नई दिल्ली. बीते शनिवार जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक ऐसा फैसला लिया गया जिसे लेकर पिछले 3-4 दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सोशल मीडिया पर खूब मजाक बनाया गया. उन्होंने इस फैसले की घोषणा करते हुए जो उदाहरण दिया वही उनके लिए जी का जंजाल बन गया. निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब पुरानी कारों की बिक्री से हुए प्रॉफिट पर 18 परसेंट जीएसटी देना होगा.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए कि आपने 12 लाख में एक कार खरीदी और उसे 9 लाख रुपये में बेच दिया, तो 3 लाख पर 18 परसेंट जीएसटी लगेगा. बस यहीं से बात बिगड़ गई. स्पष्टीकरण के अभाव में लोगों ने कैलकुलेशन बिठाना शुरू किया तो पता चला कि उन्हें नुकसान पर टैक्स देना पड़ रहा है. यानी 12 लाख की जो गाड़ी वह पहले ही 3 लाख रुपये के नुकसान पर बेच रहे हैं उस पर भी उन्हें 18 परसेंट जीएसटी देना होगा. तो उनका कुल नुकसान 3 लाख + 18% जीएसटी यानी कुल नुकसान 3.54 लाख रुपये का हुआ. लेकिन क्या यह सही है?
क्या है असल बातसबसे पहली बात तो यह कि इस बदलाव का असर किसी आम व्यक्ति पर नहीं पड़ने वाला है. माने कि अगर आप अपने किसी दोस्त को अपनी पुरानी कार बेच रहे हैं तो इस नियम से आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा. आपको कार की बिक्री से प्राप्त रकम पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा. इसका असर केवल रजिस्टर्ड लोगों पर पड़ेगा. मतलब कि रजिस्टर्ड कार सेलर्स या बिजनेसपर्सन. जिनका काम पुरानी कारों की खरीद व बिक्री है.
मार्जिन पर देना होगा टैक्सअगर कोई कार 10 लाख रुपये की है. उसे 2 साल बाद 5 लाख रुपये में बेचा गया तो 5 लाख रुपये पर 18 परसेंट जीएसटी देना होगा. लेकिन यह कैलकुलेशन इतनी भी सीधी नहीं है. इस कैलकुलेशन के बीच में आएगी Depreciated Value, यानी कार की वह वैल्यू जो उसके यूज होने के बाद रह गई है. मान लीजिए कि 10 लाख की कार ने अपना प्राइस 2 साल में 3 लाख रुपये डेप्रिसिएट किया है. यानी उसकी डेप्रिसिएटेड वैल्यू हो गई 7 लाख रुपये. आप उस कार को 5 लाख रुपये में ही बेच रहे हैं तो आपका मार्जिन तो पहले से ही -2 लाख रुपये यानी नेगेटिव हो गया. नेगेटिव मार्जिन पर आपको कोई जीएसटी नहीं देना है. लेकिन उस कार की वैल्यू डेप्रिशिएट होकर 3 लाख रुपये रह गई है और आपने उसे 5 लाख रुपये में बेचा तब आपको 2 लाख रुपये के मुनाफे में माना जाएगा और इस पर आपको जीएसटी देना होगा. रजिस्टर्ड पर्सन को इस डेप्रिशिएशन वैल्यू के बारे में टैक्स अथॉरिटी को बताना होगा. इसी वैल्यू के आधार पर तय होगा कि यूज्ड कार की सेल के मार्जिन पर उसका जीएसटी बनेगा या नहीं.
कैसे निकालते हैं डेप्रिशिएसन वैल्यूकिसी वस्तु, मशीन या संपत्ति का वह मूल्य जो उपयोग, समय या पुराना होने की वजह से घट जाता है. इसे सरल शब्दों में समझें तो, जब हम कोई संपत्ति खरीदते हैं, तो उसकी समय के साथ जो कीमत कम होती है, उसे डेप्रिशिएशन कहा जाता है. इसे तीन तरह से कैलकुलेट किया जाता है. स्ट्रेट लाइन मैथड, रिड्यूजिंग बैलेंस मैथड, यूनिट्स ऑफ प्रोडक्शन मैथड और सम ऑफ दि ईयर डिजिट मैथड. हम इसमें से एक मैथड के जरिए किसी वस्तु की डेप्रिशिएटेड वैल्यू निकालते हैं. हम यहां स्ट्रेट लाइन मैथड का इस्तेमाल कर रहे हैं.
एनुअल डेप्रिशिएशन= कार का प्राइस – उसकी सैल्वेज वैल्यू (एक्स शोरुम प्राइस का 4-6 फीसदी)/कार की यूजफुल लाइफ
कार का प्राइस- 10 लाख रुपयेसैल्वेज वैल्यू- 60,000 रुपयेयूजफुल लाइफ- 10 साल
इन्हें फॉर्मूला डाल दिया जाए तो आपको वैल्यू मिलेगी 94000 रुपये. इसका मतलब है कि आपकी कार की वैल्यू हर साल 94000 रुपये घट रही है. अब इसी तरह से आप देख सकते हैं कि कितने साल चलाने के बाद आपकी कार की डेप्रिशिएटेड वैल्यू कितनी होगी. उस डेप्रिशिएटेड वैल्यू से आप यह पता लगा पाएंगे कि क्या आपको मार्जिन पर जीएसटी देना होगा या नहीं.
Tags: Business news, GstFIRST PUBLISHED : December 25, 2024, 14:51 IST
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