Last Updated:January 11, 2025, 13:20 ISTLoan App Scam- नोएडा सेक्टर-2 के एक व्यावसायिक भवन से पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी चीन और इंडोनेशिया से संचालित एक गिरोह के लिए काम कर रहे थे.ठगी की अधिकांश रकम विभिन्न चैनलों के माध्यम से विदेश भेजी गई. नई दिल्ली. देश में बहुत से ऐसे ऐप चलन में जो लोगों को तुरंत लोन देने का झांसा देते हैं. एक बार जो इनके चंगुल में फंस जाता है, उसका पीछा ये आसानी से नहीं छोड़ते और दी गई रकम से कई गुना ज्यादा पैसे वसूलते हैं. इतना ही नहीं ये लोन लेने वाले को ब्लैकमेल तक करते हैं. नोएडा में भी पुलिस ने अब एक ऐसे गिरोह का भंडा फोड़ किया है, जो पहले लोगों को लोन देता था और फिर उन्हें डरा-धमकाकर कई गुना पैसे ऐंठता था. जनवरी 2023 से अब तक यह गिरोह देश के हजारों लोगों से 310 करोड़ रुपये ऐंठ चुका है. यह पूरा गोरखधंधा पीछे चीन और इंडोनेशिया के नागरिकों की उपज था. उन्होंने भारतीयों को इस पूरे स्कैम में मोहरा बना रखा था और उन्हीं के माध्यम से पूरा खेल किया जा रहा था.
नोएडा सेक्टर-2 के एक व्यावसायिक भवन से पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी चीन और इंडोनेशिया से संचालित एक गिरोह के लिए काम कर रहे थे. गिरोह का खुलासा तब हुआ जब पिछले साल आरोपियों ने गुरुग्राम के 25 वर्षीय निवासी से ₹10,000 का ऋण लेकर ₹38,000 वसूल लिए. इस शिकायत के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस ने बुधवार रात कॉल सेंटर पर छापा मारा और आरोपियों को गिरफ्तार किया. पुलिस ने बताया कि आरोपी 20 ऐप्स के जरिए ₹5,000 से ₹60,000 तक के ऋण 7 से 21 दिनों की अवधि के लिए देते थे और तीन गुना राशि वसूलते थे.
ठगी का तरीकापुलिस के अनुसार, ठगी की अधिकांश रकम विभिन्न चैनलों के माध्यम से विदेश भेजी गई. यह गिरोह दो कंपनियों के जरिए काम करता था. साइबर क्राइम के सहायक आयुक्त प्रियांशु देवाण ने बताया कि आरोपी डायलबैक प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के लिए काम कर रहे थे, जो वैशाली सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड नामक NBFC से जुड़ी थी. यह NBFC त्वरित ऋण देती थी.
दूसरी कंपनी एक कॉल सेंटर के माध्यम से काम करती थी, जो इन ऋणधारकों को धमकी भरे कॉल करके उनसे ऋण और ब्याज से कई गुना अधिक रकम वसूलती थी. पुलिस ने बताया कि आरोपियों की NBFC एक अन्य NBFC से जुड़ी थी, जिसका पंजीकरण पिछले साल भारतीय रिजर्व बैंक ने रद्द कर दिया था.
हर रोज वसूलते थे ₹40-45 लाखपुलिस के अनुसार, कॉल सेंटर का औसत दैनिक संग्रह ₹40-45 लाख था. हरमन और सनी नाम के दो युवक इस कॉल सेंटर के मुख्य संचालक थे, जिन्हें विदेशी संस्थाओं से ₹1 लाख मासिक वेतन मिलता था. अन्य कर्मचारियों को ₹20,000-₹25,000 का वेतन मिलता था. हरमन और सनी कॉल सेंटर चलाने के लिए भवन का ₹1 लाख मासिक किराया देते थे. पुलिस ने छापे में 223 सिम कार्ड, 15 मोबाइल फोन और पांच लैपटॉप बरामद किए.
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