इंफोसिस: तिमाही नतीजे खराब, 240 ट्रेनी को दिखाया बाहर का रास्ता, दिए 2 ऑप्शन

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नई दिल्ली. भारत की बड़ी आईटी कंपनियों में से एक इंफोसिस ने एक बार फिर 240 ट्रेनी नौकरी से निकाल दिए हैं. यह फैसला 18 अप्रैल 2025 को लिया गया. ये ट्रेनी (नए कर्मचारी) कंपनी के इंटरनल टेस्ट में पास नहीं हो पाए थे. इससे पहले फरवरी में भी 300 से ज्यादा ट्रेनी को इसी वजह से जाना पड़ा था. कंपनी ने हालांकि इन युवाओं को मुफ्त में नई स्किल्स सीखने का मौका दिया है, ताकि वे भविष्य में बेहतर नौकरी पा सकें.

इंफोसिस ने निकाले गए ट्रेनीज़ के पास दो विकल्प हैं. पहला विकल्प है बीपीएम (बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट) में करियर बनाने का, जिसके लिए UpGrad के साथ मुफ्त ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे इंफोसिस BPM लिमिटेड में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं. दूसरा विकल्प है आईटी (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में स्किल डेवलपमेंट का, जिसके लिए NIIT के साथ मुफ्त कोर्स कराया जाएगा. इससे उन्हें आईटी सेक्टर में दूसरी नौकरियां पाने में मदद मिलेगी.

इंफोसिस की तरफ से भेजे गए ईमेल में कहा गया, “अगर आप इंफोसिस से बाहर नए अवसर तलाशना चाहते हैं, तो हम आपके लिए प्रोफेशनल आउटप्लेसमेंट सर्विसेस की व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही हम आपको एक और करियर विकल्प देना चाहते हैं- बीपीएम इंडस्ट्री में संभावित भूमिकाओं के लिए इंफोसिस स्पॉन्सर्ड एक्सटर्नल ट्रेनिंग. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आप इंफोसिस बीपीएम लिमिटेड में उपलब्ध अवसरों के लिए आवेदन कर सकते हैं. वहीं, अगर आप आईटी स्किल्स को और निखारना चाहते हैं, तो इंफोसिस स्पॉन्सर्ड आईटी फंडामेंटल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम भी उपलब्ध है, जो आपकी आईटी करियर यात्रा को आगे बढ़ाएगा.”

क्या है इंडस्ट्री की हालतइंफोसिस को यह कदम मार्केट की मौजूदा स्थिति के कारण उठाना पड़ा है. आईटी सेक्टर में इस समय प्रोजेक्ट्स कम चल रहे हैं, क्योंकि अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े मार्केट में क्लाइंट्स अपने खर्च को घटा रहे हैं. इंफोसिस ने इस साल के लिए सिर्फ 0-3 प्रतिशत की रेवेन्यू ग्रोथ का अनुमान लगाया है, जो सेक्टर में मंदी का संकेत देता है.

इससे पहले भी फरवरी में 300 से ज्यादा ट्रेनी को निकाला गया था, और मार्च में 30-45 कर्मचारियों को जाना पड़ा था.

26 मार्च को इंफोसिस ने मैसूरु कैंपस से 30-45 और ट्रेनी को इंटरनल असेसमेंट टेस्ट पास न कर पाने की वजह से हटाया था. सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि इन ट्रेनी को भी वही ऑप्शनल करियर पाथ ऑफर किया गया, जैसा पहले हटाए गए कर्मचारियों को मिला था, जिसमें इंफोसिस बीपीएम के लिए 12 हफ्तों की ट्रेनिंग शामिल है. ये ट्रेनीज़ लगभग ढाई साल के लंबे इंतजार के बाद कंपनी से जुड़े थे, जो मैक्रोइकोनॉमिक स्लोडाउन के कारण हुआ था.

ये सभी ट्रेनी सिस्टम इंजीनियर (SE) और डिजिटल स्पेशलिस्ट इंजीनियर (DSE) के रूप में भर्ती किए गए थे, लेकिन उन्हें प्रोजेक्ट्स पर काम करने से पहले ही ट्रेनिंग के दौरान हटा दिया गया. इनमें से कई ट्रेनी ने कोविड के दौरान अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी, जब फिजिकल क्लासेस बंद थीं. उनकी भर्ती वर्चुअल इंटरव्यू के जरिए हुई थी.

तिमाही नतीजों से स्थिति साफआईटी सेक्टर में मुनाफा कमाना अब बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. इंफोसिस का शुद्ध मुनाफा जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में 12 प्रतिशत गिरकर 7038 करोड़ रुपये रह गया, जबकि खर्च 6.7 प्रतिशत बढ़कर 32,452 करोड़ रुपये हो गया. रेवेन्यू में भले ही 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन बढ़ते खर्च और घटते मुनाफे ने इंडस्ट्री की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

कंपनी को FY 2025-26 में महज 0-3 प्रतिशथ ग्रोथ की उम्मीद है. यह संकेत है कि आईटी इंडस्ट्री अब भारी दबाव में है और मुनाफा बनाए रखना मुश्किल होता जा रहा है. ट्रेनीज़ के लिए नियमों में बदलाव और उनकी परीक्षा को ज्यादा सख्त करना भी इसी सुस्ती का नतीजा माना जा रहा है.

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