नई दिल्ली. भारत को अपना कारोबार बढ़ाने के लिए दुनिया ने एक मौका दिया, लेकिन हम इसका पूरा फायदा नहीं उठा सके. सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. नीति आयोग ने बताया कि भारत को अब तक ‘चीन प्लस वन रणनीति’ को अपनाने में सीमित सफलता मिली है, जबकि वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया और मलेशिया को इसका बड़ा फायदा मिला है.
रिपोर्ट में इसमें कहा गया कि सस्ता श्रम, सरल कर कानून, कम शुल्क और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर करने में तेजी जैसे कारकों से इन छोटे देशों देशों को अपनी निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिली है, जबकि इनके मुकाबले भारत को कम सफलता हाथ लगी. अमेरिका ने चीन की वृद्धि और तकनीकी प्रगति पर होने वाले खर्च को सीमित करने के लिए चीनी वस्तुओं पर सख्त निर्यात नियंत्रण और उच्च शुल्क लागू किए हैं.
ग्लोबल ट्रेड में घटी भारत की हिस्सेदारीनीति आयोग की रिपोर्ट ‘ट्रेड वॉच क्वार्टरली’ में कहा गया है कि इससे वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में बड़ा बदलाव आया और बहुराष्ट्रीय निगमों को चीनी विनिर्माण का विकल्प तलाशना पड़ा. हालांकि, भारत को अब तक ‘चीन प्लस वन रणनीति’ को अपनाने में सीमित सफलता मिली है. हाल के वर्षों में श्रम-सघन क्षेत्रों के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी घटी भी है. लिहाजा भारत को प्रमुख उत्पाद श्रेणियों में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की जरूरत है.
भारत है पसंदीदा बाजाररिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ग्लोबल कंपनियों के लिए सबसे पसंदीदा बाजार है, जहां वे चीन से बाहर आकर अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाना चाहती हैं. इससे भारत के पास अपनी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने का एक बड़ा अवसर भी है. बावजूद इसके अभी तक बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिला है. इसके उलट पिछले कुछ साल में भारत की ग्लोबल ट्रेड में हिस्सेदारी कम हो गई है.
यूरोप से आ रही बुरी खबरभारत के सबसे बड़े निर्यात पार्टनर यूरोपीय यूनियन से भी बुरी खबर आने वाली है. ईयू ने हाल में ही कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) लागू किया है, जो कार्बन उत्सर्जन करने वाले प्रोडक्ट पर अतिरिक्त शुल्क लगाता है. इससे भारत के आयरन, स्टील, सीमेंट, एलुमीनियम, फर्टिलाइजर्स, इलेक्ट्रिसिटी और हाइड्रोजन पर साल 2026 से 20 से 35 फीसदी तक शुल्क लगा सकता है. बड़ी बात ये है कि ईयू भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है, जहां 2023-24 में 76 अरब डॉलर यानी कुल निर्यात का 17 फीसदी से भी ज्यादा एक्सपोर्ट किया गया था. ईयू को होने वाले कुल निर्यात में आयरन और स्ट्रील उद्योग की हिस्सेदारी ही 23.5 फीसदी है.
Tags: Business news, Indian export, Niti AayogFIRST PUBLISHED : December 5, 2024, 12:08 IST
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