का कुल विदेशी एक्सपोजर 20,000 करोड़ रुपये का है.

आरबीआई से बार-बार गुहार लगा रही इंडस्ट्रीइस इंडस्ट्री ने कई महीनों से रेगुलेटर्स से लिमिट में ढील देने की गुहार लगाई है. एक वरिष्ठ फंड अधिकारी ने बताया, “हर दो महीने में हम RBI गवर्नर के साथ प्री-मॉनेटरी पॉलिसी परामर्श करते हैं, और लिमिट पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेशनल फंड्स अब म्यूचुअल फंड्स के लिए एक यथास्थिति (status quo) उत्पाद बन गए हैं, क्योंकि नए निवेश लगभग बंद हो गए हैं. घरेलू फंड्स में विदेशी निवेश का हिस्सा भी लगातार कम हो रहा है, क्योंकि नए निवेश भारतीय इक्विटी में जा रहे हैं.

निवेशक हालांकि LRS (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम) के तहत प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 रुपये तक सीधे विदेशी शेयरों में निवेश कर सकते हैं. फंड अधिकारी ने कहा, “म्यूचुअल फंड्स व्यक्तिगत निवेशकों की तुलना में विदेशी निवेश को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकते हैं. व्यक्तिगत निवेशक क्रिप्टोकरेंसी या रियल एस्टेट जैसे जोखिम भरे क्षेत्रों में पैसा लगा सकते हैं, जहां नुकसान की संभावना अधिक होती है. इसके अलावा, अगर पैसा म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से निवेश किया जाता है, तो सरकार के लिए उसे वापस लाना आसान होगा.”
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 30, 2025, 11:36 ISThomebusinessजंजीर बन गए सरकारी नियम,निवेशकों के हाथ से फिसला कमाई का मौका! नुकसान की आशंका

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