Last Updated:June 18, 2025, 15:34 ISTनंदन नीलेकणी को सरकार बिजली क्षेत्र के डिजिटल बदलाव के लिए नई टास्क फोर्स की कमान सौंप सकती है. यह टास्क फोर्स बिजली लागत को 25% तक घटाने पर काम करेगी. लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा.नंदन नीलेकणी ने मार्च में यह बात कही थी. हाइलाइट्सनंदन नीलेकणी को नई टास्क फोर्स की कमान मिल सकती है.टास्क फोर्स बिजली लागत को 25% तक घटाने पर काम करेगी.लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा.नई दिल्ली. क्या एनर्जी अगला यूपीआई बनने जा रही है? आधार बनाने वाले और इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणी का तो कुछ ऐसा ही कहना है. इतना ही नहीं, खबरें हैं कि उन्हें जो नई जिम्मेदारी मिलने वाली है वह इस बात को और पुख्ता करती है. बिजली सेक्टर में जल्द ही बड़ा डिजिटल बदलाव देखने को मिल सकता है. इंफोसिस के को-फाउंडर और आधार के आर्किटेक्ट नंदन नीलेकणी को सरकार एक नई टास्क फोर्स की कमान सौंप सकती है, जिसका मकसद देश की बिजली व्यवस्था को डिजिटल और विकेंद्रीकृत (decentralised) बनाना है. यह टास्क फोर्स बिजली उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक की लागत को 25% तक घटाने पर काम करेगी. अगर यह योजना औपचारिक रूप से शुरू होती है, तो यह दूसरी बार होगा जब सरकार बिजली क्षेत्र के रिफॉर्म्स के लिए नीलेकणी का मार्गदर्शन लेगी.इस टास्क फोर्स को विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) के अधीन काम करने की जिम्मेदारी दी जाएगी और इसे रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत फंड किया जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि इस पूरी पहल का विजन UPI की तरह एक नया डिजिटल एनर्जी नेटवर्क खड़ा करना है, जिसमें आम नागरिक सिर्फ उपभोक्ता नहीं बल्कि बिजली निर्माता और व्यापारी भी बनेंगे.
क्या है डिजिटल एनर्जी ग्रिड (DEG)?
फाउंडेशन फॉर इंटरऑपरेबिलिटी इन डिजिटल इकोनॉमी (FIDE) और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इस डिजिटल ऊर्जा नेटवर्क की रूपरेखा साझा की गई है, जिसके फोरवर्ड (प्रस्तावना) में नीलेकणी की सीधी भूमिका रही है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भविष्य में आम लोग अपने घरों पर लगे सोलर पैनल या EV बैटरी से बिजली पैदा करेंगे, स्टोर करेंगे और उसे एक-दूसरे को बेच भी सकेंगे.
यानि बिजली के लेन-देन में भी UPI जैसा ओपन नेटवर्क तैयार किया जाएगा, जिसे यूनिफाइड एनर्जी इंटरफेस (UEI) कहा गया है. इसके जरिए उपभोक्ता सिर्फ डिस्कॉम से बिजली नहीं लेंगे, बल्कि एक-दूसरे से सीधा व्यापार भी कर सकेंगे.
लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट जल्द
सूत्रों के मुताबिक इसका पहला पायलट प्रोजेक्ट लखनऊ में शुरू किया जाएगा, जिसमें UEI मॉडल को ज़मीन पर उतारा जाएगा. इसका मकसद पावर सेक्टर में मैन्युअल हस्तक्षेप को कम करना और उपभोक्ताओं के लिए बिजली की कीमतों को घटाना है. इससे वितरण घाटा भी कम हो सकता है और ग्रिड की कार्यक्षमता बेहतर हो सकती है.
क्यों खास है नीलेकणी की वापसी?
नंदन नीलेकणी ने मार्च में एक ट्वीट में इशारा किया था कि “Energy is the next UPI!” उनका मानना है कि जिस तरह UPI ने फाइनेंशियल लेन-देन को आम लोगों के हाथ में दे दिया, उसी तरह डिजिटल एनर्जी ग्रिड से करोड़ों लोग बिजली व्यवस्था का हिस्सा बनेंगे. आधार और UPI जैसी क्रांतियों में नीलेकणी की भूमिका ने उन्हें टेक्नोलॉजी के भरोसेमंद रिफॉर्मर के रूप में स्थापित किया है.
Energy is the next UPI! Millions of small producers will participate in the Digital Energy Grid (DEG).
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News