दिखने में पत्थर लेकिन काम गोल्ड जैसा, बहुत तेजी से बढ़ रही इस मेटल की मांग

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नई दिल्ली. दुनिया रिन्यूएबल एनर्जी की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है. भारत भी इस दिशा में प्रयास करने से पीछे नहीं हट रहा है. ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक बैटरीज इस बदलाव के केंद्र में हैं. यही कारण है कि एक खास मेटल की मांग में तेजी की उम्मीद दिख रही है. यह मेटल है जिंक. इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन (आईजेडए) ने मंगलवार को कहा कि ग्रीन ऊर्जा और बैटरी टेक्नोलॉजी जैसे उभरते क्षेत्रों के चलते भारत में जिंक की मांग में 2030 तक उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है.

आईजेडए का मानना ​​है कि अगले पांच साल में एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस में सात गुना वृद्धि होने की उम्मीद है. दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जिंक की खपत में तेज वृद्धि देख रहा है. भारत का रिकॉर्ड स्टील प्रोडक्शन और तेजी से हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए जिंक महत्वपूर्ण है और यही इसके बढ़ने का अवसर भी है.ठ

जीडीपी में कर सकता है बड़ा योगदान
आईजेडए ने कहा कि इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में जिंक को शामिल करने से एनुअल करोजन कॉस्ट में काफी कमी आ सकती है. यह लागत इस समय भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग पांच प्रतिशत है. किसी इंडस्ट्री या व्यक्ति द्वारा अपने उत्पादों को जंग (करोजन) से बचाने या उसे कम करने के लिए लगाई गई कीमत को करोजन कॉस्ट कहा जाता है. इसमें जंग की खुद की कीमत और धातु को जंग से बचाने के लिए अपनाए गए उपायों पर खर्च को जोड़ा जाता है.

क्या करता है जिंक?
जिंक फोटोवोल्टिक सेल्स की परफॉर्मेंस को बढ़ाने में मदद करता है. इसका सोलर एनर्जी प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है. सोलर पैनल में इस्तेमाल स्टील पर जिंक की कोटिंग की जाती है इससे जटिल परिस्थितियों में भी उनकी उम्र बढ़ जाती है. जिंक के इस्तेमाल से बनी बैटरीज की एनर्जी डेन्सिटी बहुत अधिक होती है. इन्हें बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सस्ती भी होती हैं. इन बैटरीज में पवन और सौर ऊर्जा को स्टोर किया जा सकता है.

आईजेडए ने दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम ‘जिंक कॉलेज 2024’ का आयोजन किया, जिसमें 31 कंपनियां और 21 देश शामिल हुए. रविवार को शुरू हुए पांच दिवसीय कार्यक्रम के दौरान टिकाऊ और कम कार्बन वाले भविष्य के निर्माण में जिंक की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया. आईजेडए के चेयरमैन अरुण मिश्रा ने कहा कि शहरीकरण और टिकाऊ बुनियादी ढांचे की आवश्यकता से भारत में जिंक की मांग तेजी से बढ़ने वाली है.

FIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 17:29 IST





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