नई दिल्ली. कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को एक आतंकी हमले में 26 टूरिस्टों की जान चली गई. शेयर बाजार पर हालांकि इस हमले का कोई असर नहीं हुआ और 23 अप्रैल को बाजार ने अच्छी ओपनिंग दी. बाद में पहलगाम को लेकर कुछ रिपोर्ट आईं, जिसमें भारत द्वारा पलटवार की संभावना से जुड़ी कुछ खबरें आईं तो बाजार में गिरावट आई. माना यही जा रहा है कि यदि भारत द्वारा इस हमले के जवाब में कथित तौर पर पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ग्रुप्स पर बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी कोई कार्रवाई करता हो तो शेयर बाजार शॉर्ट टर्म के लिए वोलाटाइल हो सकता है.
शेयर मार्केट से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस तरह के हमलों का शेयर बाजार पर भावनात्मक असर बहुत कम होता है, खासकर तब, जब बाजार पहले से ही रिकवरी मोड में हो.
न्यूज़18 की सहयोगी वेबसाइट मनीकंट्रोल से वेंचुरा सिक्योरिटीज़ के रिसर्च हेड विनीत बोलिंजकर ने कहा कि अगर भारत की ओर से जवाबी हमला होता है तो बाजार में थोड़ी बहुत हलचल हो सकती है, लेकिन जब तक मामला युद्ध जैसे हालात तक नहीं पहुंचता, तब तक बाजार की लंबी अवधि की दिशा पर असर नहीं पड़ेगा.
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज़ के इक्विटी स्ट्रैटेजी डायरेक्टर क्रांति बथिनी ने भी इसी तरह की राय दी. उन्होंने कहा कि निवेशक अब सरकार की अगली कार्रवाई पर नजर रखेंगे, चाहे वो बातचीत हो, सीमित ऑपरेशन हो या सैन्य कार्रवाई. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब भारत की अर्थव्यवस्था 1999 के कारगिल युद्ध की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत है. उन्होंने कहा, “भारत की GDP बीते 20 सालों में 10 गुना बढ़ी है.”
अनुभवी बाजार विश्लेषक अजय बग्गा ने भी X (पहले ट्विटर) पर कहा कि शॉर्ट टर्म में बाजार थोड़ा सतर्क रह सकता है, लेकिन अतीत में भारत की जवाबी कार्रवाइयों के बाद बाजार में गिरावट अक्सर थोड़े समय के लिए ही रही है.
पिछले हमलों पर कैसा रहा बाजार का असर?
बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019): सेंसेक्स 239 अंक गिरा, पर अगले दिन 165 अंकों की तेजी के साथ खुला और स्थिर रहा.
पुलवामा हमला (2019): बाजार में सिर्फ 0.2% की गिरावट हुई.
उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक (2016): सेंसेक्स में 400 से ज्यादा अंकों की गिरावट आई.
कारगिल युद्ध (1999): युद्ध के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में करीब 33% की तेजी आई. तीन महीने चले युद्ध के समय सेंसेक्स 1,115 अंक और निफ्टी 319 अंक चढ़ा था.
मुंबई आतंकी हमला (2008): हमलों के दौरान ही बाजार में दो दिन में 400 अंकों की तेजी देखी गई.
इन आंकड़ों से साफ है कि आतंकी हमलों और सैन्य घटनाओं के बाद बाजार ज्यादातर समय में या तो तेजी से रिकवर कर लेता है या असर न के बराबर होता है.
देश में माहौल और आगे की राहपहलगाम में हुआ हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा है. इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जिसे पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन माना जा रहा है. हालांकि भारत सरकार की ओर से अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. देश में इस हमले को लेकर गहरा शोक और रोष है. दुनिया भर के नेताओं और लोगों ने इसकी निंदा की है.
अब निवेशक इस बात पर नजर रख रहे हैं कि सरकार इस हमले के जवाब में क्या कदम उठाती है. अगर सैन्य कार्रवाई होती है तो बाजार में थोड़ी अस्थिरता आ सकती है, लेकिन भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और अतीत के अनुभवों को देखते हुए लंबे समय के लिए चिंता की ज्यादा बात नहीं है.
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