कांवड़ कॉरिडोर पर क्‍या फंसेगा पेंच, NGT ने यूपी सरकार से मांग लिया जवाब

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नई दिल्‍ली. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने प्रस्‍तावति कांवड़ कॉरिडोर के निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या बताने का आदेश राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दिया है. मुख्‍य सचिव को एनजीटी को दो सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करना होगा. एनजीटी को एक फैक्‍ट फाइंडिंग कमेटी ने सूचित किया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में 17,600 से अधिक पेड़ काटे गए हैं. एनजीटी गाजियाबाद के मुरादनगर और मुजफ्फरनगर के पुरकाजी के बीच प्रस्तावित मार्ग के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों के संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

छह नवंबर को दिए गए आदेश में एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि तथ्यों का पता लगाने के लिए पहले गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है. समिति में भारतीय वन सर्वेक्षण के निदेशक, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, राज्य के मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधि और मेरठ के जिलाधिकारी शामिल थे. पीठ ने कहा, ‘‘अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नौ अगस्त, 2024 तक तीनों जिलों में 17,607 पेड़ काटे जा चुके हैं.’’

भीड़ कम करने को बनाया जा रहा है कावड़ कॉरिडोर कावड़ कॉरिडोर उत्‍तराखंड बॉर्डर के समीप स्थित पुरखाजी को मुरादनगर से जोड़ेगा. इसकी लंबाई 111 किलोमीटर है. एनजीटी को सौंपी गई एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, यूपी, दिल्‍ली, हरियाणा, राजस्‍थान और मध्‍यप्रदेश के करीब एक करोड़ श्रद्धालु हरिद्वार से गंगा जल लेकर अपने-अपने राज्‍यों को जाते हैं. श्रद्धालुओं की भारी संख्‍या की वजह से इस मार्ग पर बहुत ज्‍यादा भीड़ हो जाती है. इस रूट पर मेरठ, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद के 54 गांव भी पड़ते हैं. कावड यात्रा के दौरान भारी भीड़ के कारण स्‍थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

1,12,722 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी अनुमति एनजीटी ने कहा कि 1,12,722 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में केवल 33,776 पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश राज्य को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना क्या उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई है.’’ आदेश मं कहा गया है कि यह भी स्पष्ट किया जाए कि क्या पेड़ों की कटाई 15 से 20 मीटर की चौड़ाई से अधिक दायरे में की गई है और यदि हां, तो इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति कौन है.

भारतीय सर्वेक्षण विभाग को भी रिपोर्ट देने का आदेश एनजीटी ने नहरों के दोनों ओर काटे गए पेड़ों की सीमा का पता लगाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण करने के बारे में 16 अक्टूबर को महासर्वेक्षक के पहले के बयान का भी उल्लेख किया. एनजीटी ने कहा, ‘‘भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से वह जानकारी एकत्र नहीं की जा सकती. इसलिए, हम महासर्वेक्षक, भारतीय सर्वेक्षण विभाग को वर्ष 2024 (अक्टूबर 2024 तक) के लिए विचाराधीन खंडों की उपग्रह तस्वीर प्राप्त करने और विचाराधीन खंडों में 2023 में मौजूद पेड़ों और अक्टूबर 2024 तक काटे गए पेड़ों की तुलनात्मक स्थिति दिखाते हुए एक नयी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं.’’
Tags: Business news, Infrastructure Projects, UP newsFIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 13:08 IST

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