50 सालों में नहीं आया इससे बदनसीब CEO, बड़ी ऑटो कंपनी की बज गई बैंड

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हाइलाइट्स2019 में निशान ने मकोटो उचिदा को सीईओ बनाया था. उनके कार्यकाल में कंपनी के शेयर 47 फीसदी गिर चुके हैं. निशान की बिक्री भी पिछले पांच वर्षों में गिरी है. नई दिल्‍ली. मोकोटो उचिदा (Makoto Uchida) ने पांच साल पहले यानी 1 दिसंबर 2019 को निसान मोटर कंपनी (Nissan motor company) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) का पद संभाला था. कंपनी मैनेजमेंट को उम्‍मीद थी कि उचिदा संकट के दौर से गुजर रही कंपनी के तारणहार साबित होंगे. लेकिन हुआ उल्‍टा. माकोटो उचिदा के पांच साल के कार्यकाल में कंपनी की हालत और खराब हो गई है. उचिदा के सीईओ पद संभालने के बाद से, निसान के शेयरों में 47% (Nissan Stock Price) की गिरावट आई है. निसान की बिक्री में लगातार गिरावट आई है. मुनाफा घटकर न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है, और कंपनी का प्राइस-टू-बुक अनुपात जापान की शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में सबसे कम हो गया है.

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, मोकोटो उचिदा का कार्यकाल कंपनी के इतिहास में सबसे खराब माना जा रहा है. कंपनी के शेयरों में आई गिरावट का फायदा एक्टिविस्ट निवेशकों ने उठाया है. नवंबर, 2024 में एफिसिमो कैपिटल मैनेजमेंट से जुड़े एक फंड ने निसान में हिस्सेदारी खरीदी, जिससे कंपनी में प्रबंधन बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं. मूडीज और फिच जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने हाल ही में निसान की रेटिंग को नकारात्मक कर दिया है. नोमुरा सिक्योरिटीज ने भी निसान के शेयर की रेटिंग को ‘खरीद’ से घटाकर ‘तटस्थ’ कर दिया है.

प्रमुख अधिकारियों ने दिया इस्तीफापिछले साल मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) अश्विनी गुप्ता के इस्तीफे के बाद, अब निसान के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) स्टीफन मा भी पद छोड़ने की तैयारी में हैं. इस इस्तीफे के बाद उचिदा अकेले शीर्ष प्रबंधन में बचेंगे. पेल्हम स्मिथर्स एसोसिएट्स की वरिष्ठ विश्लेषक जूली बूटी का कहना है कि निसान प्रबंधन ने कई गलतियां की हैं। उन्होंने कहा, “अमेरिकी बाजार में पुराने मॉडल, आकर्षक हाइब्रिड कारों की कमी और नए मॉडलों के धीमे विकास ने कंपनी की स्थिति खराब कर दी है.”

खर्च में कटौती की योजनानिसान की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को संभालने के लिए उचिदा ने पिछले महीने एक खर्च कटौती योजना पेश की थी. इस योजना में नौकरियों में कटौती, उत्पादन क्षमता घटाने और आय अनुमानों को कम करने जैसे कदम शामिल हैं. यह योजना 2020 की ‘निसान नेक्स्ट’ योजना जैसी ही है, जिसमें तब भी कंपनी के खर्चों में कटौती का लक्ष्य रखा था.

कार्लोस घोसन की विरासत बनी बाधा उचिदा और उनके पूर्ववर्ती हिरोटो साईकावा से पहले कार्लोस घोसन ने 17 साल कंपनी का नेतृत्‍व किया. घोसन के कार्यकाल में निसान के शेयर 98% बढ़े थे. विश्‍लेषकों का मानना है कि घोसन ने बाजार हिस्सेदारी और बिक्री बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया था, लेकिन यह गुणवत्ता और मुनाफे की कीमत पर हुआ. इसका असर आज भी कंपनी की वित्‍तीय सेहत पर देखा जा सकता है. घोसन विरासत में जो खामियां छोड़ गए वो निसान के मौजूदा प्रबंधन के लिए आज भी बाधा बनी हुई हैं.

आगे भी चुनौतियां निशान और उचिदा के लिए चुनौतियां 2025 में और भी बढ़ सकती हैं. ऐसा अमेरिकी बाजार में बढ़ते टैरिफ और एक्टिविस्ट निवेशकों के दबाव के कारण होगा. जूली बूटी का कहना है कि “यदि एक्टिविस्ट निवेशक निसान को फिर से खड़ा करना चाहते हैं, तो पहला कदम प्रबंधन में बदलाव होगा.” निसान को चीन की इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना भी करना पड़ रहा है. इसके अलावा जापानी घरेलू कंपनियों माजदा, होंडा और टोयोटा के मुकाबले भी निसान पिछड़ गया है.
Tags: Business newsFIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 11:13 IST

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