Last Updated:June 25, 2025, 21:21 ISTKolhapuri Chappals VS Prada : इटली की फैशन कंपनी प्राडा ने भारतीय ब्रांड कोल्हापुरी चप्पलों की डिजाइन को चुराकर अपने नाम से बेचना शुरू कर दिया है. कंपनी ने इसकी कीमत 100 गुना बढ़ाकर 80 हजार रुपये तक कर दिया ह…और पढ़ेंकोल्हापुरी चप्पल को साल 2019 में जीआई टैग मिल चुका है. हाइलाइट्सप्राडा ने कोल्हापुरी चप्पल की डिजाइन चुराई.प्राडा ने चप्पल की कीमत 80 हजार रुपये रखी.कोल्हापुरी चप्पल को 2019 में जीआई टैग मिला.नई दिल्ली. भारत में करीब 800 साल पहले से मौजूद कोल्हापुरी चप्पल की डिजाइन को शायद ही दुनिया के किसी कोने में लोग न जानते हों. इस बात को जानते हुए भी इटली की फैशन कंपनी प्राडा (Prada) ने खुलेआम इसकी डिजाइन को चुराकर अपने नाम से बेचना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, इन चप्पलों की राजधानी मिलान में बाकायदा प्रदर्शनी भी लगाई और मॉडल के जरिये इसे पूरी दुनिया को दिखाया. भारतीय डिजाइन को अपना बनाने को लेकर दुनियाभर में कंपनी की आलोचना हो रही है.इटली की कंपनी प्राडा ने पिछले दिनों राजधानी मिलान में एक मेन्सवियर शो का आयोजन किया. इस ग्लोबल लग्जरी ब्रांड ने शो में मॉडल के जरिये फुटवियर भी पेश किए. इनकी डिजाइन हूबहू महाराष्ट्र कोल्हापुर शहर की खास डिजाइन पर थी. इसमें तनिक भी अंतर न होने के बावजूद कंपनी ने भारत को कोई क्रेडिट नहीं दिया. इसे अपने कलेक्शन का हिस्सा बताते हुए प्राडा ने दुनिया को अपने प्रोडक्ट के रूप में पेश किया.
100 गुना रखी कीमत
अगर आप कोल्हापुर में जाकर इन चप्पलों को खरीदते हैा तो 500 रुपये से लेकर 3,000 रुपये तक इसकी कीमत लग जाएगी, लेकिन कंपनी ने इसकी कीमत 60 हजार रुपये से लेकर 80 हजार रुपये तक रखी है. इसका मतलब है कि ग्लोबल मार्केट में इसी भारतीय डिजाइन को 100 गुना ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है. भारत में इस डिजाइन की शुरुआत करीब 800 साल पहले किंग बिज्जला और उनके मंत्री बसवन्ना के शासनकाल में हुई थी.
क्यों खास हैं कोल्हापुरी चप्पलेंकोल्हापुरी चप्पलों को प्योर लेदर और हाथ से बनाया जाता है. इस पर कलर चढ़ाने के लिए सब्जियों और बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. धूप में सुखाए गए चमड़े को 3 से 6 सप्ताह तक रंग में भिगो तक रखा जाता है और फिर इसे काटकर आकार दिया जाता है और डिजाइन के साथ इसकी सिलाई की जाती है. इसके एक जोड़ी चप्पल को बनाने में 3 से 15 दिन का समय लग जाता है. तैयार होने के बाद इसे तेल और पॉलिश से चमकाया जाता है, जो आराम और टिकाऊ प्रोडक्ट बनकर तैयार होता है.
मिल चुका है जीआई टैगदेश के कोल्हापुरी चप्पल को साल 2019 में ही जियोग्राफिकल इंडीकेशन (GI) टैग मिल चुका है. यह टैग डिजाइन एवं ट्रेड मार्क पेटेंट महानियंत्रक की ओर से दिया जाता है. इस टैग के जरिये यह तय किया गया है कि इस डिजाइन की चप्पलों को खासकर महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर और सतारा जिले तो कर्नाटक के बेलगाम, धारवाड़, बागलकोट और बीजापुर जिले में ही बनाया जाएगा.Pramod Kumar Tiwariप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ेंप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessइटैलियन कंपनी ने चुरा ली कोल्हापुरी चप्पल की डिजाइन, कीमत रखी 80 हजार रुपये
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