महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से 7600 करोड़ रुपये मांग रहा गुजरात, कैसे चढ़ गई इतनी बड़ी उधारी?

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महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से 7600 करोड़ रुपये मांग रहा गुजरात, कैसे चढ़ गई इतनी बड़ी उधारी?

Narmada dam project dues : आपने सुना होगा लोगों की एक-दूसरे के साथ उधारी चलती है. पास-पड़ोस की दुकानों पर भी कई लोग उधार-खाता रखते हैं. मगर यह केवल लोगों तक सीमित नहीं है. खबर है कि गुजरात ने देश के तीन बड़े राज्यों से 7 हजार करोड़ रुपये से अधिक की उधारी कर रखी है. इनमें से लगभग 100 रुपये ही वापस आए हैं. यह जानकारी किसी और ने नहीं, बल्कि खुद गुजरात की सरकार ने विधानसभा के पटल पर रखी. पर इतनी ज्यादा उधारी हुई कैसे? इस बारे में जानने की दिलचस्पी आपकी भी होगी. तो चलिए जानते हैं.

बता दें कि यह मामला नर्मदा डैम से जुड़ा हुआ है. इस डैम को भारत के सबसे बड़े जल और ऊर्जा स्रोतों में गिना जाता है. गुजरार सरकार ने विधानसभा में पेश किए आंकड़ों में कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और राजस्थान पर उसके 7,593 करोड़ रुपये बाकी हैं. इस डैम का पानी पाने वाली लाभार्थी राज्यों में ये तीनों भी शामिल हैं. ये तीनों ही नर्मदा डैम का पानी सिंचाई और पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और यहां से पैदा होने वाली बिजली का लाभ भी ले रहे हैं. पूरा लाभ लेने के बाद भी ये राज्य गुजरात सरकार को उसके हिस्से का भुगतान नहीं कर रहे हैं.

तीनों ने मिलाकर 150 करोड़ भी नहीं लौटायाजानकारी दी गई कि महाराष्ट्र ने दिसंबर 2023 तक केवल 65.67 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जिसमें से 26 करोड़ रुपये हाल ही में दिए गए. राजस्थान ने अब तक कुल 27.31 करोड़ रुपये का योगदान किया है, जबकि मध्य प्रदेश ने एक भी पैसा नहीं दिया है. गुजरात सरकार ने इस देरी को गंभीरता से लिया है और बकाया राशि वसूलने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं.

गुजरात सरकार ने सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के निदेशक (नहर) के माध्यम से 9 और 23 अगस्त 2023 को इन राज्यों को पत्र लिखकर बकाया चुकाने का अनुरोध किया था. इसके अलावा, 8 मई 2023 को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की 94वीं बैठक में भी इन राज्यों से अपने हिस्से का भुगतान करने की अपील की गई थी. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी 21 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पुनर्वास संबंधी विवादों को सुलझाने की मांग की थी.

प्रोजेक्ट के भविष्य का सवालबता दें कि यह समस्या केवल वित्तीय नहीं है, बल्कि इससे परियोजना के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. लाखों किसानों और आम जनता के लिए जीवनरेखा बन चुके नर्मदा डैम की सक्सेस इन राज्यों की भागीदारी, सहयोग और समय पर पेमेंट पर निर्भर करती है. गुजरात सरकार ने इस मुद्दे को विभिन्न समितियों और उपसमितियों की बैठकों में भी बार-बार उठाया है. सरकार का कहना है कि राज्यों को परियोजना से प्राप्त लाभों के अनुपात में अपनी वित्तीय जिम्मेदारी निभानी चाहिए. यह मामला केवल तीन राज्यों और गुजरात के बीच का नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में परियोजनाओं के लिए राज्यों के आपसी सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
Tags: Narmada RiverFIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 14:47 IST

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