नारायण मूर्ति का खुलासा! आईआईटी कानपुर को फ्री में मिल रहे थे 2000 करोड़, एक गलती ने कर दिया नुकसान

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Last Updated:June 17, 2025, 20:55 ISTIIT Kanpur Story : देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्‍थान आईआईटी कानपुर ने एक नियम की वजह से खुद को मिले 2,000 करोड़ रुपये के दान को गंवा दिया. यह खुलासा इन्‍फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने किया है.नारायणमूर्ति ने आईआईटी कानपुर को इक्विटी दान में दिया था. हाइलाइट्सआईआईटी कानपुर ने 2000 करोड़ का दान गंवाया.नियमों के कारण नारायण मूर्ति का दान अस्वीकार हुआ.आईआईटी कानपुर को 8 करोड़ के शेयर ऑफर किए गए थे.नई दिल्‍ली. देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्‍फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने खुलासा किया है कि करीब 20 साल पहले उन्‍होंने आईआईटी कानपुर को दान स्‍वरूप कंपनी के 8 करोड़ रुपये मूल्‍य के शेयर ऑफर किए थे. लेकिन, केंद्र उस समय तक यह क्‍लीयर नहीं था कि दान स्‍वरूप किसी को शेयर या इक्विटी में हिस्‍सेदारी दी जा सकती है. केंद्र सरकार के इसी नियमों की वजह से नारायणमूर्ति दान पूरा नहीं कर सके.इन्‍फोसिस के फाउंडर ने खुलासा किया कि उस समय आईआईटी कानपुर को जारी किए इन बोनस शेयर की कीमतों में अब तक 256 गुना का उछाल आ चुका है. इसका मतलब है कि संस्‍थान को दिए गए शेयर की कीमत अब करीब 2,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है. मूर्ति ने मनीकंट्रोल के साथ खास बातचीत में बताया कि अगर आईआईटी ने इन शेयरों को कबूल किया होता तो इसकी कीमत 2 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा होती है.

मालामाल हो गया बैंगलोर का संस्‍थान
बैंगलोर स्थित इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) को भी इन्‍फोसिस के फाउंडर ने करोड़ों के शेयर ऑफर किए थे, जिनकी कीमत आज 768 गुना बढ़ चुकी है. नारायण मूर्ति ने बताया कि आईआईटी कानपुर को जो इक्विटी दी जा रही थी, उसका डिविडेंड ही 8 साल में 500 करोड़ रुपये हो चुका है. भारतीय कानून के तहत शिक्षण संस्‍थानों को दान के रूप में इक्विटी या शेयरों की हिस्‍सेदारी नहीं दी जा सकती है.

आईआईएम अहमदाबाद ने शुरू की स्‍कॉलरशिपआईआईएम अहमदाबाद ने अगले 20 साल के लिए स्‍कॉलरशिप प्रोग्राम शुरू किया है. इसके तहत एमबीए टॉपर्स को इक्विटी आधारित फिक्‍स्‍ड इनकम का तोहफा दिया जाएगा. यह स्‍कॉलरशिप मेरिट आधारित होगी. इसमें ट्यूशन फीस, हॉस्‍टल फीस, मेस का चार्ज, किताबें सहित अन्‍य खर्चों को भी शामिल किया गया है.

अब तक हो जाता हजारों करोड़ का दानमूर्ति ने बताया कि आईआईटी कानपुर कोई इकलौता केस नहीं है, उन्‍होंने और भी कई शिक्षण संस्‍थानों को इक्विटी हिस्‍सेदारी के जरिये दान देने की कोशिश की थी. अगर इन सभी ने स्‍वीकार कर लिए होते तो आज उन शेयरों की कीमत 15 से 16 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाती. सिर्फ आईसीएसी ही हर साल अपने हिस्‍से के शेयरों पर 110 से 120 करोड़ रुपये का डिविडेंड हासिल करता है.Pramod Kumar Tiwariप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ेंप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessआईआईटी कानपुर को फ्री में मिल रहे थे 2000 करोड़, एक गलती ने कर दिया नुकसान

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