इन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से दूर रहें निवेशक, धोखा हुआ तो नहीं मिलेगी कानूनी सुरक्षा, फिर मत कहना…

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Opinion trading platforms : इन दिनों कई ऐसे प्लेटफॉर्म चल रहे हैं, जो क्रिकेट मैच, चुनाव या बिटकॉइन की कीमतों पर दांव खेलकर पैसा कमाने का मौका दे रहे हैं. इसे आसान भाषा में कहें तो ये सरेआम सट्टा खेलने का मंच दे रहे हैं. इन्हें ‘ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ का नाम दिया गया है. कई ऐप्स और वेबसाइट्स तेजी से पॉपुलर हुई हैं, जहां लोग अपनी राय देने के बदले पैसा जीत या हार रहे हैं. अगर आप भी ऐसे ही किसी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान! क्योंकि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इन प्लेटफॉर्म्स को लेकर बड़ी चेतावनी जारी की है. ये प्लेटफॉर्म कैसे काम करते हैं? सेबी ने इन्हें लेकर चेतावनी क्यों दी है? इन सवालों के जवाब यहां दिए गए हैं, जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है.

सेबी ने पैसा लगाने वालों को ‘ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स’ से सावधान रहने की सलाह दी है. ये प्लेटफॉर्म्स ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग (सट्टेबाजी) मार्केट का एक नया ट्रेंड बनकर उभरे हैं, जहां यूजर्स को असल जीवन की घटनाओं (जैसे चुनाव, मैच या क्रिप्टोकरेंसी की कीमत) के नतीजों पर दांव लगाकर पैसा कमाने का लालच दिया जाता है. कुछ देशों में ऐसे प्लेटफॉर्म को रेगुलेट किया जाता है, लेकिन भारत में अब तक ये किन्हीं नियमों के दायरे में नहीं आते.

बिना रेगुलेटरी के फल-फूल रहा धंधाद इंडियन एक्सप्रेस ने इस मुद्दे एक पूरी रिपोर्ट छापी है जिसमें बताया गया है कि इस इंडस्ट्री ने अब तक 4,200 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश प्राप्त किया है. निवेश करने वालों में सिकोइया कैपिटल (PeakXV), एलिवेशन कैपिटल, एक्सेल पार्टनर्स जैसे बड़े-बड़े नाम शामिल हैं. अनुमानों के मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स पर हर साल 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का ट्रांजैक्शन होता है और इनके यूजर्स की संख्या 5 करोड़ से भी ज्यादा है.

ये प्लेटफॉर्म यूजर्स को एक ऐसा मंच देते हैं, जहां वे किसी घटना के होने या न होने पर दांव लगा सकते हैं. पेआउट इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी भविष्यवाणी सही हुई या नहीं. कुछ प्लेटफॉर्म्स खुद को निवेश प्लेटफॉर्म की तरह पेश करते हैं और शेयर मार्केट से जुड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि ‘प्रॉफिट’, ‘स्टॉप लॉस’, ‘ट्रेडिंग’.

एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में गुरुग्राम स्थित Probo और MPL Opinio जैसी कंपनियां इस सेक्टर में सक्रिय हैं. Probo स्पोर्ट्स, चुनाव और क्रिप्टोकरेंसी जैसे विषयों पर सवाल पूछता है, जबकि MPL Opinio सिर्फ क्रिकेट मैचों से जुड़े प्रश्नों पर दांव लगवाता है.

कैसे काम करते हैं ये प्लेटफॉर्म?मान लीजिए, एक राज्य के चुनाव में एक प्लेटफॉर्म यूजर्स से पूछता है –“क्या पार्टी A, X वोटों के अंतर से जीतेगी?”यूजर्स ‘हां’ या ‘नहीं’ में दांव लगाते हैं. अगर उनकी भविष्यवाणी सही होती है, तो वे पैसा जीतते हैं, गलत होने पर हार जाते हैं.इसी तरह, क्रिकेट मैचों में “क्या कोई बल्लेबाज 40 रन बनाएगा?” या “क्या बिटकॉइन 50,000 डॉलर को छूएगा?” जैसे सवालों पर भी दांव लगाए जा सकते हैं.

SEBI की चिंताSEBI ने स्पष्ट किया है कि ओपिनियन ट्रेडिंग उसके नियमों के दायरे में नहीं आती, क्योंकि इसमें कोई प्रतिभूति (सिक्योरिटी) ट्रेड नहीं होती. हालांकि, अगर किसी प्लेटफॉर्म पर सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग होती है, तो वह गैरकानूनी है, क्योंकि ये प्लेटफॉर्म्स SEBI के रजिस्टर्ड स्टॉक एक्सचेंज नहीं हैं.

SEBI ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर पैसा लगाने से उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी. साथ ही, अगर कोई प्लेटफॉर्म नियम तोड़ता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

बता दें कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ओपिनियन ट्रेडिंग को रेगुलेट किया जाता है. अमेरिका में Kalshi नामक कंपनी, जिसके आधार पर Probo बनाई गई है, कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन (CFTC) के अंतर्गत रेगुलेटेड है. हालांकि, Polymarket जैसे कुछ ऐप्स पर अमेरिकी न्याय विभाग की नजर है, क्योंकि वे बिना रजिस्ट्रेशन के यूजर्स को दांव खेलने दे रहे हैं.

भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने के लिए IT नियमों में संशोधन किए थे, लेकिन इन नियमों का कितना असर है, यह साफ नहीं है. फिलहाल, ऑनलाइन गेमिंग और ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए कोई मजबूत कानूनी ढांचा नहीं है, जिससे निवेशकों को जोखिम बना हुआ है.

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