कौन दे रहे हैं सबसे ज्यादा टैक्स, दोगुनी हो गई टैक्सपेयर की संख्या

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नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी के बाद भारतीय निवेशकों का रुझान शेयर बाजार, रियल एस्टेट और विदेशी संपत्तियों की ओर तेजी से बढ़ा है. यही वजह है कि टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों में अब ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिनकी आय कई स्रोतों जैसे कि किराए से आमदनी, शेयर या प्रॉपर्टी से पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन), या फिर विदेशी संपत्तियों से होती है. ये न तो व्यवसायी हैं और न ही किसी पेशे से जुड़े हैं. आयकर विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस श्रेणी के टैक्सदाताओं का कुल टैक्स रिटर्न में हिस्सा 2024-25 के असेसमेंट वर्ष में दोगुना होकर 14% हो गया है.

आयकर रिटर्न के ये आंकड़े बता रहे हैं कि अब भारत का मध्यम वर्ग निवेश की दिशा में कदम बढ़ा रहा है और टैक्स सिस्टम में उनकी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है. यह ट्रेंड आने वाले वर्षों में सरकार को टैक्स कलेक्शन बढ़ाने में भी मदद कर सकता है. अब अधिक लोग न सिर्फ शेयर बाजार में सक्रिय हैं, बल्कि वे समय पर टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हैं.

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भरना होता है आईटीआर-2 फॉर्म

लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईटीआर-2 फॉर्म भरने वालों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त उछाल आया है. ITR-2 वह फॉर्म है जिसका इस्तेमाल वे व्यक्ति करते हैं जिनकी सालाना आय ₹50 लाख से अधिक होती है और जिनकी आय में शेयरों या प्रॉपर्टी से पूंजीगत लाभ, एक से अधिक घर से किराया या विदेशी आमदनी शामिल होती है. 2020-21 में जहां ऐसे रिटर्न भरने वालों की संख्या 47.5 लाख थी, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 1.217 करोड़ हो गई है.

हर साल बढ रही है संख्‍या

2021-22 के असेसमेंट वर्ष में आईटीआर-2 फाइलिंग में 27% की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 30% से भी अधिक हो गई. इसके अगले वर्ष यानी 2023-24 में इसमें 14% की वृद्धि देखी गई. इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि अब अधिक से अधिक लोग निवेश के जरिए आय अर्जित कर रहे हैं और टैक्स रिटर्न भरने लगे हैं. इसके उलट, जिन लोगों की आमदनी केवल वेतन से होती है और जो ₹50 लाख से कम कमाते हैं, उनकी रिटर्न फाइलिंग में उतनी तेज़ी नहीं आई है. 2020-21 में इस श्रेणी के रिटर्न की संख्या 3.165 करोड़ थी, जो 2024-25 में बढ़कर 3.597 करोड़ हो गई. हालांकि कुल रिटर्न में इनकी हिस्सेदारी घटकर 49% से 43% रह गई है.

इस रुझान के पीछे कई वजहें हैं. एक तो सरकार द्वारा वित्तीय लेनदेन की थर्ड पार्टी रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाना, दूसरा TDS (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों की निगरानी, और तीसरा यह कि अब आयकर विभाग द्वारा करदाताओं को उनके लेनदेन के आधार पर आय रिपोर्ट करने के कई विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके अलावा घरेलू निवेशकों की शेयर बाजार में बढ़ती भागीदारी भी एक प्रमुख कारण है, जिससे ITR-2 फाइलिंग में भारी उछाल देखने को मिल रहा है.

बदल रही है निवेश प्रोफाइल

EY इंडिया की टैक्स सलाहकार और नेशनल लीडर सोनू अय्यर का कहना है कि ITR-2 फाइलिंग में लगातार हो रही बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि भारतीय टैक्सदाताओं की आमदनी और निवेश प्रोफाइल में बड़ा बदलाव आया है. यह केवल अधिक आमदनी का संकेत नहीं है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अब रिटेल निवेशक पूंजी बाजार और अन्य निवेश विकल्पों में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. अय्यर ने यह भी कहा कि वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता और टैक्स विभाग की सख्त निगरानी से टैक्स बेस को और अधिक विस्तार मिला है.

वहीं, टैक्स और कंसल्टिंग फर्म AKM ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी का कहना है कि ITR-2 में आई तेज़ी भारत की टैक्स प्रणाली में बड़े बदलाव का संकेत है. यह स्पष्ट करता है कि अब अधिक लोग न सिर्फ शेयर बाजार में सक्रिय हैं, बल्कि वे समय पर टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहे हैं. डिमैट खातों की बढ़ती संख्या भी इस बात की पुष्टि करती है कि आम निवेशक अब पूंजी बाजार का हिस्सा बनने लगे हैं.

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