2 महीने की बारिश कैसे तय करती है स्टॉक मार्केट का मूड, क्या है बरसात और बाजार का रिश्ता

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Last Updated:May 28, 2025, 15:51 IST2024 में मानसून LPA से 8% अधिक था, जिससे FMCG और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स को फायदा हुआ. लेकिन Sensex में मामूली 1.2% उछाल आया. 2025 में मानसून 6% अधिक रहने का अनुमान है.अच्छी बारिश से बाजार भी खुश होता है. हाइलाइट्स2024 में मानसून LPA से 8% अधिक था.FMCG और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स को फायदा हुआ.Sensex में मामूली 1.2% उछाल आया.नई दिल्ली. मानसून का समय आते ही हर साल उम्मीदें बढ़ जाती हैं कि अगर बारिश सामान्य रही तो खेती में बढ़त होगी और ग्रामीण मांग (rural demand) मजबूत होगी. लेकिन क्या वाकई अच्छी बारिश शेयर बाजार में भी अच्छी कमाई का संकेत देती है? मनीकंट्रोल का एक ताजा विश्लेषण बताता है कि इसका जवाब इतना सीधा नहीं है. 2024 में मानसून दीर्घकालीन औसत (Long Period Average – LPA) से 8% अधिक था, यानी अच्छी बारिश हुई. इससे खाद्यान्न उत्पादन में 5% की बढ़त दर्ज की गई, जिससे FMCG और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे सेक्टरों को फायदा भी हुआ—इनके सब-इंडेक्स में 4-5% की बढ़ोतरी दिखी.

हालांकि, अगर Sensex की बात करें तो जून से नवंबर के बीच इसमें सिर्फ 1.2% का मामूली उछाल आया. 2008 से अब तक के आंकड़े बताते हैं कि सामान्य या बेहतर मानसून के बावजूद शेयर बाजार में कोई स्थायी या मजबूत रिश्ता नहीं दिखता.

जुलाई-अगस्त: असली कहानी का समय

जब ध्यान जुलाई और अगस्त पर केंद्रित किया गया तो एक अलग ट्रेंड दिखा. इस समय तक अधिकतर खरीफ फसलों की बुवाई पूरी हो जाती है. इन महीनों में अगर बारिश अच्छी और देशभर में समान रूप से फैली होती है, तो बाजार में बेहतर प्रदर्शन की संभावना बढ़ जाती है. 2010 में अच्छी और समान रूप से वितरित बारिश ने बाजार में 14% से ज्यादा का उछाल दिखाया. जबकि 2015 में जुलाई-अगस्त की बारिश औसत से 19% कम रही और बाजार 4% नीचे रहा. 2018 में भी कमजोर मानसून के साथ 2.5% गिरावट देखी गई. कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स इंडेक्स ग्रामीण मांग से सीधा जुड़ा होने के कारण मानसून की चाल पर ज्यादा संवेदनशील रहता है.

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2025 में क्या होगा?

IMD ने इस साल यानी 2025 में मानसून को 6% अधिक रहने का अनुमान जताया है. लेकिन जानकारों का मानना है कि केवल कुल बारिश नहीं, बल्कि बरसात का समय और स्थान कहीं अधिक अहम होते हैं. IDFC फर्स्ट बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट गौरा सेनगुप्ता के अनुसार, “जुलाई और अगस्त के दौरान बारिश का समय बेहद अहम है, क्योंकि तब तक खरीफ की ज्यादातर बुवाई हो चुकी होती है. वहीं, जिन राज्यों में सिंचाई की सुविधा कम है, वहां बारिश का वितरण और भी ज्यादा मायने रखता है.” मानसून और बाजार के रिश्ते को पूरी तरह से जोड़ना मुश्किल है. बारिश खेती और मांग को तो प्रभावित करती है, लेकिन शेयर बाजार पर उसका असर अन्य कारकों के साथ मिलकर तय होता है. खासकर छोटे और मिडकैप स्टॉक्स में ग्रामीण मांग का असर ज्यादा दिखता है, लेकिन व्यापक बाजार में मानसून अकेला कारक नहीं बनता.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें OXBIG NEWS NETWORK India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusiness2 महीने की बारिश कैसे तय करती है स्टॉक मार्केट का मूड

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