नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आईपीओ का इंतजार कर रहे निवेशकों के लिए एक खबर आई है. खबर है कि अब ये लंबा इंतजार जल्द खत्म हो सकता है. अगर सबकुछ ठीक रहा, तो जल्द ही NSE का IPO इसी वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में आ सकता है. बता दें कि एनएसई का IPO पिछले आठ सालों से अटका हुआ है, क्योंकि कुछ विवादों ने इसकी राह में रुकावट डाल रखी थी. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं.खबर है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) अगले महीने के अंत तक NSE को NOC यानी “नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट” दे सकता है. इसका मतलब ये होगा कि NSE के आईपीओ की राह साफ हो जाएगी. दरअसल, NSE और सेबी के बीच दो विवादों को सुलझाने की कोशिश हो रही है- एक है को-लोकेशन केस और दूसरा है डार्क फाइबर का मामला. NSE ने सेबी के पास एक सेटलमेंट एप्लीकेशन फाइल किया है, ताकि ये मामले बिना कोर्ट में लंबा खिंचे हुए सुलझाए जा सकें. उम्मीद है कि ये सेटलमेंट प्रोसेस जुलाई के बीच तक पूरा हो जाएगा.
क्या थे NSE पर आरोप?
को-लोकेशन केस में आरोप था कि कुछ ब्रोकर्स ने NSE की एक खास सुविधा का फायदा उठाया, जिसमें उन्होंने अपने सर्वर को NSE के सर्वर के पास लगाया, जिससे उन्हें डेटा जल्दी मिल जाता था और बाकी ब्रोकर्स की तुलना में उन्हें फायदा हो रहा था. वहीं डार्क फाइबर केस में NSE पर ये आरोप था कि उसने कुछ ब्रोकर्स को फास्ट कनेक्शन के लिए खास एक्सेस दिया, जिससे वे दूसरों से पहले ट्रेड कर सकें. सेबी ने इस बात पर NSE पर पेनल्टी भी लगाई थी.
रेगुलेशन डिपार्टमेंट के बाद HPAC के पास जाएगा केस
26 मई की मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, NSE और सेबी इन पुराने मामलों को सेटल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. NSE ने कई बार इन्फॉर्मल बातचीत के बाद सेबी के पास ऑफिशियल सेटलमेंट एप्लीकेशन फाइल किया है. अब सेबी की इंटरनल कमिटी इस केस को देखेगी और फिर इसका फैसला सेबी का मार्केट रेगुलेशन डिपार्टमेंट करेगा. ये डिपार्टमेंट एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को रेगुलेट करता है. ये डिपार्टमेंट सेटलमेंट अमाउंट पर भी अपनी राय देगा, जो सेबी के नियमों के मुताबिक तय किया जाएगा.
इसके बाद यह मामला सेबी की हाई पावर्ड एडवाइजरी कमिटी (HPAC) के पास जाएगा, और फिर फुल-टाइम मेंबर्स (WTM) की टीम इसे अप्रूव करेगी. चूंकि को-लोकेशन का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए सेबी और NSE मिलकर कोर्ट में अपील करेंगे कि मामला आपसी समझौते से सुलझ गया है. अगर कोर्ट अनुमति देता है, तो केस वापस ले लिया जाएगा.
इस मामले में मनीकंट्रोल ने SEBI और NSE को ईमेल भेजकर जानकारी पुख्ता करनी चाही, लेकिन दोनों की तरफ से कोई रिप्लाई नहीं मिला.
कितना समय लगेगा?
इस पूरी प्रक्रिया के बाद जब NOC मिल जाएगा और केस कोर्ट से खत्म हो जाएगा, तब NSE तुरंत IPO की तैयारी शुरू कर सकता है. इसके बाद ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) तैयार करने में लगभग 4-5 महीने का समय लगेगा, जिसमें हर तिमाही के ऑडिटेड नंबर देने होंगे. फिर 2-3 महीने तक सेबी के सवालों का जवाब देने का समय लगेगा. अगर सबकुछ सही रहा तो इस वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही तक NSE का IPO मार्केट में आ सकता है.
NSE पिछले आठ सालों से अपने आईपीओ की कोशिश कर रहा है. उसने सबसे पहले 2016 में अपने ड्राफ्ट पेपर्स फाइल किए थे. इसके बाद नवंबर 2019, साल 2020 में दो बार और अगस्त 2024 में भी NOC के लिए सेबी को चिट्ठी लिखी थी. NSE के लगभग 31% शेयर सरकारी कंपनियों (PSUs) के पास हैं, जिनकी कीमत करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. NSE के लिस्ट होने पर इन कंपनियों की नेट वर्थ में बड़ा इजाफा होगा और उन्हें अच्छी फाइनेंशियल मदद मिलेगी. एलआईसी जैसी बड़ी कंपनियों को NSE शेयर से बड़ा मुनाफा होगा, जिससे वे बिना नया पैसा जुटाए अपने बिजनेस को और बढ़ा सकेंगी.
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