बहुत नजदीक है दिन, 1 लाख का आंकड़ा पार करने जा रहा सेंसेक्स

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नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार में सितंबर 2024 से अब तक जो गिरावट आई है, उसे एक ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली एक ‘खरीदने का मौका’ मान रही है. कंपनी ने भारत की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की दीर्घकालिक संभावनाओं पर भरोसा जताते हुए जून 2026 तक सेंसेक्स का नया लक्ष्य 89,000 तय किया है. यही नहीं, अगर परिस्थितियां बहुत अनुकूल रहीं, तो सेंसेक्स अगले 12 महीनों में 1 लाख का आंकड़ा भी छू सकता है.

मॉर्गन स्टैनली की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 89,000 का लक्ष्य एक बेस केस (सामान्य परिस्थिति) है, जिसकी संभावना 50% मानी गई है. वहीं बुल केस (बेहद अनुकूल परिस्थिति) में सेंसेक्स के 1,00,000 तक पहुंचने की 30% संभावना जताई गई है.

सेंसेक्स को लेकर यह अनुमान किस आधार पर?

मॉर्गन स्टैनली के इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट ऋधम देसाई ने बताया कि 89,000 के नए लक्ष्य में भारत की कमाई से जुड़े नए अनुमान शामिल हैं. यह पहले के दिसंबर 2025 के 82,000 के लक्ष्य से आगे बढ़ाया गया है. उनका कहना है कि अगर सेंसेक्स 89,000 तक पहुंचता है, तो यह 23.5 के P/E मल्टीपल पर ट्रेड करेगा, जो कि पिछले 25 सालों की औसत 21x से थोड़ा अधिक है. यह प्रीमियम इस बात का संकेत है कि ब्रोकरेज हाउस को भारत की मीडियम टर्म ग्रोथ स्टोरी पर अधिक भरोसा है. इसमें भारत का स्थिर राजनीतिक माहौल, ऊंची विकास दर, और कम जोखिम वाली प्रोफाइल शामिल है.

1 लाख का आंकड़ा कब और कैसे?

अगर अगले 12 महीनों में सेंसेक्स को 1 लाख तक पहुंचना है, तो कुछ बड़ी शर्तें पूरी होनी होंगी

कच्चे तेल की कीमतें लगातार $65 प्रति बैरल से नीचे बनी रहें

GST दरों में कटौती हो

कृषि कानूनों में प्रगति हो

कंपनियों की कमाई (Earnings) में सालाना 19% की बढ़ोतरी हो

दुनिया में कोई बड़ा ट्रेड वॉर न हो

अगर ये सारे फैक्टर्स अनुकूल रहते हैं, तो भारत के शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी जा सकती है.

निवेशकों का मूड कैसा है?

देसाई का कहना है कि बीते दो महीनों में भले ही बाजार में कुछ गिरावट देखने को मिली हो, लेकिन यह गिरावट बहुत संयमित रही. बाजार में अस्थिरता ज्यादा नहीं बढ़ी, और खुदरा निवेशकों (retail investors) की लगातार खरीददारी जारी रही, जो कि बाजार की स्थिरता का संकेत है.

एक और दिलचस्प बात यह है कि विदेशी निवेशकों (FIIs) की भारत में पोजिशनिंग 2000 से अब तक सबसे कमजोर है. लेकिन अब इस ट्रेंड में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं, यानी विदेशी निवेशक फिर से भारत की ओर आकर्षित हो सकते हैं.

कौन से सेक्टर पर दांव लगाने की सलाह?

मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि आने वाला वक्त स्टॉक पिकर्स के लिए है — यानी ऐसे निवेशक जो सेक्टर के बजाए अलग-अलग कंपनियों को चुनकर निवेश करते हैं. ब्रोकरेज हाउस ने अपनी रणनीति में कुछ खास सेक्टर्स को Overweight और कुछ को Underweight बताया है:

Overweight सेक्टर (ज्यादा भरोसा)

फाइनेंशियल्स (बैंक, एनबीएफसी)

कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी (ऑटो, ड्यूरेबल्स)

इंडस्ट्रियल्स (इंफ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल गुड्स)

Underweight सेक्टर (कम भरोसा):

एनर्जी

मटीरियल्स

यूटिलिटीज

हेल्थकेयर

मॉर्गन स्टैनली की यह रिपोर्ट बताती है कि भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूत ग्रोथ की कहानी अभी भी कायम है. बाजार में आई हालिया गिरावट को यह एक सुनहरा मौका मानती है, खासकर लंबी अवधि के निवेशकों के लिए. अगर घरेलू ग्रोथ बनी रहती है, वैश्विक स्तर पर कोई बड़ा झटका नहीं आता, और भारत की नीतियां स्थिर रहती हैं, तो सेंसेक्स अगले दो सालों में 89,000 तक और अनुकूल परिस्थितियों में 1 लाख तक भी पहुंच सकता है.

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