सिर्फ 4 सामान से 50 फीसदी निर्यात, सालभर में बेच डाले 19 लाख करोड़ रुपये के प्रोडक्‍ट

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नई दिल्‍ली. निर्यात के मामले में भारत तेजी से बढ़ रहा है और पिछले वित्‍तवर्ष में कुल निर्यात 437 अरब डॉलर से भी ज्‍यादा रहा है. लेकिन, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस आंकड़े में 50 फीसदी हिस्‍सेदारी सिर्फ 4 उत्‍पादों की ही रही है. इसका मतलब है कि भारत हर साल करीब 19 लाख करोड़ रुपये की बिक्री सिर्फ 4 प्रोडक्‍ट से हो जाती है. यही वजह है कि भारत का जोर इन प्रोडक्‍ट के उत्‍पादन पर तेजी से बढ़ रहा है.

वाणिज्‍य मंत्रालय के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि देश के वस्तु निर्यात में वित्तवर्ष 2024-25 में कृषि, औषधि, इलेक्ट्रॉनिक और इंजीनियरिंग सामानों की कुल हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक रही है. यह विनिर्माण और मूल्यवर्धित निर्यात को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच विविध क्षेत्रों में देश की बढ़ती ताकत को दर्शाता है. इसका मतलब है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षेत्र में भारत का दबदबा तेजी से बढ़ रहा है.

किस प्रोडक्‍ट की कितनी हिस्‍सेदारीसरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तवर्ष 2024-25 में भारत के 437.42 अरब डॉलर के निर्यात में इंजीनियरिंग वस्तुओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक 26.67 फीसदी रही. कृषि, औषधि और इलेक्ट्रॉनिक सामान का योगदान क्रमशः 11.85 फीसदी, 6.96 फीसदी और 8.82 फीसदी रही है. इलेक्ट्रॉनिक सामान क्षेत्र में सबसे अधिक 32.46 फीसदी की निर्यात वृद्धि दर्ज की गई जो 2023-24 में 29.12 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 38.58 अरब डॉलर हो गया. यह वित्तवर्ष 2022-23 में 23.6 अरब डॉलर और 2021-22 में 15.7 अरब डॉलर था.

बढ़ता जा रहा हार्डवेयर का निर्यातभारत के आईटी निर्यात में कंप्यूटर हार्डवेयर और पेरिफेरल्स (जिसकी इस क्षेत्र में 3.8 फीसदी हिस्सेदारी है) में 101 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जो 0.7 अरब डॉलर से दोगुना होकर 1.4 अरब डॉलर हो गया है. इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिए मुख्य गंतव्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका, नीदरलैंड, ब्रिटेन और इटली थे. इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात सालाना आधार पर 6.74 फीसदी बढ़कर 116.67 अरब डॉलर हो गया. दवाओं और औषधि का निर्यात 9.4 फीसदी बढ़कर 30.47 अरब डॉलर रहा, जबकि कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों का निर्यात 2024-25 में 7.36 फीसदी बढ़कर 51.86 अरब डॉलर हो गया है.

कहां जाते हैं इंजीनियरिंग सामानभारत के इंजीनियरिंग सामानों के लिए मुख्य निर्यात गंतव्य अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब, ब्रिटेन और जर्मनी रहे हैं. वित्तवर्ष 2014-15 से 2020-21 तक इस क्षेत्र में निर्यात 73-83 अरब डॉलर के बीच रहा. 2021-22 में यह बढ़कर 112.2 अरब डॉलर हो गया था और तब से 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक बना हुआ है. हालिया आंकड़े बता रहे कि भारत की दवाएं एवं औषधि अब 200 से अधिक देशों तक पहुंच रही हैं. इसका निर्यात 2014-15 से लगातार बढ़ रहा है.

खेती के कौन-कौन से सामान शामिलभारतीय निर्यात में कृषि क्षेत्र से मसालों, कॉफी, चाय, तंबाकू, चावल, फल और सब्जियों तथा समुद्री उत्पाद में स्वस्थ वृद्धि दर्ज की गई. 2023-24 में 4.25 अरब डॉलर से 2024-25 में मसालों का निर्यात मामूली रूप से बढ़कर 4.45 अरब डॉलर हो गया. इसके प्रमुख निर्यात गंतव्यों में चीन, अमेरिका, यूएई, बांग्लादेश और थाईलैंड शामिल हैं. इन देशों में मिर्च, जीरा, हल्दी और अदरक जैसे उत्पाद का निर्यात सबसे अधिक किया गया.

भारत का कॉफी निर्यात भी बढ़ाभारत का कॉफी निर्यात 2023-24 में 1.29 अरब डॉलर से बढ़कर 1.81 अरब डॉलर हो गया. भारत दुनिया में सातवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक देश है जो इटली, रूस, जर्मनी, यूएई, बेल्जियम और अमेरिका को इनका निर्यात करता है. इन देशों को मुख्य तौर पर रोबस्टा कॉफी का निर्यात किया जाता है. इसी तरह, 2024-25 में तंबाकू निर्यात 1.98 अरब डॉलर रहा, जो 2023-24 में 1.45 अरब डॉलर था. भारत दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक है, जिसके प्रमुख निर्यात गंतव्यों में यूएई, बेल्जियम, इंडोनेशिया, मिस्र, अमेरिका और तुर्किये शामिल हैं.

चावल निर्यात भी बढ़ रहाभारत का चावल निर्यात वित्तवर्ष 2024-25 में 12.5 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो 2023-24 में 10.4 अरब डॉलर था. इससे भारत लगभग 40 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ शीर्ष वैश्विक निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा. इसके प्रमुख गंतव्यों में सऊदी अरब, ईरान, इराक, यूएई, अमेरिका और यमन शामिल थे. फलों और सब्जियों का निर्यात 2023-24 में 3.7 अरब डॉलर से बढ़कर 3.9 अरब डॉलर हो गया. भारत ने दो श्रेणियों के तहत अंगूर, अनार, आम, केले, संतरे, प्याज, आलू, टमाटर, मिश्रित सब्जियां और हरी मिर्च का निर्यात किया. यह निर्यात बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, नेपाल और मलेशिया में सबसे ज्‍यादा किए गए. वित्तवर्ष 2024-25 में समुद्री उत्पादों का निर्यात 7.2 अरब डॉलर रहा. अभी दुनिया के 130 देश भारत से समुद्री उत्‍पादों को मंगाते हैं.

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