नई दिल्ली. शेयर बाजार में जब गिरावट आती है तो लोग अपने शेयरों को एवरेज करने के लिए कम भाव में स्टॉक खरीदते हैं. और बाजार इतना नीचे गिर जाता है कि और ज्यादा एवरेज करने के लिए हाथ में पैसा ही नहीं बचता. यदि आपके साथ भी ऐसा ही है तो अपनी इस आदत को तुरंत बदल लीजिए और बड़े निवेशकों से सीखिए. दुनियाभर के उभरते बाजारों में निवेश करके मोटा माल बनाने वाले निवेशक मार्क मोबियस इस समय चैन से बैठे हैं. उन्होंने अपने लगभग 95 प्रतिशत फंड कैश में रखा हुआ है. वे सही मौकों का इंतजार कर रहे हैं. यही हाल दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वॉरेन बफेट का भी है. उन्होंने भी लगभग एक साल से अपने पास भारी-भरकम कैश जमा किया हुआ है.
मार्क मोबियस ने ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “इस समय, कैश ही किंग है. मेरे फंड्स का 95% पैसा नकद में है.” उन्होंने कहा, “अभी, हमें नकद रखना है और सही समय पर सही कदम उठाने के लिए तैयार रहना है.” तीन दशकों से उभरते हुए बाजारों में निवेश कर रहे मोबियस ने कहा कि भारत जैसे कुछ देश वर्तमान माहौल में अच्छा कर सकते हैं, “लेकिन हमें इंतजार करना होगा, जब तक यह वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं समाप्त नहीं हो जाती.”
बड़े नेगेटिव हुए बैठे हैं निवेशकध्यान दिया जाए तो कई वॉल स्ट्रीट मैनेजर्स और स्ट्रैटेजिस्ट अपने इक्विटी आवंटन में डिफेंसिव हो गए हैं. मोबियस का हाई कैश प्रतिशत अभी भी अधिक दिखता है. एक बैंक ऑफ अमेरिका कॉर्प सर्वे ने इस महीने की शुरुआत में दिखाया कि निवेशकों की आर्थिक संभावनाओं पर भावना पिछले तीन दशकों में सबसे नकारात्मक है. मोबियस ने कहा कि निवेशक केवल ट्रेड से जुड़ी बातचीज के अगले चार से छह महीनों के दौरान बाजार के अवसरों का आकलन कर पाएंगे.
मोबियस कैपिटल पार्टनर्स के सह-संस्थापक ने कहा, वह तीन से चार महीने से अधिक कैश नहीं रखेंगे, और अवसर मिलने पर कुछ फंड्स का निवेश शुरू करेंगे. अगर बाजार और भी नीचे आता है, तो हम निश्चित रूप से और पैसा लगाएंगे.
2023 में थी 2,500 करोड़ की AMUमोबियस ने 2023 में इकॉनमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया था कि उस समय वे करीब 300 मिलियन डॉलर (लगभग 2,500 करोड़ रुपये) की संपत्तियों का प्रबंधन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि जो निवेशक अभी भी केवल अमेरिकी डॉलर में निवेश कर रहे हैं, वे दुनिया के बाकी हिस्सों में हो रही जबरदस्त तेजी से फायदा नहीं उठा पा रहे. MSCI वर्ल्ड इस साल अब तक करीब 10% बढ़ चुका है, और लगातार 15 दिन की तेजी का नया रिकॉर्ड बना चुका है. MSCI अमेरिका को छोड़कर बाकी दुनिया के शेयरों को ट्रैक करता है.
मोबियस का मानना है कि अमेरिका अब चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है और वैश्विक सप्लाई चेन को नए सिरे से तैयार कर रहा है. इस प्रक्रिया में भारत को बड़ा फायदा मिल सकता है. उन्होंने कहा, “अमेरिका भारत के साथ समझौता करने को लेकर बेहद इच्छुक है, क्योंकि भारत चीन का एक अच्छा विकल्प बन सकता है.” उन्होंने साफ किया कि भारत में सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों पर उनकी नजर है.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा, “अगर चीन की सरकार व्यापार और घरेलू खर्च को लेकर अपना रुख पूरी तरह बदलती है, तो मैं चीन पर भी बहुत ज्यादा भरोसा करने लगूंगा.”
मोबियस ने यह भी बताया कि उन्होंने थोड़ा-बहुत S&P 500 फंड्स में पैसा लगाया है, ताकि अमेरिकी बाजार की चाल को ट्रैक कर सकें. उन्हें उम्मीद है कि साल के अंत तक यह इंडेक्स ऊपर जाएगा, क्योंकि अमेरिकी बाजार में फिर से निवेशकों का भरोसा लौटेगा. उन्होंने कहा, “ट्रंप किसी बड़r बाजार गिरावट को नहीं देखना चाहेंगे, इसलिए वे कुछ नीतियों में बदलाव और घोषणाएं करेंगे, जिससे बाजार में निवेशकों का आत्मविश्वास थोड़ा बढ़ेगा.”
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