‘इससे अच्छा तो स्टॉक खरीद लेते’, प्रॉपर्टी में हुआ घाटा तो छलका कपल का दर्द

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नई दिल्ली. एक NRI जोड़े ने सोचा था कि 2010 में हैदराबाद में फ्लैट खरीदकर वो बहुत जबरस्त मुनाफा कमाने की राह में कदम उठा रहे हैं. लेकिन 15 साल बाद जब फ्लैट बेचा तो हाथ लगी सिर्फ निराशा. 15 साल में उन्हें कुल 8,500 डॉलर – यानी सालाना 0.5% रिटर्न मिला. ऊपर से रुपये की वैल्यू गिरने और महंगाई के हिसाब से देखो, तो उन्हें उल्टा 2.1 लाख रुपये का नुकसान हो गया. ये कहानी हैदराबाद के नानकरामगुड़ा में मंत्री सेलेस्टिया कॉम्प्लेक्स में 3BHK फ्लैट की है, जो सोने का अंडा देने की बजाय सिरदर्द बन गया.2010 में इस जोड़े ने मंत्री सेलेस्टिया में 64 लाख रुपये में 3BHK फ्लैट बुक किया. 9 साल तक किस्तें भरते रहे, वुडवर्क वगैरह मिलाकर टोटल खर्चा हुआ 64.34 लाख रुपये. लेकिन फ्लैट मिला देर से – 2019 में. फिर 2024 में उन्होंने इसे 90 लाख रुपये में बेच दिया. पहली नजर में लगता है, वाह, 26 लाख का मुनाफा! लेकिन रुकिए, टैक्स और बाकी खर्चे काटने के बाद उनके हाथ आए 84.9 लाख रुपये. ऊपर से 5 साल किराए से 7.2 लाख रुपये की कमाई हुई. कुल मिलाकर रुपये में 45% का फायदा दिखता है. लेकिन असली ट्विस्ट तो अब आता है!

डॉलर में हिसाब लगाया तो धक्का लगा

जब ये NRI जोड़ा था, तब 2010 में 1 डॉलर = 45 रुपये. 2024 तक आते-आते 1 डॉलर = 85 रुपये हो गया. यानी उनका 64.34 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट (तब के 1.11 लाख डॉलर) 2024 में बिक्री और किराए से मिले 92.1 लाख रुपये (1.2 लाख डॉलर) बन गए. मतलब, 15 साल में सिर्फ 8,500 डॉलर का मुनाफा. सालाना रिटर्न? बस 0.5%! अब अगर यही पैसा उन्होंने अमेरिका में S&P 500 इंडेक्स फंड में डाला होता, तो उनका पैसा तिगुना हो गया होता. मतलब, 1.11 लाख डॉलर आज 3 लाख डॉलर के आसपास होता. लेकिन ये फ्लैट? ना रिटर्न, ना मजा!

कहां फंसा पेंच?

किराया बेकार: फ्लैट से किराया मिला सिर्फ 2.25% (ग्रॉस), जो बहुत कम है. मतलब, फ्लैट की कीमत के हिसाब से किराए से कुछ खास कमाई नहीं हुई.

कीमत बढ़ी ही नहीं: हाइड्राबाद का IT कॉरिडोर सुनकर जोड़े ने सोचा था कि फ्लैट की वैल्यू आसमान छूएगी. लेकिन वैसा कुछ हुआ नहीं. फ्लैट की कीमत धीमे-धीमे ही बढ़ी.

बेचना मुश्किल: फ्लैट को बेचने में भी वक्त लगा. रियल एस्टेट का यही दर्द है – पैसा फंस जाता है, जल्दी निकलता नहीं.

रुपये का गिरना: NRI के लिए तो असली मार रुपये की वैल्यू गिरने से पड़ी. जो पैसा उन्होंने डॉलर से रुपये में बदला, उसका रिटर्न डॉलर में देखो तो लगभग बराबर ही रहा.

कपल का दर्द

इस NRI जोड़े ने rupeestories सबरेडिट पर अपनी आपबीती शेयर की. बोले, “कुछ न करना तो नुकसान है, लेकिन गलत चीज में पैसा लगाना उससे भी बड़ा नुकसान. ये फ्लैट सिर्फ पैसों का ही नहीं, बल्कि टाइम, एनर्जी, और दिमाग का भी घाटा कर गया.”

दूसरों की भी यही कहानी

ऐसी कहानी सिर्फ इस जोड़े की नहीं. एक गुरुग्राम के मैनेजर ने बताया कि उनके दोस्त ने 2022 में एक टियर-2 शहर में 70 लाख का फ्लैट लिया. दो साल बाद 75 लाख में बेचा, लेकिन टैक्स और खर्चे काटने के बाद कुछ बचा ही नहीं.

सीख क्या है?

रियल एस्टेट को हमेशा “पक्का इनवेस्टमेंट” समझने की गलती मत करो, खासकर अगर तुम NRI हो और रिटर्न डॉलर में जोड़ रहे हो. रुपये में भले कुछ मुनाफा दिखे, लेकिन रुपये की वैल्यू गिरने और महंगाई का हिसाब लगाओ, तो घाटा ही घाटा. हाइड्राबाद जैसे हॉट IT हब में भी फ्लैट की कीमतें वैसी नहीं बढ़ीं, जैसा लोग सपने देखते हैं. ऊपर से किराया कम, बेचना मुश्किल, और पैसा फंसने का टेंशन अलग. तो अगली बार सोचो, क्या रियल एस्टेट ही एकमात्र रास्ता है? शायद स्टॉक मार्केट, म्यूचुअल फंड, या कोई और ऑप्शन तुम्हारे लिए बेहतर हो. ये जोड़ा तो अब यही सोच रहा है, और तुम भी सोच लो!

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