नई दिल्ली. इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिका के भी कूद पड़ने से पश्चिम एशिया में संकट गहरा गया है. इसका सीधा असर क्रूड ऑयल की कीमतों पर पड़ रहा है. ब्रेंट क्रूड की कीमतों में सोमवार को शुरुआती कारोबार में तो 5.7% तक उछाल आ गया. ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की दी गई धमकी ने तो पूरी दुनिया की सांसें अटका दी हैं. होर्मुज जलडमरूमध्य से कुल वैश्विक तेल आपूर्ति का 20% सप्लाई होता है. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी तेल-आधारित सेक्टरों के लिए बड़ा झटका है. इनकी लाभप्रदता कच्चे तेल की कीमतों पर सीधे निर्भर करती है. अगर तेल की कीमतों में उछाल जारी रहने से इन कंपनियों की बैलेंस शीट पर गहरा असर होगा. नतीजन, इनके शेयरों में भी गिरावट आ सकती है.ऑयल मार्केटिंग कंपनियां, एविएशन, पेंट, टायर, ऑटोमोबाइल, केमिकल और फर्टिलाइज़र उद्योग पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल का ज्यादा असर होगा. इन सेक्टरों का मुनाफे और कच्चे तेल की कीमतों में सीधा जुड़ाव है. बाजार विश्लेषक दीपक जसानी का कहना है कि अगर कच्चे तेल का रेट बढ़ता है तो तेल खपत करने वाले उद्योगों को नुकसान होगा. वहीं, तेल उत्पादन करने वाली कंपनियां इससे लाभ में रहेंगी.
तेल विपणन कंपनियों के मार्जिन पर संकट
एचपीसीएल, बीपीसीएल और आईओसी जैसी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की लागत और मुनाफा कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढाव से प्रभावित होता है. जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो इन कंपनियों के लिए पूरी लागत उपभोक्ताओं पर डालना मुश्किल हो जाता है. इससे इनके मार्जिन पर असर पड़ता है. इसलिए कंपनियों के शेयरों पर कच्चे तेल की कीमत बढने का सबसे ज्यादा नकारात्मक असर होगा.
एविएशन सेक्टर को खतरा
एविएशन सेक्टर पहले ही समस्याओं में डूबा हुआ है. ईरान और पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद होने से उड़ानों के मार्ग प्रभावित हुए हैं. एयर इंडिया के विमान हादसे के बाद नए तकनीकी निरीक्षण भी शुरू हो गए हैं. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी इस सेक्टर पर और दबाव बढ़ाएगी. इंडिगो, स्पाइसजेट, जेट एयरवेज और ग्लोबल वेक्ट्रा हेलिकॉर्प जैसी कंपनियों के शेयरों पर इसका असर दिखेगा.
पेंट इंडस्ट्री होगी बदरंग
पेंट उद्योग में इस्तेमाल होने वाले सॉल्वेंट्स और रेजिन जैसी चीजें कच्चे तेल से बनती है. पेंट निर्माण की इनपुट लागत का 55-60% हिस्सा कच्चे तेल से बने पदार्थों से आता है. एशियन पेंट्स, बर्जर पेंट्स और कंसाई नेरोलैक जैसी कंपनियों के शेयरों पर क्रूड ऑयल की कीमत में वृद्धि का असर होगा.
ऑटो सेक्टर पर मार
वाहन निर्माण उद्योग पर भी कच्चे तेल की बढोतरी की मार पड़ेगी. टायर, पेंट और प्लास्टिक जैसे कच्चे माल की कीमतें इससे बढेंगी तो ऑटोमोबाइल कंपनियों की लागत में भी इजाफा होगा. बढे हुए खर्च को कंपनियों के लिए उपभोक्ताओं पर डालना मुश्किल होता है. इस कारण मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, हुंडई इंडिया, आयशर मोटर्स जैसे स्टॉक्स पर दबाव बन सकता है.
केमिकल और फर्टिलाइज़र सेक्टर पर भी संकट
केमिकल और फर्टिलाइज़र सेक्टर भी कच्चे तेल में बढोतरी का शिकार होंगे. ये सेक्टर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर अत्यधिक निर्भर होते हैं. बेंजीन, ब्यूटाडीन, एथिलीन, प्रोपलीन जैसे पेट्रोकेमिकल्स तैयार होते हैं, जो सिंथेटिक रबर और प्लास्टिक में इस्तेमाल होते हैं. वहीं फर्टिलाइज़र सेक्टर फॉस्फेट, सल्फर और पोटाश जैसे कच्चे माल पर निर्भर है, जो प्राकृतिक गैस और तेल से प्राप्त होते हैं. चंबल फर्टिलाइजर्स, नागार्जुन, जीएसएफसी, आरसीएफ, डीपक नाइट्राइट, विनाती ऑर्गेनिक्स, नवीं फ्लोरीन, एसआरएफ और टाटा केमिकल्स जैसी कंपनियों के शेयरों पर इसका असर पड़ सकता है.
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