Last Updated:May 27, 2025, 21:01 ISTRBI भारतीय मुद्रा रुपये को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने के लिए विदेशियों को रुपये में कर्ज़ देने की योजना बना रहा है. यह कदम डॉलर पर निर्भरता घटाएगा और व्यापारिक हितों को मजबूती देगा.आरबीआई ने इसके लिए सरकार से मंजूरी मांगी है. हाइलाइट्सRBI विदेशियों को रुपये में कर्ज देने की योजना बना रहा है.यह कदम डॉलर पर निर्भरता घटाएगा और व्यापारिक हितों को मजबूत करेगा.शुरुआत पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और नेपाल से होगी.नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक ऐसा कदम उठाने की तैयारी में है जो देश की मुद्रा ‘रुपया’ को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिला सकता है. खबरों के मुताबिक, RBI चाहता है कि भारतीय बैंक अब विदेशियों को कर्ज भारतीय मुद्रा में दें. इसके लिए RBI ने केंद्र सरकार से औपचारिक मंजूरी भी मांगी है. अगर यह प्रस्ताव पास होता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव होगा, जो ‘डॉलर’ के वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में एक और बड़ा कदम होगा.
दरअसल, इस कदम के पीछे RBI की स्पष्ट मंशा है — भारतीय रुपये को वैश्विक व्यापार में ज्यादा से ज्यादा स्वीकार्य बनाना. मौजूदा समय में जब भारतीय बैंक विदेशों में कंपनियों को कर्ज़ देते हैं, तो वह अधिकतर डॉलर या यूरो जैसी विदेशी मुद्राओं में होता है. लेकिन अगर रुपये में कर्ज़ देने की अनुमति मिलती है, तो यह भारत के व्यापारिक हितों को मजबूती देगा और डॉलर पर निर्भरता घटाएगा.
शुरुआत पड़ोसी देशों से
सूत्रों के अनुसार, RBI इस योजना की शुरुआत भारत के पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और नेपाल से करना चाहता है. आंकड़ों के मुताबिक, दक्षिण एशिया के भीतर भारत के 90 फीसदी निर्यात इन्हीं देशों को होते हैं. ऐसे में अगर इन देशों को रुपये में कर्ज़ मिलता है, तो यह न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को आसान बनाएगा, बल्कि रुपये की मांग और उपयोग भी बढ़ेगा.
किस तरह होगा फायदा?
रुपये की मांग बढ़ेगी: जब विदेशी कंपनियां रुपये में लोन लेंगी और उसका भुगतान करेंगी, तो वैश्विक बाजार में रुपये की स्वीकार्यता बढ़ेगी.
डॉलर की निर्भरता घटेगी: विदेशी मुद्रा की कमी या डॉलर महंगा होने की स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था पर असर कम होगा.
विदेश व्यापार में स्थिरता: रुपये में लेन-देन होने से विदेशी मुद्रा विनिमय दर (exchange rate volatility) का खतरा घटेगा.
साफ-सुथरी लिक्विडिटी: RBI चाहता है कि विदेशी बैंकों को भारत के बैंकों में जो Vostro अकाउंट मिलते हैं, उसके बजाय भारतीय बैंक सीधे रुपये की लिक्विडिटी दें.
वैश्विक स्तर पर क्या हो रहा है?
भारत अकेला देश नहीं है जो डॉलर के दबदबे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. रूस, चीन, ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका जैसे BRICS देश पहले से ही एक वैकल्पिक करेंसी सिस्टम पर काम कर रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब रूस को SWIFT जैसी अमेरिकी व्यवस्था से बाहर कर दिया गया, तब से कई देशों ने अपने-अपने स्तर पर दे-डॉलराइजेशन की दिशा में पहल शुरू कर दी है.
सरकार की भूमिका
इस योजना पर अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना है. RBI ने वित्त मंत्रालय को इस प्रस्ताव की जानकारी पहले ही दे दी है. अगर मंत्रालय मंजूरी देता है, तो आने वाले समय में भारतीय बैंक व्यापार के उद्देश्य से विदेशी कंपनियों को रुपये में कर्ज दे सकेंगे.
आगे का रास्ता
RBI पहले ही कुछ देशों जैसे मालदीव, इंडोनेशिया और UAE के साथ लोकल करेंसी में व्यापार बढ़ाने के लिए समझौते कर चुका है. साथ ही, RBI ने हाल ही में गैर-निवासियों (non-residents) के लिए भारत से बाहर रुपये में अकाउंट खोलने की अनुमति भी दी है. यानी एक रणनीतिक योजना के तहत भारत रुपये को एक मजबूत वैश्विक मुद्रा बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें OXBIG NEWS NETWORK India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessडॉलर से सीधे लोहा लेगा रुपया! आरबीआई ने बैंकों से करने को कहा ये काम
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