ट्रंप तो अमेरिका की लुटिया डुबो रहे, देखने पड़ रहे ऐसे दिन, जो कभी सोच न होगा

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डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का असर अब धीरे-धीरे अमेरिका की वित्तीय सेहत पर साफ दिखने लगा है. पहले ट्रेड वार, फिर टैक्स छूट और अब ब्याज का बढ़ता बोझ… इन सबने मिलकर अमेरिका का वह हाल कर दिया है, जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा. कभी दुनिया की सबसे भरोसेमंद अर्थव्यवस्था मानी जाने वाली अमेरिका की साख अब खतरे में पड़ती दिख रही है. जो अमेरिका कभी दूसरों की रेटिंग का फैसला करता था, आज खुद रेटिंग डाउनग्रेड का शिकार है.

दरअसल अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ रेटिंग्स ने अमेरिका की दीर्घकालिक क्रेडिट रेटिंग को ‘Aaa’ से घटाकर ‘Aa1’ कर दिया है. यह कदम बताता है कि अमेरिका अब उस सर्वोच्च श्रेणी में नहीं रहा, जिसे कभी उसकी ताकत और स्थिरता की पहचान माना जाता था. खास बात यह है कि यह डिग्रेडेशन तब हुआ है जब अन्य दो बड़ी एजेंसियां पहले ही अमेरिका को शीर्ष श्रेणी से नीचे कर चुकी थीं—मूडीज़ ही आखिरी था जो अब झुक गया.

क्या है ‘Aa1’ रेटिंग?

‘Aa1’ रेटिंग बहुत उच्च गुणवत्ता को दर्शाती है, लेकिन यह Aaa यानी सर्वोच्च रेटिंग से एक स्तर नीचे होती है. इसका मतलब है कि Moody’s को अब अमेरिकी सरकार की कर्ज भुगतान की क्षमता पर थोड़ा अधिक जोखिम दिख रहा है.

रेटिंग डाउनग्रेड में ट्रंप का कितना रोल?

मूडीज़ ने इस रेटिंग कटौती का ठीकरा अमेरिका की बढ़ती कर्ज़ की मात्रा, गहराते घाटे और राजनीतिक अस्थिरता पर फोड़ा है, जिनमें बड़ी भूमिका पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों की भी बताई जा रही है. 2017 में लागू किए गए टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट को अगर समय रहते खत्म नहीं किया गया, तो मूडीज़ का अनुमान है कि इससे आने वाले दशक में 4 ट्रिलियन डॉलर का अतिरिक्त घाटा झेलना पड़ेगा. यह वही कानून है, जिसने अमीरों को फायदा पहुंचाया और सरकार की आमदनी को बड़ा झटका दिया.

मूडीज़ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अमेरिका का राजकोषीय घाटा 2024 में जीडीपी का 6.4% रहने का अनुमान है और 2035 तक यह 9% तक जा सकता है. साथ ही फेडरल कर्ज 2024 में जीडीपी का 98% है, जो 2035 में 134% तक बढ़ सकता है. इतना ही नहीं, सरकार की कुल कमाई का 30% हिस्सा केवल ब्याज चुकाने में जा सकता है, जो अभी 18% है.

डगमागने लगी है अमेरिकी नैया!

यह आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका की आर्थिक नीतियों की नाव अब धीरे-धीरे डगमगाने लगी है, और उस पर नियंत्रण के लिए नेतृत्व में इच्छाशक्ति की कमी है. मूडीज़ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि हाल के वर्षों में अमेरिकी सरकारें आवश्यक वित्तीय सुधारों को लागू करने में नाकाम रही हैं.

हालांकि मूडीज़ ने अमेरिका के कुछ मजबूत पहलुओं को भी गिनाया- जैसे कि डॉलर की वैश्विक रिजर्व मुद्रा के रूप में स्थिति, प्रति व्यक्ति $85,812 की GDP, और फेडरल रिजर्व जैसी स्वतंत्र मौद्रिक संस्था. लेकिन इन सबके बावजूद यह सच अब सामने है कि अमेरिका की आर्थिक चमक अब उतनी भरोसेमंद नहीं रही जितनी कभी थी.

Moody’s की यह रेटिंग बताती है कि अमेरिका अब भी एक मजबूत और सक्षम अर्थव्यवस्था है, लेकिन अगर कर्ज और घाटे की रफ्तार पर काबू नहीं पाया गया, तो भविष्य में उसे और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

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